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रोस्टर पंजिका एक ऐसा अधिनियम है जिसे संविधान के निर्माताओं ने अनुच्छेद 16(4) के तहत रखा है। इस कानून के अंतर्गत अन्य पिछड़ी जाति, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले सभी श्रेणी के व्यक्तियों के लिए शिक्षा और नौकरी के लिए विशेष प्रावधान दिए गए हैं। जिसे रोस्टर पंजिका का नाम दिया गया है। इसे रोस्टर सिस्टम भी कहते है।
आरक्षण रोस्टर
रोस्टर पंजिका के अधीन विभागों में जितनी भी नौकरी निकाली जाती है। उन सब में रोस्टर पंजिका के अनुसार तय किया जाता है कि किस वर्ग को कितनी नौकरियां दी जाएंगी। उदाहरण से समझे तो अगर किसी भी विभाग में 5 वैकेंसी निकली है। तो उनमें से 3 वैकेंसी अनारक्षित वर्ग के लिए रखी जाती है और बाकी दो वैकेंसी आरक्षित वर्ग के लिए होती है। जिनमें ओबीसी, अन्य पिछड़ा वर्ग या अनुसूचित जाति के लोगों के लिये होती है।
ऐसे ही जब छठी और सातवीं वैकेंसी की बात आती है। तो उसमें अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लिए रखी जाती है। इसी तरह यह क्रम लगातार 13वीं वैकेंसी तक चलता रहता है और तेरहवीं वैकेंसी के बाद यह नियम फिर से एक से शुरू हो जाता है। इस तरह बनाए गये नियमों को ही रोस्टर पंजिका कहते हैं।
रोस्टर पंजिका अधिनियम कब लागू हुआ ? (Roster Register Act Applicable)
भारतीय संविधान के अनुसार यह अधिनियम पहले से ही लागू है। ताकी हर समाज वर्ग के व्यक्तियों को नौकरियों में भी स्थान दिया जाये। इसलिए उसी आधार पर भर्तियां की जाती है। लेकिन वर्ष 1993 में ओबीसी वर्ग अस्तित्व में आया। इससे पहले सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वर्ग को ही नौकरियों में प्रवधान था। लेकिन वर्ष 1997 से पहले रोस्टर पंजिका के अनुसार ही किए गए पदों में रखरखाव किया जाता था।
इसका मतलब यह था की जिस पद पर जो व्यक्ति रिटायर होता था या कोई व्यक्ति अपने पद को त्याग देता था। तब उसी पद पर उसी वर्ग का व्यक्ति को चयनित किया जाता था। लेकिन वर्ष 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय देते हुए कहा कि आरक्षण को निकाले गए पदों के आधार पर भरा जाए ना की खाली पद के आधार पर।
इसलिए रोस्टर पंजिका को अस्तित्व में लाकर इसमें बदलाव किया गया और कानून के तहत सभी वर्गों के लिए भर्तियों में सीटे रखी गयी और यह सुनिश्चित किया गया कि कितने वर्ग को कितनी सीटें मिलेंगी। यह सब रोस्टर पंजिका के तहत ही लागू किया गया।
रोस्टर पंजिका के तहत आरक्षण (Reservation Under Roster Register)
भारत में जितनी भी शिक्षा संस्थान है या नौकरियां है। उन सब को रोस्टर पंजिका नियम के अनुसार ही बांटा गया है। पहले यह अधिनियम 200 पॉइंट तक था। लेकिन अभी सरकार ने इसमें बदलाव करके 13 पॉइंट कर दिए। अब 200 पॉइंट और 13 पॉइंट क्या है?
इसे हम विस्तार से आपको नीचे बताते है जो निम्नलिखित है –
रोस्टर पंजिका के तहत 200 पॉइंट और 13 पॉइंट यूनिट
भारत में जितने भी विश्वविद्यालय है उन सब में जितने भी शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति की जाती थी। वह सब 200 पॉइंट के तहत ही कि जाती थी। इन 200 पॉइंट का मतलब होता था कि जितने भी आरक्षित वर्ग है। उन सब को 49.5 पॉइंट तक आरक्षण मिले और बाकी बचे 50.5 पॉइंट अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित किये जाते थे।
उदाहरण से समझे अगर पूरे भारतवर्ष में विश्वविद्यालयों के पदों के लिए नौकरी निकाली जाती थी। उन सब को एक ही यूनिट माना जाता था। जैसे कि 200 पदों के लिए भर्ती की जानी है। तो इनमें 200 पदों के लिए फार्मूला 49.5% और 50.5% के तहत ही चलता था। मतलब 49.5 % में आरक्षित वर्ग। जैसे कि अनुसूचित जाति (15%), अनुसूचित जनजाति (7.5%) और ओबीसी (27%) वर्ग के लोग आते है और 50.5% में बाकी अनारक्षित वर्ग के लोगों के लिए निर्धारित होती थी।
यह क्रम ऐसे ही एक यूनिट तक रिपीट होता था। उदाहरण जैसे 99 पद आरक्षित वर्ग के लिए और 101 पद अनारक्षित वर्ग के लिए होते थे।
रोस्टर पंजिका में 13 पॉइंट्स का काम (13 Point Work)
लेकिन जब सरकार ने रोस्टर पंजिका में बदलाव किया। तब इसको 13 प्वाइंट्स के तहत किया गया। इसका मतलब हुआ कि अब किसी भी विश्वविद्यालयों को एक यूनिट मानने की बजाय उसे 13 पॉइंट में डिवाइड करके सिर्फ एक विभाग को ही यूनिट माना जाने लगा। मतलब अगर किसी भी विभाग में 15 नौकरियां निकलती है तो उस स्थिति में 13 पॉइंट तक एक क्रम लिया जाएगा।
इस 13 पॉइंट्स में पहले तीन पद अनारक्षित वर्ग के लिए होगा। चौथा पद ओबीसी वर्ग के लिए होगा। पांचवा और छठा पद समान्य वर्ग के लिए होगा। फिर सातवां पद अनुसूचित जाति के लिए होगा। आठवां पद ओबीसी वर्ग के लिए होगा। नौवां, दसवां और ग्यारहवां पद समान्य वर्ग के लिए होगा। बारहवाँ पद ओबीसी वर्ग के लिए होगा। तेरहवां पद समान्य वर्ग के लिए होगा और चौदवां पद अनुसूचित जाति के लिये होगा। इस तरह यह 13 पॉइंट का यूनिट काम करेगा ।