मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती Big Update : ट्राईबल अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति नहीं देने के कारण, उच्च माध्यमिक और माध्यमिक के 9 हजार पदों के लिए जारी नहीं हो पा रहे नियुक्ति पत्र, प्राथमिक शिक्षकों की नहीं शुरु हुई चॉइस फिलिंग, स्कूल शिक्षा विभाग ने तोड़े अपने ही नियम
Trible to DPI Teacher Appointment 2023

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मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं| स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात बीच में ही नए नियम लाकर ट्राइबल विभाग में नियुक्ति आदेश जारी होने का हवाला देकर स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति का अवसर प्रदान नहीं करने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग द्वितीय काउंसलिंग अंतर्गत चयनित अभ्यर्थियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी हैं| जिसको लेकर अभ्यर्थियों द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है एवं अब मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती को लेकर शिक्षा विभाग एवं जनजाति विभाग के मध्य मामला अटक गया है|
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मामला ट्राइबल (जनजाति विभाग) अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में चयनित होने के पश्चात भी अवसर नहीं देने का
trible to dpi teacher posting मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजाति विभाग के मध्य हजारों युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया है| बता दें कि मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जनजाति विभाग में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया वर्ष 2020 से प्रारंभ की गई थी| जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजाति विभाग दोनों विभागों द्वारा संयुक्त काउंसलिंग होना थी जिसके अंतर्गत अभ्यर्थियों के चयन पश्चात टीआरसी पोर्टल पर स्कूल चयन प्रक्रिया में दोनों विभागों के स्कूलों को दिखाना था जिसमें व्यक्ति जिन स्कूलों को चुनता उन्हें स्कूलों में मेरिट के क्रम में उसके नियुक्ति पत्र संबंधित विभाग द्वारा जारी किए जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तथा स्कूल शिक्षा विभाग एवं ट्राइबल जनजाति विभाग द्वारा अलग-अलग काउंसलिंग करके उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक की नियुक्तियां शुरू कर दी |
जनजातीय एवं स्कूल शिक्षा विभाग की संयुक्त काउंसलिंग नहीं होने के कारण खड़ी हुई उलझन
दोनों विभागों द्वारा संयुक्त काउंसलिंग ना करते हुए अलग-अलग काउंसलिंग करने के कारण ऐसे अभ्यर्थियों के नाम रिपीट हो रहे थे जिन्होंने किसी एक विभाग में नियुक्ति प्राप्त करनी है इसका ज्वाइन कर लिया है, जिसको लेकर अन्य अभ्यर्थियों द्वारा आपत्ति उठाई गई इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया के द्वितीय राउंड में चयनित अभ्यर्थियों के लिए नया नियम खड़ा कर दिया तथा उन्हें अब स्कूल शिक्षा विभाग में चयनित होने के पश्चात भी नियुक्ति आदेश जारी करने से मना कर दिया|
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शिक्षक भर्ती नियुक्ति प्रक्रिया में किया दोहरा नियम, अभ्यर्थियों ने कहा भेदभाव पूर्ण नीति ना अपनाए स्कूल शिक्षा विभाग
बता दें कि मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रथम काउंसलिंग में की गई भर्ती प्रक्रिया में जारी किए गए विज्ञापन एवं सेवा शर्तों में इस प्रकार का कोई उल्लेख या नियम नहीं था कि किसी एक विभाग में ज्वाइन करने वाले अभ्यर्थी दूसरे विभाग में ज्वाइन नहीं कर पाएंगे अथवा किसी एक विभाग में नियुक्ति आदेश जारी होने के कारण मात्र से ही अन्य विभाग में चयनित होने के पश्चात भी उन्हें नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया जाएगा|
इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रथम राउंड में चयनित अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति पत्र जारी किए गए तथा इसमें उन अभ्यर्थियों को भी मौका दिया गया जिनका चयन जनजाति विभाग में हो चुका था तथा जिन्होंने ज्वाइन कर लिया था | लेकिन इसी के विपरीत अब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा द्वितीय काउंसलिंग में चयनित अभ्यर्थियों को यह कह कर मौका नहीं दिया जा रहा है कि आपका ट्राइबल में नियुक्ति पत्र जारी हो चुका है, जबकि इसमें ऐसे कई अभ्यर्थी है जिन्होंने नियुक्ति पत्र ट्राइबल में जारी होने के बाद अभी तक जॉइनिंग भी नहीं किया है ऐसे में इन्हें नियुक्त नहीं माना जा सकता|
