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MP में 11वीं, 12वीं क्लास खुलने पर फंसा पेंच: पेरेंट्स-स्कूल संचालक सप्ताह में 1 दिन क्लास के पक्ष में नहीं; बोले- पढ़ाई कुछ होगी नहीं, फीस का बोझ बढ़ेगा, यह पिछले आदेश की काॅपी
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MP में 11वीं, 12वीं क्लास खुलने पर फंसा पेंच: पेरेंट्स-स्कूल संचालक सप्ताह में 1 दिन क्लास के पक्ष में नहीं; बोले- पढ़ाई कुछ होगी नहीं, फीस का बोझ बढ़ेगा, यह पिछले आदेश की काॅपी

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  • स्कूल ड्रेस से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का खर्च बढ़ जाएगा

मध्य प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट स्कूल में 11वीं-12वीं की क्लास एक साल बाद 26 जुलाई से सप्ताह में एक दिन खुलने जा रही हैं। आदेश जारी होने के बाद अब पेरेंट्स से लेकर स्कूल संचालक तक विरोध में आ गए हैं। सभी का मानना है, सप्ताह में एक दिन क्लास होने से पढ़ाई तो होगी नहीं, उल्टा पेरेंट्स पर फीस का बोझ बढ़ जाएगा।

स्कूल ड्रेस से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा। क्लास में छात्र पेरेंट्स की अनुमति के बाद ही शामिल हो सकें। शासन का यह आदेश पिछले आदेश की काॅपी है। यही कारण है, अब इन्हीं सब बातों को लेकर निजी स्कूल संचालकों का अनऐडेड एसोसिएशन भी इसे लेकर जल्द ही मीटिंग करने जा रहा है। उसमें नई रणनीति तैयार की जाएगी। एसोसिएशन इसे शासन को देगा। उसके बाद ही कुछ हो पाएगा। ऐसे में अब सोमवार से स्कूल खुल तो जरूर जाएंगे, लेकिन क्लास लग पाएगी या नहीं स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही।

इंदौर में अभी मामला जिला क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी व प्रशासन के पाले में है। इसे लेकर रविवार दोपहर तक कोई बैठक नहीं हुई और न ही आदेश जारी किया गया। दरअसल, शासन ने 26 जुलाई का आदेश तो जारी कर दिया लेकिन संंबंधित शहरों में व्यवस्था को लेकर जिला क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की जवाबदेही तय की है। इंदौर प्राइवेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण खरात ने बताया कि सरकार का आशय सिर्फ 11वीं व 12वीं का ही नहीं है। इसके तहत 11वीं क्लास के ही मैथ्य, बॉयलॉजी, कॉमर्स, आर्ट सहित इनके भी अलग-अलग सेक्शन हैं। व्यवस्था के तहत हर छात्र हफ्ते में केवल एक बार ही क्लास अटैण्ड कर सकेगा जबकि स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों व कर्मचारियों को पूरा वेतन देना होगा। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं रहेगा कि क्लास में कितने बच्चे आ रहे हैं। वैसे भी सालों से सरकारी स्कूलों में बच्चों की क्षमता कम है, ऐसे में प्राइवेट स्कूलों पर आर्थिक भार ज्यादा आएगा। बकौल खरात स्कूल खोलना फायदेमंद हैं लेकिन हर पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है।

अभिभावकों की ही जवाबदेही तय कर दी

इंदौर पालक संघ के अध्यक्ष अनुरोध जैन का कहना है कि सरकार पहले तय करे कि बच्चों की शिक्षा जरूरी है या सुरक्षा। सरकार एक्शन पहले लेती है और परिणाम देखने के बाद रिएक्शन करती है। संघ ने हाल ही में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन व शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार को इसे लेकर एक पत्र लिखा है। इसमें बताया गया कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को ही है। अभी 11वीं व 12वीं की क्लासेस शुरू होने पर अभिभावकों की ही जवाबदेही तय कर दी गई है कि वे बच्चों को स्कूल भेजने के पहले अपनी सहमति जरूर दें।

