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पौधारोपण महाअभियान 01 मार्च से 05 मार्च 2022 मध्य प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए एक बार फिर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू हुआ Digital Education Portal

मध्‍य प्रदेश में पांच साल में 32.72 करोड़ पौधे रोपे पर आधे भी नहीं बचे। पांच मार्च तक प्रदेश में चलेगा पौधारोपण अभियान।

मध्य प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए एक बार फिर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू हुआ

मध्य प्रदेश में हरियाली बढ़ाने एक बार फिर बड़े स्तर पर प्रयास शुरू हुआ है। हालांकि इस बार पौधारोपण का जिम्मा कलेक्टरों को सौंपा गया है। अभियान एक मार्च से शुरू हो गया है और पांच मार्च तक चलेगा। इसमें स्वैच्छिक संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है पर गरमी के मौसम में चलाए जा रहे अभियान की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भी सरकार की घेराबंदी की है।

दरअसल, पिछले पौधारोपण अभियान सफलता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। पिछले सालों में रोपे पौधों की जीवितता का प्रतिशत देखने से पता चलता है कि पांच साल में वन विभाग और वन विकास निगम ने मिलकर 32 करोड़ 72 लाख 51 हजार 579 पौधे रोपे पर इनमें से आधे ही बचाए जा सके हैं।

*पौधारोपण महाअभियान 01 मार्च से 05 मार्च 2022*

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नमस्कार साथियों आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि आप सभी स्वास्थ्य एवं सकुशल होंगे।
मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के माध्यम से 01 मार्च से 05 मार्च 2022 को पौधारोपण महाअभियान में सभी व्यक्तियों को इस अभियान का हिस्सा बनकर अपने देश एवं समाज को कम से कम एक व्यक्ति एक पौधा का रोपण कर सांस नयी – आस नयी कि परिकल्पना को पूर्ण करने में अपनी आहुति अवश्य दें ओर अपने क्षेत्र को हरियाली युक्त बनाये।

इस अभियान से जुड़ने बाला प्रत्येक व्यक्ति उसके द्वारा किए गए पौधारोपण का विवरण फोटो सहित की जानकारी निम्नलिखित में से किसी एक माध्यम से देना है।

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1:- आपके पास स्मार्टफोन है तो अंकुर कार्यक्रम के *वायुदूत-अंकुर* ऐप को डाऊनलोड कर पौधारोपण के उपरांत अपना फोटो पौधे के साथ अपलोड करना है।

2:- mp-cmevents पोर्टल https://webcast.gov.in/mp/cmevents

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3:- इसके साथ ही विशेष रूप से स्थापित मिसकॉल सेवा नम्बर 07552706666 पर मिसकॉल देकर सूचना दे सकते है अगर सामूहिक रूप से किये गए पौधारोपण कार्यक्रमों में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों से मिस्डकॉल देने का अनुरोध किया जाये।

यह स्पष्ट किया जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने निजी आँगन में एक भी पौधा स्वप्रेरणा से लगाता है तो वह यह जानकारी उक्त तीनों माध्यमों में से किसी एक माध्यम से दे सकेगा।

*आवश्यक*

इस महा अभियान में सामाजिक कार्यकर्ता, सांस्कृतिक कार्यकर्ता, प्रस्फुटन समितिया ,छात्रों, कोरोना वालंटियर्स, डॉक्टर, शिक्षक, वकील, नवांकुर संस्था,स्वयं सेवी संस्थाएं आदि संस्थाओं सभी को अपना व अपनी संस्था के सदस्यों को समूह के रूप में एकत्रित कर कार्यक्रम में सहभागिता करें एवं अन्य को प्रेरित करें।

*प्रत्येक व्यक्ति कम से कम 02 पौधे अवश्य लगाएं।*

*सामुदायिक भवन, विद्यालय, ग्राम पंचायत भवन, आंगनवाड़ी केंद्र, मंदिर प्रांगण, निज निवास पर पौ DXधारोपण अवश्य करें।*
🌳सांस नयी – आस नयी🌳
🌳पेड़ लगाएं जीवन बचाएं, पर्यावरण को सुंदर बनाए🌳
🌳आओ पौधारोपण कर सहयोगी बनें और खुशहाली लायें।

प्रदेश में वर्ष 2017-18 में सबसे ज्यादा सात करोड़ 41 लाख 93 हजार 400 पौधे रोपे गए। इस अभियान को लेकर राज्य सरकार पर कई आरोप भी लगे। वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार ने बैतूल के जंगल में उतरकर अभियान की हकीकत जानने की कोशिश की थी। उन्होंने सभी जिलों में पौधों की स्थिति की जांच भी कराई थी और मीडिया को बताया था कि 18 प्रतिशत पौधे ही जीवित रहे। इसके बाद या पहले चलाए गए अभियानों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है।

जानकार बताते हैं कि ताजा स्थिति में पिछले सालों में रोपे गए पौधों में से 50 प्रतिशत से कम जीवित रह पाए हैं। उल्लेखनीय है कि वन विभाग हर साल पौधारोपण करता है और तीन साल तक सतत निगरानी भी। इस दौरान किसी क्षेत्र में पौधों की जीवितता का प्रतिशत कम होता है, तो संबंधित कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है।

जुड़ाव न होना अभियान असफल होने का एक कारण

मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों का भावनात्मक जुड़ाव न होने से भी अभियान असफल हो जाते हैं। वे इसे महज नौकरी मानकर चलते हैं इसलिए पौधों की ठीक से देखरेख नहीं हो पाती और पौधों के मरने का प्रतिशत बढ़ जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रोज एक पौधा लगाने का अभियान इसी स्थिति को सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम है।

….

वर्ष — रोपित पौधे (वन विभाग और वन विकास निगम)

2016-17 — 6,40,35,467

2017-18 — 7,41,93,400

2018-19 — 7,07,56,363

2019-20 — 6,27,13,268

2020-21 — 5,55,53,081

योग — 32,72,51,579

(स्रोत: वन विभाग)

इनका कहना है

पौधों की जीवितता का प्रतिशत अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है। आमतौर पर 50 से 60 प्रतिशत पौधे जीवित रह पाते हैं। खराब हुए पौधों को बदला भी जाता है और जहां ज्यादा पौधे खराब होते हैं, वहां जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की जाती है।

चितरंजन त्यागी, पीसीसीएफ (विकास), मध्य प्रदेश

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