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग प्रक्रिया से पहले जारी किया जाना था नोटिफिकेशन, नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सरकार द्वारा अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त काउंसलिंग शुरू से ही की गई होती अथवा काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान ही इस प्रकार का नोटिफिकेशन या सूचना जारी की गई होती, कि स्कूल शिक्षा विभाग या जनजाति विभाग दोनों में से किसी भी एक विभाग में काउंसलिंग करवाने के पश्चात नियुक्ति आदेश जारी होने वाले अभ्यर्थियों को दूसरे विभाग में अवसर नहीं दिया जाएगा, तो यह न्याय संगत होता, एवं ऐसे अभ्यर्थी जो कि स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति पाना चाहते हैं, वे ट्राइबल डिपार्टमेंट की काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लेते |
लेकिन मध्य प्रदेश सरकार स्कूल शिक्षा विभाग तथा जनजाति विभाग दोनों द्वारा ही इस प्रकार का नोटिफिकेशन या सूचना या निर्देश काउंसलिंग प्रक्रिया के पूर्व या दौरान जारी नहीं किए गए| जिसके कारण अभ्यर्थियों द्वारा ट्राइबल डिपार्टमेंट की काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लिया गया|
स्कूल शिक्षा विभाग अनुकंपा नियुक्ति
पहले जनजाति विभाग की काउंसलिंग होने से बनी यह स्थिति
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जनजाति विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती की संयुक्त काउंसलिंग करना थी तो फिर अलग-अलग काउंसलिंग क्यों की गई ?
साथी सेकंड राउंड के दौरान पहली बार जनजाति विभाग द्वारा काउंसलिंग की गई जिसके कारण अभ्यर्थियों द्वारा जनजाति विभाग में ही काउंसलिंग में हिस्सा लिया गया लेकिन इनकी नियुक्ति पत्र जारी होने के पूर्व ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई, ऐसी स्थिति में अभ्यर्थियों द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग की काउंसलिंग प्रक्रिया में भी भाग लिया गया एवं अभ्यर्थियों का चयन स्कूल शिक्षा विभाग में भी हुआ , ऐसी स्थिति में कुछ अभ्यर्थियों द्वारा ट्राइबल डिपार्टमेंट ज्वाइन कर लिया गया तो कुछ के द्वारा अभी तक ट्राइबल डिपार्टमेंट ज्वाइन नहीं किया गया| ऐसी स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग को जनजाति विभाग में चयनित अभ्यर्थियों को भी मेरिट क्रम के अनुसार नियुक्ति का मौका देना चाहिए|
राइट टू चॉइस एवं राइट टू जॉब से वंचित करना असंवैधानिक, दोनों विभागों में से किसी एक विभाग को चुनना अभ्यर्थी की पसंद का अधिकार
हाई कोर्ट आदिवासी विभाग (ट्राइबल डिपार्टमेंट) के माध्यमिक शिक्षकों के चयन के मामले में च्वाइस फिलिंग करने स्कूल शिक्षा विभाग का पोर्टल खोलने के अंतरिम निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिका के अंतिम निराकरण तक परिणाम घोषित न करने की व्यवस्था दी है। मामला स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चयन सूची जारी करके आदिवासी विभाग में पदस्थ 2 शिक्षकों को स्कूल च्वाइस का विकल्प देने से वंचित किए जाने के रवैये को चुनौती से संबंधित है। इसी के विरोध में याचिका दायर की गई है।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती अक्टूबर, 2021 से चल रही है। व्यापमं द्वारा पात्रता परीक्षा- 2019 आयोजित की गई।
जिसके बाद आयुक्त लोक शिक्षण व आदिवासी विभाग द्वारा संयुक्त के स्थान पर अलग-अलग काउंसिलिंग कराए जाने से दोनों जगह हजारों शिक्षक चयनित हुए हैं। ऐसे में राइट टू च्वाइस व राइट टू जाब से वंचित करना असंवैधानिक है।
बहस के दौरान बताया गया कि जिस विभाग ने पहले नियुक्ति पत्र जारी किया अभ्यर्थियों ने वहीं ज्वाइन कर लिया। इसके बाद आयुक्त लोक शिक्षण ने चयन सूची जारी की। जिसके आधार पर अनेक शिक्षक अपने गृह नगर के समीपस्थ स्कूलों में पदस्थापना चाहते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि आदिवासी विभाग के स्कूल अधिसूचित क्षेत्रों में ही संचालित होते हैं। वहीं शिक्षकों का एक विभाग से दूसरे विभाग यानि लोक शिक्षण विभाग से आदिवासी विभाग में स्थानांतरण किए जाने का प्रावधान नहीं है। यही वजह है कि आदिवासी विभाग (ट्राइबल डिपार्टमेंट) में कार्यरत शिक्षक आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा संचालित स्कूलों में पसंद की पोस्टिंग चाह रहे हैं। किंतु स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा यह कहते हुए चयन से वंचित कर दिया गा कि संबंधित शिक्षक पहले से नियुक्त हैं।
