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01 मई मजदूर दिवस पर विशेष :- जानें 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, पढ़ें श्रमिक दिवस की खास बातें

Labour Day 2021 : एक मई का दिन दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day or May Day ) के तौर पर मनाया जाता है। ये दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। इन दिन को लेबर डे, मई दिवस, और मजदूर दिवस भी कहा जाता है। आज मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का दिन है। ये दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया के कई देशों में छुट्टी होती है। इस मौके पर मजदूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद करते हैं हालांकि कोरोना के चलते इस बार इस तरह के आयोजन नहीं हो सकेंगे। 

यहां जानें मजदूर दिवस या मई दिवस से जुड़ी 5 खास बातें

1. कैसे और क्यों हुई शुरुआत

अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन के दौरान अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर आंदोलन पर चले गए थे। 1 मई, 1886 के दिन मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। इसी के साथ भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की नींव पड़ी।

2. भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

Labour day
                 
3. आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था।

आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी-बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

4. इंटरनेशनल वर्कर्स डे

भारत में लेबर डे को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है।

5. गुजरात में इससे स्थापना दिवस और महाराष्ट्र में महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है

1 मई को ही महाराष्‍ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस भी मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्‍य बॉम्‍बे प्रदेश का हिस्‍सा थे। महाराष्‍ट्र में इस दिन को महाराष्‍ट्र दिवस, जबकि गुजरात में इसे गुजरात दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

01 मई मजदूर दिवस पर विशेष :-

 डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बारे में लोग उन्हें सिर्फ संविधान निर्माता और दलितों की आजादी के मसीहा के रूप में जानते है। उनके द्वारा किये गए वो अविस्मरणीय कार्य जो दलितों के लिए नहीं अपितु सबके लिए थे ।
1 मई को ही महाराष्‍ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस भी मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्‍य बॉम्‍बे प्रदेश का हिस्‍सा थे। महाराष्‍ट्र में इस दिन को महाराष्‍ट्र दिवस, जबकि गुजरात में इसे गुजरात दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
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आइये जानते हैं… डॉ. भीमराव अम्बेडकर के योगदान के बारे में

  1. महिलाओ को पुरुषो के समान वेतन दिलवाने का कार्य बाबा साहब अम्बेडकर जी ने किया।

  2. महिलाओ के लिए प्रसूति अवकाश की व्यवस्था किया, ये भारत की महिलाओ को केवल बाबा साहब की देन है।

  3. 12 घण्टे काम करने की अवधि को घटाकर  08 घण्टे किए, इसी कड़ी में हफ्ते में  01 दिन के जरूरी अवकाश की व्यवस्था किया, भारत के सभी श्रमिकों को बाबा साहब की ही देन है।

  4. ट्रेड यूनियन को सरकारी मान्यता दिलवाई ताकि वो कानूनन अपनी मांग उठा सके ये अधिकार बाबा साहब की देन है।

  5. भारत में  "एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज" की व्यवस्था की ताकि सरकार के किसी विभाग के बंद होने पर कर्मचारियों को नौकरियों से न निकाला जाए ऐसी व्यवस्था भारत के सभी कर्मचारियों के लिये, ये बाबा साहब की ही देन है।

  6. मजदूर वर्ग के हितो की रक्षा के लिए  "बिमा स्कीम" लागू किया ये भारत के मजदूरों को बाबा साहब की देन है ।

  7. हर  05 साल में वित्त आयोग की व्यवस्था किया, ये बाबा साहब की भारत को देन है ।

  8. एक न्यूनतम वेतनमान की व्यवस्था की, ये बाबा साहब की ही देन है ।

  9. मजदूरो के हितों की रक्षा के लिए  "मजदूर विकास कोष" की स्थापना ये भारत के सभी मजदूरों को, बाबा साहब की देन है ।

  10. देश के विकास में तकनीक और कुशल मजदूर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए टेक्निकल ट्रेनिंग और स्किल्ड वर्कर के लिए स्कीम बनाई ये भारत को, बाबा साहब की देन है ।

  11. हर  06 महीने में महंगाई भत्ते की व्यवस्था बाबा साहब अम्बेडकर जी की देन है।

  12. कर्मचारियों के लिए "प्रोवीडेंट फंड " की स्थापना किया, भारत के सभी कर्मचारियों को बाबा साहब की देन है ।

  13. कानूनन हड़ताल करने का हक़ दिलवाया ताकि अधिकारो की रक्षा के लिए विरोध प्रकट किए जा सके, यह बाबा साहब की देन है ।

  14. कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन की कानूनन व्यवस्था किया, यह भारत के कर्मचारियों को बाबा साहब की देन है ।

 विश्वरत्न, "फादर ऑफ़ मॉडर्न इंडिया बाबा साहब डॉ. भीमराव जी अम्बेडकर" को नमन

01 मई मजदूर दिवस की हार्दिक बधाई एवम् मंगलकामनाये।


भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
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🍁आज हमें मजदूरों के प्रति अपनी दृष्टि बदलने की आवश्यकता है!


मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैंlमजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इंसान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी lहर वो इंसान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैंl

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हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इंसान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते हैl इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग हैl

जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. शारीरिक व् मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, फिर चाहे वह ईट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के बोझ तले बैठा एक कर्मचारी. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता हैl

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अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस व् मई दिवस भी कहते है. इसे पूरी दूनिया में अन्तराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता है, ताकि मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा व् प्रोत्साहित कर सके. मजदूर दिवस 1 मई को पूरी दूनिया में मनाया जाता है, यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है. दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है, कुछ जगह तो इसे मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते है. अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है. भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है. मजदूर को मजबूर समझना हमारी सबसे बड़ी गलती है, वह अपने खून पसीने की खाता है. ये ऐसे स्वाभिमानी लोग होते है, जो थोड़े में भी खुश रहते है एवं अपनी मेहनत व् लगन पर विश्वास रखते है. इन्हें किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं होता हैl

◼️ वर्तमान समय में मजदूरों की स्थिति:-

गत मार्च से अब तक वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण अधिकतम समय मजदूर अपनी जान बचाने के लिए घरों में ही बैठा हैl क्या काम मिला है यह हम सब जानते हैंl बड़े-बड़े शहरों से गांव की ओर मजदूरों की वापसी की कतारें हमने हाईवे पर देखी हैl
जब काम ही नहीं तो इनके आत्म सम्मान के लिए हमें एक नई दृष्टि विकसित करना होगीl

आज से हम शुरुआत करें हमारे घर के आस-पास एवं कॉलोनियों में ऐसे मजदूरों की जो काम के अभाव में आर्थिक तंगी झेल रहे हैंl ऐसी स्थिति में अपनी ओर से कुछ मदद कर सकते हैं तो उनकी ओर समर्पण का हाथ बढ़ाएंl इस अवसर पर अगर हमने एक भी जरूरतमंद की मदद की तो यह विश्व मजदूर दिवस पर हमारी ओर से उनके आत्म सम्मान के लिए दी गई सच्ची प्रस्तुति होगीl


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