दिव्यांग बच्चों की नियमित देखभाल, इलाज और पढ़ाई के लिए प्रदेश के सभी जिलों में दिव्यांगों के लिए विशेष स्कूल और काउंसलिंग सेंटर खोले जाएंगे। इन सभी में नई भर्ती की जाएगी। प्रत्येक सेंटर में कम से कम 12 कर्मचारियों का स्टाफ होगा। इस प्रकार पूरे मध्यप्रदेश में 600 से अधिक लोगों को नौकरी मिलेगी।
विकलांग व्यक्तियों के लिए स्वैच्छिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना विकलांग (डीडीआरएस) का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर, समानता, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना है।
दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना क्या है?
दिव्यांगों के सशक्तिकरण हेतु योजना की शुरुआत वर्ष 1999 में की गई थी, जिसे बाद 1 अप्रैल 2018 कोदीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजनाका संशोधन किया गया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की द्वारा इस योजना का संचालन किया जाता है। योजना के अंतर्गत सरकार दिव्यंगों के लिए शिक्षा, पुनर्वास व अन्य कार्य करने वाले स्वसहायता समूहों (NGO) को धनराशि प्रदान करती है। दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना की जागरूकता के लिए समय-समय पर सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाता है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय दिव्यांग कल्याणकारी योजना का लाभ
Deendayal Viklang Punarvas Yojana के लिए 90 प्रतिशत तक का अनुदान केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है।
केंद्र सरकार दिन्यांगों को हर जरूरी सुविधा देने के लिए राज्य सरकारों और जिला अधिकारियों की मदद से फंड को स्वसहायता समूहों (NGO) तक पहुंचाती हैं।
दिव्यांगों के कल्याण हेतु हर वर्ष 600 से भी ज्यादा स्वसहायता समूहों (NGO) के लिए अनुदान दिया जाता है।
स्वसहायता समूहों (NGO) द्वारा विकलांगों को अच्छी शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सम्बंधित सुविधा भी प्रदान की जाती है।
आस-पास के क्षेत्र में विकलांगों की पहचान कर उन्हें सुविध दी जाती है और सरकार के समक्ष डाटा एकत्रित कर पेश किया जाता है।
व्यवसाय और नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं, इसके लिए उन्हें लोन भी मुहैया करवाया जाता है।
प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, तूफ़ान में फंसे विकलांगों को सुरक्षित निकालना।
बस, ट्रेन टिकट की व्यवस्था करवाना।
दिव्यांग के परिवार को सही सलाह देना, जैसी आदि सुविधा NGO द्वारा दी जाती है।
हर वर्ष 35 हजार से 40 हजार से अधिक लाभार्थियों को इन सेवाओं का लाभ दिया जाता है।
डिपार्टमेंट ऑफ इंपावरमेंट पर्संस विथ डिसेबिलिटी (डीईपीडब्ल्यूडी) ने दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना की नई गाइड लाइन जारी की है। इसके तहत प्रदेश के हर जिला मुख्यालय पर डिसेबिलिटी थैरेपी और काउंसलिंग सेंटर खुलेंगे। इसके लिए सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा जगह चिन्हित कर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। केंद्र से राशि स्वीकृत होने के बाद यह सेंटर बनाए जाएंगे। इन सेंटरों में 0 से 6 साल तक के दिव्यांग बच्चों के लिए चिकित्सा सुविधा, पुनर्वास, देखभाल, प्री-स्कूल प्रशिक्षण की सुविधाएं मिलेंगी।
एक सेंटर पर 50 लोगों की व्यवस्था: प्रत्येक सेंटर पर 50 लोगों की सुविधा के लिए फर्नीचर आदि की सुविधाएं की जाएंगी और इसमें 12 लोगों का स्टॉफ मौजूद रहेगा। एक सेंटर में 50 लोगों के लिए बैंच, टेबल, चेयर, कपबोर्ड, जिम, स्पोटर्स, रिहैबिलेशन इक्यूपमेंट्स, ओटी-पीटी इक्यूपमेंट्स, स्पीच एंड लेंग्वेज इंटरवेंशन इक्यूपमेंट्स, फिजियोलॉजी लैब इक्यूपमेंट्स, टीचिंग एंड लर्निंग मटेरियल आदि लगाए जाएंगे। इसके अलावा कम्प्यूटर की व्यवस्था भी की जाएगी। इन सुविधाओं के लिए 2.5 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा 12 लोगों के स्टॉफ में क्लीनिकल रिहैब, फिजियोलॉजिस्ट कम को-ऑर्डिनेटर, रिहैब एंड स्किल एजुकेटर (विशेष शिक्षक), ऑक्यूपेशनल थैरेपी, फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी कम ऑडियोलॉजिस्ट, अटेंडेंट, डॉक्टर आदि रहेंगे।
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