जनजाति विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग में अभ्यर्थियों को मौका नहीं देने का पत्र, षड्यंत्रकारी रणनीति
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती के मामले में आयुक्त जनजाति विभाग द्वारा दिनांक 2 नवंबर 2022 को आयुक्त लोक शिक्षण स्कूल शिक्षा विभाग को एक पत्र लिखा गया, जिसमें जनजाति कार्य विभाग अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त कर चुके/नियुक्ति आदेश जारी उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग की चयन प्रक्रिया से बाहर रखने का अनुरोध किया गया|
इस पत्र में आयुक्त जनजाति विभाग द्वारा लिखा गया कि स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजाति विभाग द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया संयुक्त काउंसलिंग के माध्यम से हो रही है | ऐसे में जनजाति कार्य विभाग की संस्थाओं में शिक्षकों की कमी को देखते हुए जनजाति विभाग द्वारा नियुक्ति आदेश जारी किए गए अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग की चयन प्रक्रिया से बाहर रखा जाए जिससे कि जनजाति विभाग में शिक्षकों की कमी की पूर्ति हो सके |
जनजाति विभाग द्वारा जारी यह पत्र अभ्यर्थियों की जनजातीय ट्राइबल विभाग में नियुक्ति आदेश जारी होने के पश्चात काफी समय बाद पब्लिक डोमेन पर अपलोड किया गया | साथी इस में ट्राइबल विभाग में शिक्षकों की कमी का हवाला भी दिया गया जबकि यही प्रक्रिया प्रथम राउंड में भी की गई जिसमें ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों को भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं | इस प्रकार जनजाति विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग को लिखा गया यह पत्र एक षड्यंत्र का हिस्सा माना जा रहा है|
जनजाति विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग को ट्राइबल डिपार्टमेंट में चयनित अभ्यर्थियों को मौका नहीं देने के संबंध में लिखा गया पत्र यहां देखें 👇
trible-letter-to-dpiशिक्षकों के 27 हजार पदों पर भर्ती अटकी… प्राथमिक शिक्षक के 18 हजार पदों के लिए शुरू नहीं हो सकी च्वाइस फिलिंग
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 27,816 पदों पर शिक्षकों की होती है। स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत 18,527 प्राथमिक शिक्षकों को भर्ती के लिए एक महीने से फिलिंग की प्रोसेस शुरू नहीं हो पा रही है। इसके अलावा उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षकों के 9289 पदों के लिए नियुक्ति पत्र जारी नहीं हो पा रहे हैं। इस बार शिक्षकों की भर्ती के लिए दोनों विभागों की संयुक्त काउंसलिंग करने के निर्देश प्रसारित किए गए थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया|
ऐसे में निर्णय लिया है कि ऐसे उम्मीदवार जिन्हें किसी भी विभाग के लिए नियुक्ति पत्र जारी हुए थे. उन्हें इस बार नियुक्ति नहीं दी जाएगी| पर जनजातीय कार्य विभाग के नियुक्ति ले चुके उम्मीदवार स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों में ज्वाइन करना चाहते हैं। इनकी संख्या 1 हजार है। इसे लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे। वही डीपीआई आयुक्त अभय वर्मा का कहना है कि हम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। कोर्ट के आदेशानुसार कारवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट के निर्देश-पोर्टल ओपन करें स्कूल शिक्षा विभाग
ट्राइबल डिपार्टमेंट से स्कूल शिक्षा विभाग में जाने वाले याचिकाकर्ता उम्मीदवारों के एडवोकेट रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चॉइस फिलिंग कराने के निर्देश को दिए है। इसके लिए काउंसलिंग पोर्टल ओपन करने को कहा है। साथ ही अंतिम निराकरण तक रिजल्ट घोषित नहीं करने के निर्देश दिए गए है। गुरुवार को होने वाली सुनवाई टल गई है। अब मार्च के पहले सप्ताह में होगी।
उम्मीदवार बोले- हमें इसका अधिकार मिलना चाहिए कि कहां नौकरी करें, कहां नहीं….
