वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code-IBC) का मकसद कंपनियों को चलताहाल बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना नहीं है उन्होंने कहा कि आईबीसी अच्छा काम कर रही है अपने मकसद को पूरा करने में सफल रही है. सीतारमण ने शनिवार को राज्यसभा में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. राज्यसभा में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. यह विधेयक इस बारे में जून में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगा.
25 मार्च से छह महीने तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी
इस विधेयक के तहत प्रावधान है कि कोरोना वायरस की वजह से 25 मार्च से छह महीने तक कोई नई दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुयी अभूतपूर्व स्थिति के कारण इस बारे में अध्यादेश लाया गया था. देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को ही लॉकडाउन लगाया गया था. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि आईबीसी की ‘मंशा’ कंपनियों को ‘चलताहाल’ बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना कतई नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण बनी स्थिति की वजह से समय की मांग थी कि तत्काल कदम उठाए जाएं उसके लिए अध्यादेश का तरीका चुना गया. वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार अगले ही सत्र में विधेयक लेकर आ गयी.
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके साथ ही सदन ने माकपा सदस्य के के रागेश द्वारा पेश उस संकल्प को नामंजूर कर दिया जिसमें दिवाला ऋणशोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को अस्वीकार करने का प्रस्ताव किया गया था. कोविड-19 महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के संदर्भ में सीतारमण ने कहा कि उस समय आजीविका से ज्यादा जरूरी जान की हिफाजत करना था. उन्होंने कहा कि इसका असर लोगों के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा, लेकिन आम लोगों की जान बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण था. उन्होंने हालांकि कहा कि लोगों को हुयी परेशानी का संज्ञान लिया गया सरकार ने कई कदम उठाए. इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कोविड-19 के मद्देनजर उठाए गए कदमों से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की स्थिति खराब हो जाएगी छोटे कारोबारियों पर भार बढ़ जाएगा.