मध्य प्रदेश से भेजे गए 200 सैंपलों की जांच रिपोर्ट एनसीडीसी और एनआइवी में अटकी।
भोपाल (digital Education )। दुनिया भर में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़ रही है। देश में भी 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी वैरिएंट का पता करने के लिए मध्य प्रदेश से भेजे गए 200 सैंपलों की रिपोर्ट 18 दिन बाद भी नहीं आई है। हालत यह है कि विदेश से भोपाल आए तीन मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आ चुकी है, लेकिन उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है। इनमें दो मरीजों की तो अस्पताल से स्वस्थ होने के बाद छुट्टी कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जांच के लिए नवंबर तक भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट आ चुकी है। दिसंबर के सैंपलों की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। बता दें कि जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच के लिए बीएमएचआरसी भोपाल और एनआइआरटीएच (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ) जबलपुर से जांच के लिए सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी पुणे भेजे जाते हैं। बाकी मेडिकल कालेजों से सैंपल जांच के लिए नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) दिल्ली भेजे जाते हैं। देशभर से यहां सैंपल जांच के लिए पहुंच रहे हैं, इस कारण रिपोर्ट में देरी हो रही है। हालांकि, मई-जून के मुकाबले रिपोर्ट जल्दी आ रही है। उस समय एक से डेढ़ महीने में रिपोर्ट आ रही थी।
भोपाल के 30 सैंपलों की जांच रिपोर्ट नहीं आई
भोपाल के 30 समेत प्रदेश के करीब 200 सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। सभी सैंपल दिसंबर के हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नवंबर में कम मरीज संक्रमित मिले थे। लिहाजा सभी के स्वाब के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। दिसंबर में भी करीब 200 सैंपल प्रदेश के अलग-अलग संस्थानों से जांच के लिए भेजे गए हैं। बता दें कि जिन मरीजों की जांच रिपोर्ट पाजिटिव आती है उनके सैंपल लैब से जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच के लिए भेजे जाते हैं। इस बारे में मरीजों को भी जानकारी नहीं दी जाती।
रिपोर्ट में देरी से यह नुकसान
रिपोर्ट देरी से आने से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि ओमिक्रोन से मरीज संक्रमित हुए होंगे तो रिपोर्ट आने तक इस वैरिएंट से कई लोगों के संक्रमित होने की आशंका रहेगी। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि विदेश से आने वाले मरीजों को पूरी तरह से आइसोलेशन में रखा जाता है, इसलिए उनसे दूसरों को संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा।
देशभर से सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, इसलिए जांच में कुछ देरी हो जाती है। मरीजों को आइसोलेशन में रखा जाता है, जिससे उनसे दूसरों के संक्रमित होने का खतरा नहीं रहे। इसी कारण मरीजों को घर की जगह अस्पताल में रखा जा रहा है।
– डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र
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