उम्मीदवारों का कहना है कि जनजातीय विभाग के कहने पर उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग अपने स्कूल में जॉइनिंग नहीं दे रहा है। उम्मीदवारों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह कहां नौकरी करें और कहां नहीं, जबकि इससे पूर्व में हुई काउंसलिंग में उम्मीदवारों को यह अवसर दिया गया था। स्कूल शिक्षा विभाग भर्ती का इंतजार करते जनजातीय कार्य विभाग में ज्वाइन कर दिया। जब स्कूल शिक्षा विभाग के शुरू हुई तो इसमें शामिल हुए मेरिट के आधार पर लिस्ट में चयनित हुए | यह नियम अब बीच में लागू कर दिया। इसको लेकर कोर्ट में पहुंचे हैं। ऐसे 2 हजार उम्मीदवार परेशान हैं।
कारण- ट्राइबल में पोस्टेड उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग नहीं दे रहा नियुक्ति
स्कूल शिक्षा विभाग लेगा निर्णय – जनजाति विभाग
शिक्षकों की भर्ती के लिए दोनों विभागों के लिए संयुक्त काउंसलिंग की जा रही है, इसलिए निर्णय लिया गया कि जिन्हें पूर्व में नियुक्ति पत्र जारी हुए हैं, उन्हें दोबारा नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए जाएं ताकि अन्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सके । इस विषय में स्कूल शिक्षा विभाग निर्णय लेगा। काउंसलिंग के लिए नोडल डिपार्टमेंट है।
संजीव सिंह, आयुक्त जनजाति कार्य विभाग
स्कूल शिक्षा विभाग का कहना
जिन उम्मीदवारों को निति मिल चुकी है उन्हें शामिल नहीं करने का उद्देश्य यही है कि अन्य उम्मीदवारों को मौका मिले और स्कूलों के खाली पदों को जल्द भरे जा सके। हमारी कोशिश है कि मार्च के अंतिम सप्ताह से तक नियुक्ति पत्र जारी कर दी जाएंगे|
अभय वर्मा , आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश शिक्षक नियोजन प्रक्रिया 2018 स्कूल शिक्षा विभाग निर्देशिका
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित प्राथमिक शिक्षक माध्यमिक शिक्षक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 के लिए जारी की गई नियोजन की प्रक्रिया के परिशिष्ट 1 की कंडिका 4 में भी विकल्प चयन की सुविधा अभ्यर्थी को दिए जाने का उल्लेख है| इसके साथ ही इस नियोजन की प्रक्रिया में भी एक विभाग में चयन हो जाने पर दूसरे विभाग में शेयर नहीं होने के संबंध में किसी भी प्रकार का उल्लेख नहीं किया गया है |
शिक्षक भर्ती नियोजन 2018 स्कूल शिक्षा विभाग की निर्देशिका यहां से डाउनलोड कर सकते हैं 👇
28-08-18-GOVT-9कोर्ट के स्टे के बाद जनजातीय विभाग ने चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइन करने के लिए जारी की अधिसूचना
बता दें कि ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्ति पत्र जारी हुए एवं ज्वाइन करने वाले अभ्यर्थियों के कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद माननीय हाई कोर्ट द्वारा दिए गए अंतरिम स्टे ऑर्डर एवं अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग में चॉइस फिलिंग का अवसर देने के निर्देश के तत्काल पश्चात ही जनजाति कार्य विभाग मध्यप्रदेश द्वारा विभिन्न दिनांकों में जारी उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षकों के नियुक्ति आदेश का हवाला देते हुए उन्हें विभाग में निर्धारित समय अवधि में ज्वाइन करने के लिए सूचना जारी कर दी|