वैक्सीनेशन के लिए 16 वर्ष की उम्र हो

जैन ने बताया कि वैसे 11वीं व 12वीं क्लास में पढ़ने वालों की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच होती है। ऐसे में जरूरी है कि वैक्सीनेशन के लिए उम्र 18 के बजाय 16 वर्ष कर दी जाए जिससे लाखों बच्चे सुरक्षित हो जाएंगे। अभी स्थिति यह है कि अभी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है जो व्यवहारिक नहीं है। इससे पढ़ाई का स्तर गिर रहा है। इसके लिए ऑफ लाइन शिक्षा ही बेहतर है लेकिन जिन स्थितियों में बच्चों को स्कूल भेजा जाएगा वह जोखिमभरा है। ऐसे में शिक्षा जरूरी है या सुरक्षा, यह सरकार व अभिभावकों, दोनों के लिए सवाल है।

बिना सुरक्षा के स्कूल खोलना ठीक नहीं

जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि अव्वल तो बिना वैक्सीनेशन और पूरी सुरक्षा के स्कूल नहीं खोले जाएं। ट्यूशन फीस के नाम से पूरी फीस ली जा रही है, इसका निराकरण कर उचित ट्यूशन फीस तय करवाई जाएं। स्कूल फीस के कारण कई बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी गई है जिसे शुरू करवाया जाए। फीस के कारण टीसी नहीं दी जा रही है जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह रुक गई है। फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों को तत्काल टीसी दिलवाई जाएं जिससे वे अपने बच्चों को किसी सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलवा सकें। फीस के कारण बच्चों के रिजल्ट व प्रमोशन रोके गए हैं वो जारी करवाए जाएं। स्कूल में लेट फीस मांगी जा रही है उसे बंद करवाया जाएं।

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परिवारों के खर्चें भी बढ़ेंगे

वैसे भले ही बच्चा हफ्ते में एक दिन स्कूल जाए लेकिन इससे अभिभावकों को आर्थिक तंगी के दौर में खर्चा और बढ़ेगा। वह इसलिए कि अभी स्कूलों द्वारा ज्यादा फीस ली जा रही है। अब बच्चों के लिए नई यूनिफाॅर्म भी खरीदनी होगी। घर से स्कूल आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की जरूरत होगी। अभी स्थिति यह है कि प्राइवेट स्कूल वाहन संचालक भी दो महीने का एडवांस लेते हैं। ऐसे में अगर वे खुद बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाएंगे तो परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

स्कूल खोलने के पक्ष में

नहेरू नगर निवासी पुनीत अग्रवाल का कहना है, सप्ताह में एक दिन स्कूल खुलें या फिर महीने भर खुलें, फीस तो पूरी देना होगा। बच्चे की यूनिफाॅर्म से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का खर्च बढ़ जाएगा। ऐसे में सिर्फ सप्ताह में एक दिन स्कूल भेजने से बच्चा कितना पढ़ पाएगा। सरकार का यह निर्णय गलत है। अभी तो वैसे भी हम स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं। बच्चों को वैक्सीन लगी नहीं है। अगर वह बाहर जाएगा, तो बीमार होगा। बच्चे एक-दूसरे के संपर्क में जरूर आएंगे, इसलिए अभी स्कूल नहीं खुलना चाहिए।

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स्कूल खुलें, लेकिन सख्ती जरूरी

चूनाभट्‌टी में रहने वाली ममता मिश्रा का कहना है कि स्कूल खुलना बच्चों और पेरेंट्स दोनों के लिए अच्छा है। आउटडोर एक्टिविटी से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है, लेकिन सिर्फ एक दिन स्कूल लगना विकल्प नहीं है। सभी तरह की सावधानियों के साथ ज्यादा दिन के लिए स्कूल खुलना चाहिए। हां, फीस का मुद्दा सबसे अहम है। सरकार को इसके बारे में कुछ सोचना होगा, ताकि स्कूल खुलें, तो बच्चे पढ़ सके और पेरेंट्स पर आर्थिक बोझ न बने।

