यूपीएससी सिविल सर्विस प्री परीक्षा 2020
परीक्षा स्थगित करना असंभव है विस्तार से जानिए
सुप्रीम कोर्ट में आज यूपीएससी सिविल सर्विस प्री परीक्षा 2020 के स्थगन को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई।
इस याचिका को 20 यूपीएससी सिविल सर्विस अभ्यार्थियों ने फाइल किया है।
सुनवाई के दौरान यूपीएससी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि,’परीक्षा स्थगित करना असंभव है, क्योंकि सभी लॉजिस्टिक व्यवस्था पहले से ही की गई है। ‘
जिसपर जवाब देते हुए न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने यूपीएससी से कहा,’ कि वह इस तथ्य को हलफनामे में रखे और व्यवस्थाओं के साथ रखे। अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी।’
देशभर के याचिका कर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि इस समय में परीक्षा कराना उम्मीदवारों की हेल्थ और सेफ्टी दोनों को लेकर खतरा पैदा कर सकती है।याचिका में कहा गया है कि,’महामारी के इस संकट के समय में ऑफलाइन परीक्षाएं करवाना लाखों युवा छात्रों की जिंदगी को खतरे में डालने से ज्यादा और कुछ नहीं है।
देश के कई राज्यों में आई बाढ़ और लगातार बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते याचिकाकर्ताओं और उस क्षेत्र में रहने वाले अन्य बहुत से छात्रों का जीवन व स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में संशोधित कैलेंडर पूरी तरह से अनुचित है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ व ‘जीवन के अधिकार’ का उल्लंघन करता है।’
अभ्यार्थियों के इन आशंका के चलते आयोग ने कहा है कि परीक्षार्थी पारदर्शी बोतलों में सैनिटाइजर भी ला सकते हैं। बिना मास्क के किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी। परीक्षार्थियों को कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। उन्हें परीक्षा हॉल/कमरों के साथ परिसरों में भी सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।
आपको बता दें कि देशभर के 72 शहरों में होने वाली इस ऑफलाइन परीक्षा में 6 लाख उम्मीदवारों के शामिल होने के उम्मीद है।इस वर्ष प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी लेकिन कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण इसे टाल दिया गया था।जिसके बाद अब यह परीक्षा 4 अक्टूबर को आयोजित की जानी है।
देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए अभ्यर्थियों की यह चिंता अनिवार्य हैं।इससे पहले भी जेईई-नीट परीक्षा के चलते छात्राओं ने परीक्षा को स्थगित करने की मांग की थी,परन्तु भयंकर विरोध के बाबजूद परीक्षा कराई गई,अब देखना होगा की इन परीक्षाओं के जैसे ही यूपीएससी की परीक्षा को कराया जाएगा या अभ्यार्थियों की चिंता को देखते हुए उनके पक्ष में फैसले लिए जाएंगे।परीक्षाओं के चलते छात्राओं के जीवन को जोखिम में डालना कितना सही कितना गलत होगा,अब इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट के हाथ में हैं।
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