राज्यपाल मंगूभाई की विद्यार्थियों को 3 सीख: शिक्षा से सत्य और असत्य में अंतर पता चलेगा ईमानदारी व कठिन परिश्रम से आगे बढ़ेंगे Digital Education Portal

जीवाजी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के बाद डिग्री दिखाते छात्र-छात्राएं।
- जीवाजी यूनिवर्सिटी…काेराेना काल में दाे साल बाद हुआ दीक्षांत समाराेह डिस्टेंसिंग के लिए एक सीट छाेड़कर बैठाए गए छात्र-छात्राएं और दर्शक
शिक्षा सत्य और असत्य में अंतर बताएगी, ईमानदारी और कठिन परिश्रम जीवन में हमेशा आगे बढ़ाएगा। उपाधि के साथ जो शपथ ली है उसका एक-एक शब्द अपने जीवन में आत्मसात करेंगे तो कभी असफल नहीं होंगे। यह सीख मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने जीवाजी यूनिवर्सिटी में आयोजित दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यार्थियों को दी।
उन्होंने कहा शिक्षा के क्षेत्र में हमारा देश विश्व गुरु का स्थान रखता था। अगर हमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने देश की प्रतिष्ठा को फिर से वापस लाना है तो युवाओं के कौशल, प्रतिभा व ऊर्जा के समन्वित उपयोग के साथ देश के मौलिक ज्ञान, परंपराओं और क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करना होगा।
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि स्वयं आत्म निर्भर बनें और दूसरों को भी आत्म निर्भर बनाने में मदद करें। समारोह को बतौर मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वर्चुअल रूप से संबोधित किया। दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर आदि मंचासीन थे। समारोह का संचालन रजिस्ट्रार डॉ. आनंद मिश्रा ने किया।
छात्रों ने देश-विदेश में ग्वालियर का नाम रोशन किया: तोमर
समाराेह में वर्चुअल शामिल हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 1964 में स्थापित हुई जीवाजी विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़े आयाम स्थापित किए हैं। यहां पर पढ़े छात्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्वालियर का नाम रोशन कर रहे हैं।
यह सिर्फ शिक्षा की नहीं बल्कि मानवता की भी डिग्री है : यादव
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आप सबको मिली यह डिग्री केवल शिक्षा की डिग्री भर नहीं है यह मानवता की डिग्री भी है, इसलिए जीवन पथ पर सदैव सत्य, निष्ठा व समर्पण भाव के साथ आगे बढ़ें। दीक्षांत समारोह एक ऊर्जा प्रदान करने की परंपरा है। सभी विद्यार्थी इसे आत्मसात कर नई यात्रा शुरू करें।
झलकियां: कुलपति रजिस्ट्रार की जोड़ी का आखिरी दीक्षांत समारोह
- कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला और रजिस्ट्रार प्रो. आनंद मिश्रा के कार्यकाल का यह आखिरी दीक्षांत समारोह है। नवंबर में प्रो. शुक्ला का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। जबकि रजिस्ट्रार प्रो. मिश्रा इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
- कार्यक्रम के दौरान पुलिस ने सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा। जिन छात्रनेताओं के आंदोलन करने की आशंका थी, उन्हें पुलिस ने घर से उठा लिया। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद शाम को ही इन्हें पुलिस ने छोड़ा। हॉल में भी सादा कपड़ों में सुरक्षा कर्मी तैनात थे।
- दीक्षांत समारोह में शामिल हुए लोगों के लिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने हर कुर्सी पर एक पानी बोतल देने का इंतजाम किया था, लेकिन कर्मचारियों ने पानी नहीं बांटा और लोग परेशान रहे।
- कोरोना गाइड लाइन के पालन के चलते हॉल में व्यवस्था इस तरह से की गई थी कि यहां लोग एक कुर्सी छोड़कर बैंठे। कुर्सियों पर इसके लिए क्रॉस के निशान लगाए गए थे, लेकिन अगली पंक्ति में सोफे पर बैठे अतिथियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया।
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