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विक्रम यूनिवर्सिटी का कमाल: गलत फॉर्मूले के आधार पर बना दिया रिजल्ट, पहले जिन विद्यार्थियों को पास बताया था; अब उन्हीं में किसी को एटीकेटी तो कोई फेल Digital Education Portal
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विक्रम यूनिवर्सिटी का कमाल: गलत फॉर्मूले के आधार पर बना दिया रिजल्ट, पहले जिन विद्यार्थियों को पास बताया था; अब उन्हीं में किसी को एटीकेटी तो कोई फेल Digital Education Portal

गड़बड़ी समझ में आई तो रिजल्ट में सुधार करवाया गया - dainik bhaskar

गड़बड़ी समझ में आई तो रिजल्ट में सुधार करवाया गया

  • एलएलबी व बीएएलएलबी के 6 सेमेस्टरों के रिजल्ट में हुई गड़बड़ी, 500 से ज्यादा विद्यार्थियों का रिजल्ट प्रभावित
  • लापरवाही की हद यह है कि गलत परिणाम घोषित होने और रिजल्ट में सुधार होने की जानकारी विद्यार्थियों को नहीं दी गई

विक्रम विश्वविद्यालय में रिजल्ट तैयार करने को लेकर भी किस तरह गंभीर गड़बड़ी होती है, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि विधि पाठ्यक्रम के 6 सेमेस्टर की परीक्षाओं के रिजल्ट ही गलत फॉर्मूले के आधार पर तैयार कर घोषित कर दिए गए। गड़बड़ी समझ में आई तो रिजल्ट में सुधार करवाया गया। इसमें जो विद्यार्थी पहले पास थे, उन्हें अब एटीकेटी दी गई है या फेल कर दिया गया। 6 सेमेस्टरों में 500 से अधिक विद्यार्थियों का रिजल्ट इस तरह प्रभावित हुआ है।

लापरवाही की हद यह है कि गलत परिणाम घोषित होने और रिजल्ट में सुधार होने की जानकारी विद्यार्थियों को नहीं दी गई। ऐसे में कई विद्यार्थी पहले गलत घोषित हुए रिजल्ट को ही सही समझकर बैठे हुए हैं। ऐसे विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के फॉर्म भी जमा नहीं कर पाए हैं। एलएलबी के तीसरे और पांचवें सेमेस्टर व बीएएलएलबी के तीसरे, पांचवें, सातवें और नौवें सेमेस्टर के रिजल्ट में यह गड़बड़ी हुई है।

लापरवाही की हद- गलत रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी को सिर्फ चेतावनी

विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही की हद यह है कि इतनी गंभीर त्रुटि होने के बावजूद गलत रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि त्रुटिपूर्ण रिजल्ट को लेकर एजेंसी को कारण बताओ सूचना पत्र दिया गया था। जिसके आधार पर एजेंसी ने अपना स्पष्टीकरण दिया कि उनके पास एग्रीगेट के आधार पर रिजल्ट का फॉर्मूला नहीं था। जिस पर एजेंसी को यह चेतावनी दी गई है कि आगे से इस तरह की गलती ना हो। प्रो. शर्मा के अनुसार विद्यार्थियों के मामले में भी सहानुभूतिपूर्वक विचार कर पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना के फॉर्म जमा करने के लिए 7 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया। जिसकी सूचना परिक्षेत्र के सभी विधि महाविद्यालयों को भेजी गई।

ऐसे हुई गड़बड़ी, न्यूनतम अंक के फॉर्मूले से कर दिया पास

विधि पाठ्यक्रम में पास होने के लिए विद्यार्थी को प्रत्येक विषय में न्यूनतम 36 प्रतिशत अंक हासिल करना होते हैं। साथ ही सभी विषयों के अंकों को मिलाकर उसका औसत 48 प्रतिशत होना चाहिए। तभी विद्यार्थी पास हो सकता है लेकिन विश्वविद्यालय का रिजल्ट तैयार करने वाली इंदौर की एजेंसी ने इस फॉर्मूले की बजाए प्रत्येक विषय में 36 अंक देखकर ही विद्यार्थियों को पास करते हुए गलत रिजल्ट घोषित कर दिया। इससे पूरे परिणाम ही गड़बड़ा गए। इन 6 सेमेस्टरों में 2 हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए थे। इनमें से करीब 500 विद्यार्थियों का रिजल्ट सुधार के बाद प्रभावित हुआ है।

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