
20 मार्च इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे,इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे,भूटान,
खुशियां ही खुशियां हों, दामन में जिसके, क्यों न खुशी से वो दीवाना हो जाए!– प्रसिद्ध फिल्म गीत
हिमालय की वादियों में बसा एक खूबसूरत देश, जो अपने पर्यावरण संरक्षण, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और अद्वितीय कल्चरल हेरिटेज के लिए जाना जाता है – भूटान। एक ऐसा देश जो 1970 के दशक से ही GDP या ‘पर केपिटा इनकम’ के बजाय हैप्पीनेस के पैमाने द्वारा वेल-बीइंग (well-being) को मापने का हिमायती रहा है। इसी भूटान के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2012 से हर वर्ष ‘20 मार्च’ को ‘इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे’ सेलिब्रेट करता है।
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भारत में, तलाक कभी वर्जित माना जाता था और केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही ऐसा होता था। समय बदल गया, और आज तलाक अधिक स्वीकार्य हो गया है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।
अब्यूसिव रिलेशन्स में तो अलग हो जाना ही ठीक है, लेकिन ये भी सच है कि अगर प्यार बना रहे, तो जीवन और करिअर दोनों बहुत हसीन हो जाते हैं।
आज इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे के अवसर पर बात करेंगे इसी मुद्दे पर।
क्यों मनाया जाता है ये दिन?
बता दें कि इस दिन को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों को सेहतमंद रहने के लिए हैप्पीनेस यानी खुशी के प्रति जागरूक करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को एक संकल्प लिया। यह संकल्प विश्वभर के लोगों के जीवन में खुशी और अभिलाषाओं पर आधारित है। इस संकल्प को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करते हुए 20 मार्च 2013 को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस के रूप में घोषित किया।
खुश रहने के लिए क्या करें ?
खुश रहने के लिए सबसे बड़ा मंत्र है शांत रहना, जी हां, मुश्किल परिस्थितियों में भी बुद्धिमान और समझदारी से काम लेने पर सफलता मिलती है। बेवजह के झगडे फसाद से दूरियां बनाकर रखें। हर संभव स्थिति में धैर्य रखना और शांत रहना ही खुशी और संतुष्टि की कुंजी है।
करिअर फंडा में स्वागत!
अंग्रेजी में कहते हैं कि आई लव यू, गुजराती मा बोले तने प्रेम करू छू, बंगाली में कहते हैं आमी तोमाके भालो बाशी और पंजाबी में कहते हैं, तेरी तो … तेरे बिन मर जाणा, मैं तैनु प्यार करणा …
झगड़े की शुरुआत
प्यार एक ऐसी फीलिंग है जिसे एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता और जो हर कोई कभी न कभी महसूस करता है। बस ये समझ लीजिए की ‘टप्पा खाती हुई बॉल’ भी खूबसूरत लगती है। फिर ऐसा क्यों होता हैं कि तीन-चार साल बाद वही कपल एक दूसरे का मुंह देखना पसंद नहीं करते? आइए समझते हैं।
1) विपरीत आकर्षण (Opposites attract)

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्यों को हमेशा वही चीजें लुभाती हैं जो उसके पास नहीं होती। स्वाभाव और प्रकृति से एक समान पले-बढ़े जुड़वां बच्चे भी अलग हो सकते हैं, बाकी की तो बात ही क्या। कहने का अर्थ ये कि हम सभी एक दूसरे से अलग हैं और उन चीजों के प्रति आकर्षित होते हैं जो हम में नहीं होती। दरअसल उन चीजों को पाकर हम पूर्ण बनना चाहते हैं।
2) शादी होना और साथ में रहना (Marriage and living together)

दोस्ती, सगाई, डेटिंग और कोर्टशिप तक तो सब कुछ ठीक होता है, क्योकि तब तक हस्बेंड और वाइफ साथ-साथ रह नहीं रहे होते। लेकिन शादी के बाद जब वे साथ-साथ रहने लगते हैं तो पति-पत्नी रिलेशंस पर ‘आधे-अधूरे’ जैसा प्रसिद्ध नाटक को लिखने वाले ‘मोहन राकेश’ के लहजे में ‘रस्में तो पूरी होती हैं, लेकिन रिश्तें अभी अधूरे होते हैं’। अर्थात विपरीत व्यवहार विवादों का कारण बनने लगते हैं। इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं जो विवाह में तनाव पैदा कर सकते हैं, जैसे कि वित्तीय कठिनाइयां, मिसकम्युनिकेशन, बेवफाई और अंतरंगता की कमी।
जब ऐसा होना निश्चित है तो फिर सॉल्यूशन क्या है?
शादी बनाए रखने के 3 स्ट्रॉन्ग टिप्स
पति-पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास, सम्मान और प्यार पर टिका होता है। स्वस्थ संबंध बनाए रखने की दिशा में काम करने के लिए दोनों भागीदारों की आवश्यकता होती है।
1) एक दूसरे को वो जैसा है वैसे ही अपनाना अर्थात इंडिविजुअलिटी का सम्मान