बता दे कि हाई कोर्ट जबलपुर बेंच द्वारा ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्त अभ्यर्थियों के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देशित किया था, कि वह ऐसे अभ्यर्थियों को जिनका चयन ट्राइबल डिपार्टमेंट में हुआ है, उन्हें भी स्कूल शिक्षा विभाग में चॉइस फिलिंग का अवसर प्रदान करें |
यह निर्देश माननीय हाईकोर्ट द्वारा 10 फरवरी 2023 को जारी किए गए एवं 20 फरवरी 2023 को ही मध्य प्रदेश जनजाति कार्य विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति आदेशों का हवाला देते हुए उन्हें दिनांक 27 फरवरी 2023 तक संबंधित शालाओं में ज्वाइन करने के लिए जाहिर सूचना जारी की गई|

हाईकोर्ट में स्कूल शिक्षा विभाग को जारी नोटिस का जवाब देने की समय सीमा 23 फरवरी 2023 थी | जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा औपचारिक प्रवृत्ति का जवाब प्रस्तुत करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में इसके समान ही एक केस को खारिज करने का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने का निवेदन किया गया|
इसके पश्चात अगले ही दिन जनजाति विभाग द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षकों को ज्वाइन करने के लिए निर्धारित समय सीमा 1 मार्च 2023 के जाहिर सूचना जारी की गई| इसके पश्चात प्राप्त होने वाले आवेदनों पर किसी भी प्रकार का विचार नहीं करने का भी लेख किया गया| जिससे कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी ट्राइबल डिपार्टमेंट में ज्वाइन कर ले|
ट्राइबल डिपार्टमेंट यानी कि जनजाति विभाग द्वारा इस प्रकार आनन-फानन में नियुक्ति पत्र जारी हुए अभ्यर्थियों को तत्काल जनजाति विभाग में ज्वाइन करने के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए जाहिर सूचना जारी की गई | जबकि नियुक्ति आदेश में ज्वाइन करने की समय सीमा का कोई भी उल्लेख नहीं है|
इस प्रकार जनजाति विभाग रणनीति पूर्वक विभागीय आदेश के तहत नियुक्त शिक्षकों को जनजाति विभाग में ही ज्वाइन करवाना चाहता है|
जनजाति विभाग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के आदेशों का हवाला देते हुए निर्धारित समय सीमा में विभाग में ज्वाइन करने के लिए जारी पत्र की प्रति यहां पर उपलब्ध करवाई जा रही है|

मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती : जनजाति विभाग में नियुक्त शिक्षकों को जल्द मिल सकती है कोर्ट से राहत
मध्य प्रदेश जनजाति विभाग द्वारा जारी नियुक्ति आदेश / नियुक्ति के कारण डीपीआई स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्रक्रिया से वंचित शिक्षकों के लिए हाईकोर्ट ही सहारा बना हुआ है| अभ्यर्थियों की माने तो शीघ्र ही उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है एवं हाईकोर्ट उनके पक्ष में फैसला दे सकता है| क्योंकि अभ्यर्थियों द्वारा जहां मौका मिला वहां पर चॉइस फिलिंग की गई है लेकिन उन्हें इसके आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग में चयन होने के बावजूद नियुक्ति पत्र जारी नहीं करना तथा चॉइस फिलिंग में हिस्सा लेने से वंचित करना संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध है|
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