स्कूल खुलने का स्वागत, लेकिन ज्यादा दिन खुलना जरूरी

अनऐडेड एसोसिएशन के सचिव बाबू थॉमस ने कहा कि हम स्कूल खोलने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन सप्ताह में सिर्फ एक दिन स्कूल खुलने से परेशानी होगी। इसमें बच्चों से फीस से लेकर ट्रांसपोर्ट के मुद्दे को लेकर समस्या आएगी। इसके साथ ही कई मुद्दे हैं, जिसे लेकर हम बैठक करने जा रहे हैं। इसके बाद सभी निजी स्कूलों की तरफ से स्कूल खुलने को लेकर एक पत्र शासन को देंगे, ताकि स्कूल सप्ताह में कम से कम 3 दिन खुलें।

पिछले आदेश की काॅपी है

26 जुलाई से 11वीं और 12वीं की क्लास खोलने के आदेश पिछले आदेश की काॅपी है। इससे पहले शासन ने पिछले साल सितंबर और फिर दिसंबर में स्कूल शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यह सभी नियम और गाइड लाइन उस आदेश में भी थी। नए आदेश में कुछ खास नहीं है।

स्कूल संचालक- एक दिन से अच्छा तो ऑनलाइन ही सही है

एनी बेसेंट स्कूल के संचालक मोहित यादव ने बताया, ऑर्डर कल ही आए हैं। ऐसे में स्कूल खोलने को लेकर अभी प्लान नहीं हुआ है। क्लास के हिसाब से 50% बच्चों को बिठाएंगे। यदि कोई बच्चा पहली बेंच पर बैठा है, तो एक छोड़कर तीसरी बेंच पर दूसरे बच्चे की सीट होगी। सरकार का एक दिन स्कूल बुलाने का डिसीजन न बच्चों के हित में है और न ही स्कूल वालों के। इससे अच्छा वह ऑनलाइन ही पड़ लेगा। क्योंकि ऑफलाइन के साथ ऑनलाइल क्लास भी चलेंगी, इसलिए टीचर पर दोहरा भार आ जाएगा। पिछली बार लॉकडाउन में जो 50% के साथ खोला था। वह अच्छा निर्णय था। स्कूल बस की बात करें तो उसे संचालित करना अभी संभव नहीं होगा। क्योंकि उसमें भी 50% को ही लेकर आना है। ऐसे में 5-10 बच्चों को लेकर आना संभव नहीं है।

पेरेंट्स पर यह पढ़ेगा बोझ

  • अभी सिर्फ ट्यूशन फीस ली जा रही है। क्लास खुलने के बाद ट्यूशन फीस के साथ अन्य तरह की फीस जुड़ जाएंगी। यही नहीं इस बार पिछले की तुलना में करीब 10% का इजाफा कर दिया गया है।
  • यूनिफाॅर्म भी लेना होगा। अभी बच्चों की ऑनलाइन क्लास होने के कारण यूनिफॉर्म आदि खरीदनी नहीं पढ़ रही है। क्लास शुरू होने से बच्चा चाहे एक दिन के लिए स्कूल जाए, उसे यूनिफॉर्म लेना जरूरी होगा।
  • घर से स्कूल आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की जरूरत होगी। स्कूल से लेकर प्राइवेट स्कूल वाहन संचालक भी दो महीने का एडवांस लेते हैं। ऐसे में अभिभावकों को खुद ही बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाना होगा।

इसलिए एक दिन क्लास लगेगी

  • 11वीं और 12वीं क्लास की सप्ताह में दो-दो दिन क्लास रहेगी। एक बार में सिर्फ 50% बच्चों को ही बुलाया जा सकेगा। इस हिसाब से एक बच्चे को सप्ताह में सिर्फ एक ही दिन स्कूल आना होगा।
  • 9वीं और 10वीं के बच्चों को सप्ताह में एक दिन ही आना है। एक दिन में सिर्फ 50% के नियम के कारण एक बच्चा दो सप्ताह में सिर्फ एक ही दिन क्लास अटेंड कर पाएगा।

यह भी नियम

  • बच्चे पेरेंट्स के अनुमति पत्र स्कूल में जमा करने के बाद ही क्लास अटेंड कर पाएंगे।
  • सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ ही सैनिटाइजर की व्यवस्था भी कराना जरूरी है।
  • बसों में भी सिर्फ 50% क्षमता में ही बच्चों को लाया ले जाया जा सकेगा।
  • बच्चों के बीमार होने पर उसके इलाज से लेकर सूचना देने तक की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की।
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