Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश में  एजुकेशन का हाल:- 1 साल मे 23,030 बच्चों ने छोड़े सरकारी स्कूल

शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सरकारी स्कूलों (Government) में एजुकेशन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भले ही कई कोशिश किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी अभिभावकों का विश्वास सरकारी एजुकेशन (Education) में नहीं बन रहा है। यही वजह है कि साल 2019-20 में सरकारी स्कूलों से 23,030 विद्यार्थी कम हुए है। साल 2017 से लगातार यह ड्राप आउट सरकारी स्कूलों में हो रहा है। यह खुलासा यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फ़ॉर स्कूल्स (यू-डाइस) के तहत हुआ हुआ है। हर वर्ष सितंबर में इस डाटा को इकट्ठा किया जाता है व इस वर्ष साल 2019-20 की रिपोर्ट समग्र एजुकेशन विभाग ने तैयार की है। इस रिपोर्ट में जहां सरकारी स्कूलों से विद्यार्थियों (Students) के ड्राप आउट होने की संख्या का खुलासा हुआ है।स्कूलों में ओवरऑल एनरोलमेंट घटी

एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ है कि प्रदेश में सरकारी व निजी दोनों ही स्कूलों में ओवरऑल एनरोलमेंट घटी है। इस एनरोलमेंट के लागातर कम होने के पीछे विभाग प्रदेश में टोटल फर्टिलिटी रेट कम होना बताया जा रहा है। बता दें कि प्रदेश में 18 हजार 184 स्कूल हैं। इन स्कूलों में साल 2017-18 में एनरोलमेंट 13 लाख 90 हज़ार थी। वहीं, साल 2018-19 में यह आंकड़ा 13 लाख 74 हजार 135 था व अब 2019-20 में एनरोलमेंट का यह आंकड़ा 13 लाख 59 हजार 471 पर सिमट गई है। इस एनरोलमेंट के घटने के पीछे विभाग यह तर्क दे रहा है की हिमाचल में टोटल फर्टिलिटी रेट 1.7 पर है जो सामान्य फर्टिलिटी रेट 2.1 से भी कम है। प्राइवेट स्कूलों की ओर रुझान
ऐसे में बच्चों की संख्या ही कम है तो उसी वजह से एनरोलमेंट भी कम हो रहा है,लेकिन रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है व निजी स्कूलों में यह बढ़ रही है। वहीं समग्र एजुकेशन अभियान के प्रदेश परियोजना निदेशक आशीष कोहली का बोलना है कि हर वर्ष सितंबर माह में एजुकेशन मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए फॉर्मेट पर प्रदेश के सभी स्कूलों का डाटा एकत्र किया जाता है। इस बार भी इस डाटा पर आधारित साल 2019-20 की रिपोर्ट आ चुकी है। इस रिपोर्ट के आधार पर यह देखा गया है की प्रदेश के स्कूलों में इनरोलमेंट लगातार घट गई है। इसके पीछे हिमाचल का टोटल फर्टिलिटी रेट कम होना एक वजह है। वहीं अन्य सुविधाओं का भी आंकलन किया गया है, जिसमें सभी स्कूलों का परफॉर्मेंस बेहतर रहा है।

क्लास दर क्लास के आंकड़े

प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक साल 2017-18 में एनरोलमेंट 8 लाख 54 हजार 879 थी। साल 2018-19 यह आंकड़ा 8 लाख 24 हजार 73 पर आ कर सिमट गई व अब साल 2019-20 में यह आंकड़ा 8 लाख 1 हज़ार 43 पर आ गया है। यानी कि सरकारी स्कूलों में 23 हजार 30 विद्यार्थी कम हुए है व इन विद्यार्थियों का ड्रॉपआउट हुआ है। प्रदेश के निजी स्कूलों में पहली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक साल 2017-18 में इनरोलमेंट 5 लाख 35 हजार 998 थी। साल 2018-19 में यह इनरोलमेंट 5 लाख 35 हजार 398 रही व साल 2019-20 में सरकारी स्कूलों की इनरोलमेंट में 23 हजार के करीब कमी देखी गई व यह आंकड़ा 5 लाख 58 हजार 428 पर पहुंच गया। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है सरकारी स्कूलों से जो ड्रॉप आउट हुआ उसका लाभ निजी स्कूलों को मिला है।

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