नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मादक पदार्थों के सेवन और अवैध मादक पदार्थों के व्यापार के खिलाफ एक संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। यह 1989 के बाद से 26 जून को वार्षिक रूप से मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 7 दिसंबर 1987 को की गयी घोषणा का उसके अधिकांश सदस्य देशों ने मिलकर समर्थन किया कि विश्व भर में 26 जून को प्रतिवर्ष नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day Against Drug Abuse and Illegal Trafficking) मनाया जायेगा। यूएनओ द्वारा यह नारा दिया गया है कि जस्टिस फॉर हेल्थ – हेल्थ फॉर जस्टिस, Justice for Health – Health for Justice। साथ ही बच्चों और युवाओं को अभिभावकों द्वारा सही मार्गदर्शन देने के लिए उनकी बात को ध्यान से सुनना उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित विकसित होने में मदद करता है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug Abuse) और अवैध तस्करी (Illegal smuggling) को अंतर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में आंका गया है। इसलिए अब विश्व के सभी देशों को मिलकर इस अंतर्राष्ट्रीय समस्या को जड़ से मिटा देने का समाधान खोजना है।
‘ड्रग्स-फ्री वर्ल्ड’ अभियान (‘Drugs-Free World’ campaign) को प्रभावशाली बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण कार्यालय (यूएनडीसीपी) की शुरूआत यूएन द्वारा 1991 में नशाखोरी एवं मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के वैश्विक प्रयासों के अंतर्गत शुरू किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के मादक द्रव्य प्रभाग, अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड के सचिवालय तथा संयुक्त राष्ट्र नशाखोरी नियंत्रण कोष की गतिविधियों के मध्य समन्वय तथा एकीकरण स्थापित करता है। यह मादक पदार्थ नियंत्रण एवं अपराध रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराध रोकथाम केंद्र (सीआईसीपी) का एक अभिन्न अंग भी है।
नशा मुक्ति परियोजना Drug addiction project
ड्रग तस्करी के खिलाफ सात देशों में कानून इस प्रकार हैं – (1) अमेरिका में ड्रग तस्करी के आरोप में पहली बार पकड़े जाने पर 40 साल की कठोर सजा है। (2) संयुक्त अरब अमीरात के देशों में तो ड्रग तस्करी के आरोपी की या तो हाथ काट दिया जाता है या फिर मौत के घाट उतार देने का प्रावधान है। (3) सिंगापुर में 1973 में ड्रग तस्करी के खिलाफ कड़ा कानून पारित हुआ जिसके तहत 30 किलोग्राम या उससे अधिक कोई भी नशीला पदार्थ जैसे भांग, गांजा व कोकीन रखने या पकड़े जाने पर मौत की सजा दी जाती है। (4) मलेशिया में भी ड्रग तस्करी के खिलाफ कड़ा कानून बनाया गया है। यहां 50 किलो से ज्यादा मादक पदार्थ रखने वाले को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता है। (5) वर्ष 2017 के एक समाचार के अनुसार फिलीपींस में एक ही दिन में 32 ड्रग तस्कर मार दिए गए। जब से देशभर में अभियान शुरू हुए तब से कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ मुठभेड़ों में मादक पदार्थों की कथित तौर पर तस्करी करने वाले 3,200 से ज्यादा तस्कर मारे जा चुके हैं।
इसी प्रकार (6) वर्ष 2017 के एक समाचार के अनुसार इंडोनेशिया में ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिए पुलिस को ड्रग डीलर्स को सीधे गोली मार सकती है। प्रेसिडेंट जोको विडोडो ने देश में तेजी से बढ़ रही इस समस्या से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों को ड्रग तस्करों को गोली मारने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले की तुलना फिलीपीन्स के प्रेसिडेंट रोड्रिगो दुर्तेते के ड्रगवार से हो रही है। (7) वहीं भारत में ड्रग तस्करी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत अलग-अलग सजा के प्रावधान हैं। इसमें धारा 15 के तहत एक साल, धारा 24 के तहत 10 की सजा व एक लाख से दो लाख रूपए तक का जुर्माना और धारा 31ए के तहत मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
यूएन की ड्रग रिपोर्ट के अनुसार हर साल विश्व भर में करीब 322 बिलियन डालर का अवैध व्यापार होता है। जिन पौधों से यह पदार्थ ड्रग बनाये जाते हैं उनकी अवैध खेती गंभीर चिंता का विषय है। सामान्यतः लोग ऐसी खेती के दुष्प्रभाव से अवगत नहीं होते। पदार्थ की अवैध खेती रोकने के लिए पंचायती राज संस्थाओं एवं स्थानीय निकासों की भागेदारी आवश्यक रूप से अपेक्षित है। इस दिशा में नशा मुक्ति केन्द्र तथा नशा उन्मुलन के लिए विधिक सेवायें कार्यरत हैं। इन्हें अधिक से अधिक सर्वसुलभ बनाना चाहिए।
भारत में नशा (nasha), Intoxication in india
नशे की लत का मैं भी किशोर तथा युवा अवस्था में भुक्त भोगी रहा था। मेरे स्वर्गीय पिता जो कि एक अच्छे चिकित्सक थे फिर भी वह दिन-रात सिगरेट तथा शराब के नशे में पूरी तरह डूबे रहते थे। पिताजी से ही इस बुरी आदत का मैं भी शिकार बन गया था। अब मैं प्रबल इच्छा शक्ति के बूते नशे की आदत से पूरी तरह मुक्त हूं। जबसे मैंने जीवन का एक बड़ा मकसद बनाया तब से मैं तथा मेरा परिवार भी नशा मुक्त जीवन जी रहा है। मैं 63 वर्षीय व्यक्ति हूं। विगत 38 वर्षों से लेखन को मैंने अपना मकसद प्राप्त करने का हथियार बनाया है।
सार्थक जीवन जीने के लिए जीवन में कोई न कोई मकसद होना जरूरी है। ईश्वर ने यह मानव शरीर किसी विशेष उद्देश्य से दिया है। अनमोल मानव जीवन को व्यर्थ नशे में बरबाद नहीं करना चाहिए। मानव जन्म हमें लोक कल्याण के द्वारा एकमात्र अपनी आत्मा के विकास के लिए मिला है। इसलिए जीवन के प्रत्येक पल को पूरे उत्साह के साथ जीना चाहिए। उत्साह सबसे बड़ी जीवन शक्ति तथा निराशा सबसे बड़ी कमजोरी है। जीवन के प्रत्येक क्षण खुश रहने का स्वभाव विकसित करें। प्रत्येक मनुष्य को जीवन का मकसद ऐसा चुनना चाहिए जिसमें हम अपने शरीर, मन, मस्तिष्क तथा आत्मा की पूरी शक्ति लगा सके।