फैक्ट चेक. क्या 10 सेकंड सांस रोकने वाले कोरोना से हो जाएंगे मुक्त ? जाने इस दावे की सच्चाई
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कोरोना महामारी के इस विकट समय में सोशल मीडिया कोविड से बचाव, इलाज और टेस्ट से संबंधित कई जानकारियां तेजी से वायरल हो रही है। इन्हीं मैसेज में एक संदेश है जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि अगर आप 10 सेकंड तक अपनी सांस रोक सकते हैं, वो भी बिना किसी दिल्कत के उन्हें यह आश्वासन दिया जा सकता है कि उन्हें कोरोनोवायरस संक्रमण नहीं है। आइए जानते है कि अपने द्वारा किया जाने वाले ऐसे कोरोना टेस्ट की सच्चाई क्या है?
जानें इस दावे की सच्चाई
विशेषज्ञों के अनुसार, यह दावा केवल एक मिथक है जो संक्रमित लोगों को भ्रमित कर सकता है। वास्तव में, आपकी सांस को रोकने का कोरोनावायरस से कोई लेना-देना नहीं है और यह वायरस के लिए खुद की जांच करने का कोई तरीका नहीं है।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने किया सचेत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, “गलत या अधूरी जानकारी मरीज के इलाज में देरी होने से बड़ी चूक करवा सकती है। किसी भी COVID19 लक्षणों के मामले में चिकित्सक की सलाह लें और जांच तुरंत जांच करवाएं।
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ये मैसेज हो रहा वायरल
10 सेकेंड तक अपनी सांस रोककर कोरोनोवायरस के लिए स्वत: टेस्ट करने का तरीका लोगों को ईमेल, मैसेज और सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया जा रहा है। कि अगर आप 10 सेकेंड तक बिना किसी दिक्कत के अपनी सांस को रोक सकते हैं तो आप कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं है।
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पिछले साल ही स्टैनफोड्र विवि ने स्टडी में इसे बताया था Fake कोरोना टेस्ट
पिछले साल मार्च में, इसी तरह के पोस्ट ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में इसे गलत बताया था। पोस्ट में यह भी कहा गया है कि जब तक मरीज अस्पताल पहुंचता है, तब तक कोरोनवायरस 50% फाइब्रोसिस का कारण बनता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ट्वीट किया, “COVID-19 लक्षणों के बारे में गलत जानकारी और स्टैनफोर्ड को दिए गए झूठे व्यवहार और उपचार सोशल मीडिया और ईमेल फॉरवर्ड में प्रसारित हो रहे हैं।
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