अब हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई: MBBS प्रथम वर्ष के 3 विषयों से होगी शुरुआत, लेक्चर भी हिंदी में; पूरक किताबें तैयार करने के लिए कमेटी बनाई Digital Education Portal

विशेषज्ञों के अनुसार 150 छात्र यदि मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते हैं तो उनमें से 100 छोटे शहर या ग्रामीण परिवेश से आते हैं।
देश में पहली बार मप्र में मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में भी होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को इस आशय के आदेश जारी कर दिए। शुरुआत में एमबीबीएस पहले वर्ष के तीन विषय (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी व बायोकेमिस्ट्री) में यह प्रयोग किया जा रहा है।
सभी मेडिकल कॉलेजों में व्याख्यान के दौरान टीचर्स को हिंदी का उपयोग अनिवार्य होगा। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) हिंदी में पाठ्यपुस्तकों की अनुमति नहीं देता है, इसलिए राज्य सरकार किताबों में छेड़छाड़ की बजाय पूरक किताबें तैयार करेगी, जो हिंदी और इंग्लिश दोनों में होगी। इसके लिए कमेटी बनाई गई है। इसमें अटल बिहारी हिंदी विवि भोपाल से मार्गदर्शन लिया जाएगा।
भास्कर Explainer– डॉ. अपूर्व पौराणिक, न्यूरोलॉजिस्ट व सेवानिवृत्त प्राेफेसर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
Q. यह पहल व्यावहारिक रूप से सार्थक होगी? A. मैं इसका समर्थक हूं। इसमें चुनौती बहुत अधिक है। इसके लिए लेखकों की बड़ी टीम जुटाना होगी।
Q. एनएमसी इसकी अनुमति नहीं देता। फिर कैसे? A. मप्र सहित विभिन्न प्रांतीय सरकारें एनएमसी पर दबाव बना सकते हैं। उन्हें ना सिर्फ हिंदी बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी अनुमति देना चाहिए।
Q. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में ठहर पाएंगे? A. हम अंग्रेजी माध्यम का विकल्प नहीं हटाएंगे। हिंदी सिर्फ अतिरिक्त विकल्प के रूप में रहेगी।
Q. जटिल तकनीकी शब्दों की हिंदी कैसे होगी? A. यह सही है कि हर शब्द का हिंदी में अनुवाद संभव नहीं है। थोड़ा जटिल होगा। इसमें समय लगेगा। कुछ सालों का संक्रमण काल होगा। कई शब्द ऐसे हैं जिन्हें अंग्रेजी में ही रखना होगा।
Q. पूरी तरह हिंदी में करना उचित है? A. किताब 100 फीसदी हिंदी में नहीं होगी। तकनीकी शब्द का कुछ अंश, जिसे आसानी से अनुवादित कर सकें, वह हो जाएगा। तकनीकी शब्दों को वैसा ही लेना चाहिए। बाकी वाक्य हिंदी करेंगे तो छात्रों को सुविधा होगी।
150 में 100 छात्र छोटे शहरों से नहीं समझ पाते जटिल शब्द
विशेषज्ञों के अनुसार 150 छात्र यदि मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते हैं तो उनमें से 100 छोटे शहर या ग्रामीण परिवेश से आते हैं। किताबों में अंग्रेजी के जटिल शब्द आसानी से समझ नहीं आते। उनकेे लिए पूरक किताबें बनाई जाएंगी।
दो माह हिंदी व दो माह इंग्लिश से पढ़ाकर करेंगे आकलन
शुरू में हिंदी मीडियम के छात्रों को दो माह इंग्लिश व दो माह हिंदी में पढ़ाकर आकलन किया जाएगा। इसके लिए एक कंपनी की तलाश की जा रही है जो पता लगा सके कि हिंदी मीडियम की पृष्ठभूमि वाले छात्र को कहां परेशानी आ रही है।
कई देश खुद की भाषा में चलाते हैं पाठ्यक्रम
जर्मनी, चीन, रूस, फ्रांस, इटली सहित कुछ देशों में मेडिकल की पढ़ाई स्थानीय भाषा में ही होती है। सेवानिवृत्त डॉ. मनोहर भंडारी ने फिजियोलॉजी में हिंदी में थीसिस लिखी है। एमसीआई से इसके लिए विशेष अनुमति लेना पड़ी थी।
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