राजधानी लखनऊ के निशातगंज शिक्षा निदेशालय पर सहायक अध्यापक अभ्यर्थियों (Assistant teacher candidates) ने शनिवार को आरक्षण को लेकर प्रदर्शन किया। आरक्षण (reservation) का नियमो से पालन न किये जाने से नाराज सहायक अध्यापक अभ्यर्थियों ने हाथ में बैनर और तख्ती लेकर प्रदर्शन किया।
भर्ती में आरक्षण को लेकर नियमता कार्य किये जाने की मांग
उनका कहना है कि आरक्षण को लेकर आयोग ने किसी भी भर्ती किये जाने पर स्टे है। सरकार फिर भी 69 हजार शिक्षक भर्तियों में 31 हजार 661 का भर्ती का जिओ जारी किया है।
सहायक अध्यापक अभ्यर्थियों ने भर्ती में आरक्षण को लेकर नियमता कार्य किये जाने की मांग की।
मुख्यमंत्री के पास इसका क्या जवाब है?
आपको बता दें कि इस मामले में समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के महाघोटाले के मामले में पक्षपात क्यों हो रहा है? मुख्यमंत्री के पास इसका क्या जवाब है? प्रदेश के 69000 युवा अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों के पद पर भर्ती की आस लगाए थे। एक लाख पैंतालिस हजार उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की कांउसिलिंग भी शुरू हो गई थी।
मुख्यमंत्री को सार्वजनिक क्षमा याचना करनी चाहिए
उच्च न्यायालय को इन भर्तियों में कुछ अनियमितताओं और आरक्षण की अवहेलना की शिकायतें मिली। कुछ प्रश्नों और उनके उत्तरों पर भी विवाद रहा। यह स्पष्ट रूप से राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा घोर लापरवाही और पारदर्शिता न बरतने का मामला है। हजारों नौजवानों की जिंदगी से इस खिलवाड के लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक क्षमा याचना करनी चाहिए
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