नई दिल्ली. कोरोना महामारी संकट (Coronavirus Pandemic) के बीच देश के बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक ने ग्राहकों के लिए बड़ा ऐलान किया है. HDFC बैंक ने बेस रेट को 0.55 फीसदी घटाकर 7.55 फीसदी कर दिया है. ये दरें 11 सितंबर से लागू हो गई हैं. इस घोषणा के बाद बेस रेट पर आधारित कर्ज़ सस्ता हो जाएगा. आपको बता दें कि बेस रेट उस दर को कहा जाता है, जिसके नीचे बैंक कर्ज नहीं दे सकता है. इसे कर्ज की न्यूनतम ब्याज दर माना जाता है.
इससे पहले आज सरकारी बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) ने प्रमुख कर्ज़ मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) की दरें 0.05 फीसदी तक घटा दी है. यह कमी सभी अवधि के कर्ज के लिए की गई है.
नई दरें मंगलवार यानी 15 सितंबर से लागू हो गईं. बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने एक साल अवधि वाले कर्ज के लिए MCLR 7.15 फीसदी से कम कर 7.10 फीसदी कर दी है.
इसी तरह एक दिन और एक महीने अवधि वाले कर्ज के लिए MCLR कम होकर अब 6.55 फीसदी हो गयी है, जो पहले 6.60 फीसदी थी. बैंक ने तीन महीने और छह महीने की अवधि के कर्ज पर भी MCLR कम की है. इन अवधियों के लिए अब कर्ज दर क्रमश: 6.85 फीसदी और 7 फीसदी होगी.
अब क्या होगा- इस फैसले के बाद बेस रेट पर आधारित लोन की दरें सस्ती हो जाएंगी. यानी आपकी EMI पर हर महीने 0.55 फीसदी की बचत होगी.
क्या होता है बेस रेट, क्यों बैंक ने इसको बदल दिया- साल 2010 में बेस रेट की अवधारणा शुरू की गई थी, ताकि बैंक सिर्फ कॉर्पोरेट्स को ही नहीं, बल्कि रिटेल कर्जदारों को भी सस्ता कर्ज दें. बेस रेट उस दर को कहा जाता है, जिसके नीचे बैंक कर्ज नहीं दे सकता है. इसे कर्ज की न्यूनतम ब्याज दर माना जाता है.
लेकिन बैंकों ने इस दर के साथ छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी. साल 2015 में आरबीआई ने एमसीएलआर शुरू किया, जिसके तहत बैंक लोन की राशि और अवधि के आधार पर अलग-अलग दरों पर लोन दे सकते थे. इसके अनुसार, एक निश्चित समय के लिए ब्याज दर तय रहेंगी और इसमें बदलाव बाद में संभव होगा.