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MP School : CM का फैसला- बंद हुए 1-12वीं के स्कूल, प्री-बोर्ड परीक्षा पर अपडेट, पदाधिकारी ने जताई आपत्ति Digital Education Portal

मध्यप्रदेश (MP) में एक बार फिर से कोरोना की तीसरी लहर (Corona third wave) ने स्कूलों (MP Schools) को निशाना बनाया है। दरअसल एक से लेकर 12वीं तक की कक्षाएं 31 जनवरी के लिए स्थगित कर दी गई है। इसके साथ ही MP School 1 से 12वीं तक की बच्चे की कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम (online) से ही आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही बोर्ड प्री बोर्ड परीक्षा (Pre-Board Exam) पर भी सीएम शिवराज ने बड़ा फैसला लिया।

दरअसल MP Board 10वीं और 12वीं प्री बोर्ड परीक्षा ओपन बुक माध्यम से आयोजित की जाएगी। छात्रों को स्कूलों से प्रश्न पत्र लेकर उसे घर पर ले जाकर उत्तर पुस्तिका में उसके उत्तर को हल करना होगा। इसके साथ ही साथ हल करने के बाद छात्र स्कूलों तक अपनी उत्तर पुस्तिका पहुंचाएंगे।

वही स्कूल बंद होने पर अब एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने शासन के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। इस मामले में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारी ने एक वीडियो जारी कर शासन के इस निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं। अधिकारी का कहना है कि दूसरे देशों के स्कूल कोरोना में भी खुले रहते हैं लेकिन यहां सबसे पहले स्कूलों को बंद किया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार ने 1 से 12वीं तक की कक्षाएं अचानक से बंद कर दी।

इस मामले में अब एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल सोनी ने वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के 50,000 एमपी बोर्ड स्कूलों के साथ ही अन्याय है। इतना ही नहीं प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि जो छात्र पढ़ना चाहते हैं। जिनके पास मोबाइल नहीं है डाटा नहीं है वह कैसे पढ़े हैं। उसके लिए उसने स्कूल आने क्यों नहीं दिया जा रहा है। ऐसे छात्रों की जिम्मेदारी किसकी होगी।

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इतना ही नहीं स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि बच्चे मॉल टॉकीज अपने परिवार के साथ जा रहे हैं तो उनकी जिम्मेदारी किसकी है। पहले स्कूल 50% समझा के साथ काम कर रहे हैं। वहीं कई ऐसे छात्र हैं, जिनके पास ना पैसा ना मोबाइल का इंटरनेट है। ऐसे में बच्चों को शिक्षा से दूर रखना बिल्कुल भी उचित नहीं है। पिछले 2 वर्षों में कोरोना के कारण स्कूलों के बंद होने से बचे पढ़ना लिखना भूल गए हैं। ऐसे में प्रतिबंध केवल स्कूलों पर क्यों।

सोनी ने यह भी कहा कि सारी प्रतिबंधित स्कूलों पर क्यों लगाए जा रहे हैं। सरकार 15 से 18 साल के छात्रों को वैक्सीन लगवा रही है। वहीं स्कूलों का कहना है कि स्कूल बंद होने से स्कूलों द्वारा जो कर्ज लिया गया है। उसका भुगतान कैसे किया जाएगा। साथ ही शिक्षकों को सैलरी का भुगतान किस तरह से किया जा सकता है। वहीं उन्होंने राज्य शासन से स्कूलों पर लगे प्रतिबंध को कम करने और पुनः स्कूलों को शुरू करने की बात कही है।

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