शादी के तुरंत बाद एक चीज जो हस्बेंड और वाइफ दोनों में देखने को मिलती है वो ये कि दोनों एक-दूसरे को अपना प्यार जताने के लिए अपनी आदतें बदलने की कोशिश करने लगते हैं। पत्नी ससुराल वालों की भाषा सीखने की कोशिश करती है, और पति नॉन-वेज छोड़ने की कसम उठाता है! लेकिन भाग-दौड़ भरे जीवन में लम्बे समय में नैचुरली स्वयं की तरह न रहना ‘पेनफुल’ होता है और अनावश्यक टेंशन देता है।
अच्छा यह है कि शादी तभी करें जब आप सामने वाले व्यक्ति को वो जैसा है वैसा ही अपनाने को तैयार हो, अन्यथा नहीं।
एक दूसरे के लिए अपने को बदलना या दूसरे से ऐसी अपेक्षा करना ही बेवकूफी है क्योंकि इससे कहीं न कहीं आत्मसम्मान को भी ठेस लगती है।
2) सही कम्युनिकेशन बना कर रखना

वैज्ञानिकों ने विश्व के सभी मनुष्यों को मोटा-मोटा चार या पांच पर्सनालिटी टाइप्स में विभाजित किया है – जैसे डॉमिनेटिंग, केयरिंग, ऑर्गनाइज्ड, रेबेलियस इत्यादि। हर व्यक्ति इन्ही में से किसी न किसी पर्सनालिटी में फिट बैठता है। यदि हस्बेंड और वाइफ बात करते वक्त एक दूसरे की भाषा में बात कर पाए तो यह रिलेशन सुखद हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए एक डॉमिनेटिंग हस्बेंड अपनी केयरिंग वाइफ से ऑथॉरिटेटिव लहजे में बात करने के बजाय धीरे, प्यार भरे शब्दों में बात कर सकता हैं। या कोई रेबेलियस वाइफ, अपने ऑर्गेनाइज़्ड पति की सामान को जगह पर रखने की आदत का सम्मान कर सकती है।
कहने का अर्थ है कम्युनिकेशन का अर्थ केवल शब्दों से नहीं है यह आपके व्यवहार और बॉडी लैंग्वेज में झलकना चाहिए।
3) क्वालिटी टाइम

एक खुशहाल मैरिड लाइफ के लिए इसके अलावा साथ में क्वालिटी टाइम बिताना भी महत्वपूर्ण है।
यहां फिर क्लियर कर दूं, क्वालिटी टाइम का मतलब महंगाा और खर्चीला टाइम नहीं है। अर्थात इसके लिए महंगे रेस्टोरेंट या रिसॉर्ट में जाने की जरूरत नहीं है। क्वालिटी टाइम बंधन को मजबूत करने में मदद करता है और निकटता की भावना पैदा करता है। यह डेट पर जाने या साथ में सैर करने जितना आसान हो सकता है।
उम्मीद करता हूं मेरे सुझाव आपके लिए उपयोगी साबित होंगे – फिर भी किसी विकट स्थिति के लिए हमेशा पेशेवर, विशेषज्ञों से मदद लें!
आज का करिअर फंडा है कि इंटरनेशनल हेप्पीनेस डे पर, हम खुशहाल और स्वस्थ संबंध बनाने का प्रयास करें, अपने रिश्तों को प्राथमिकता देकर और स्वस्थ और पूर्ण साझेदारियों को बनाए रखने की दिशा में काम करें।
करिअर फंडा कॉलम आपको लगातार सफलता के मंत्र बताता है। जीवन में आगे रहने के लिए सबसे जरूरी टिप्स जानने हों तो ये करिअर फंडा भी जरूर पढ़ें…
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