इस्पात इरादों से नीरज सक्सेना बने इस्पात मंत्रालय के ब्रांड एम्बेसडर जो समाज में शिक्षा का अलख जगाते है वहीं सच्चे गुरु कहलाते है…

इस्पात इरादों से नीरज सक्सेना बने इस्पात मंत्रालय के ब्रांड एम्बेसडर
जो समाज में शिक्षा का अलख जगाते है वहीं सच्चे गुरु कहलाते है…
निश्चय दृढ़ हो तो कोई मंजिल कठिन नहीं होती। इस बात को साबित कर दिखाया है रायसेन जिले में सालेगढ़ गांव के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक श्री नीरज सक्सेना के अनूठे प्रयास देश में नज़ीर बन गए हैं। नीरज ने आदिवासी अंचल में जंगल के पास बने सरकारी स्कूल को अपने भगीरथी प्रयासों से निजी स्कूल के समकक्ष खड़ा कर दिया है। आपको बता दे कि नीरज सक्सेना तब चर्चा में आए थे, जब वह साढ़े चार किलोमीटर लबे जंगल के रास्ते से स्कूल के विद्यार्थियों के लिए बैलगाड़ी से किताबें लेकर पहुंचे थे। विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों को देखते हुए Ministry of Steel, Government of India ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है।
कक्षा में थे 15 बच्चे, नीरज के प्रयासों से आज यहां पढ़ रहे है 94 छात्र
सालेगढ़ गांव में जंगल के समीप एक टोला पर प्राथमिक स्कूल बना हुआ है। सन 2009 में दो कमरों के इस स्कूल में नीरज यहां शिक्षक के रूप में पदस्थ हुए तब मात्र 15 बच्चे थे और कभी-कभी पढ़ने आते थे। नीरज ने पहले माता को विद्यालय बुलाकर बात करना शुरु की और उसके बाद स्वयं के प्रयासों से विद्यालय को पर्यावरण के अनुरुप और बच्चों के शैक्षणिक ज्ञान के लिए तख्तियां बनाकर परिसर में लगाई। आज नीरज के प्रयासों से स्कूल के बच्चों की संख्या 94 हो गई है। इन सभी बच्चों में पढ़ाई का जुनून है।