भारतीय स्टेट बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी वक्त पैसे निकालने के लिए ओटीपी आधारित इस सुविधा को लागू करके बैंक ने एटीएम से नकदी निकासी की सुरक्षा को और मजबूती दी है। रात के साथ-साथ अब दिन में भी लेनदेन के लिए ओटीपी को अनिवार्य बनाए जाने से एसबीआइ के डेबिट कार्डधारकों के धोखाधड़ी के शिकार होने की आशंका कम हो गई है। साथ ही इससे अनधिकृत निकासी और कार्ड क्लोनिंग को भी रोकने में मदद मिलेगी।
ओटीपी सिस्टम द्वारा जेनरेट किया गया कोड होता होता है। इसका इस्तेमाल एक बार के ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता है। बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ग्राहक जब एसबीआइ के एटीएम से 10,000 रुपये से अधिक राशि की निवासी करेगा तो उसे अपने पंजीकृत नंबर पर प्राप्त ओटीपी को एटीएम मशीन में दर्ज करना होगा। यह सुविधा केवल एसबीआइ एटीएम में ही उपलब्ध है।
एसबीआइ के प्रबंध निदेशक (रिटेल व डिजिटल बैंकिंग) सी एस शेट्टी ने कहा, “एसबीआइ तकनीकी सुधार और सुरक्षा स्तर को और मजबूती देकर ग्राहकों को अधिक सहूलियत एवं सुरक्षा प्रदान करने में हमेशा आगे रहा है। हमारा मानना है कि एटीएम से निकासी के लिए 24×7 ओटीपी आधारित व्यवस्था को लागू किए जाने से एसबीआइ के ग्राहकों का पैसे की निकासी से जुड़ा अनुभव काफी सुरक्षित और जोखिम मुक्त होगा।”
तकनीकी विशेषज्ञ बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि एसबीआइ का यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से बहुत जरूरी थी। दो स्तरीय सुरक्षा से धोखाधड़ी का खतरा कम हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस सिस्टम को सभी बैंकों को लागू करना चाहिए। दाधीच ने कहा कि छोटी-सी-छोटी लेनदेन के लिए भी इसे लागू किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि आज हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन होता ही है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बैंकों को और इनोवेटिव रुख अपनाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ट्रांजैक्शन को और सुरक्षित बनाने के लिए बॉयोमैट्रिक और फेस रिकग्निशन तकनीक को लागू किया जा सकता है।
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