केंद्र सरकार रिटायरमेंट : कर्मचारियों में मचा हड़कंप , दो संयुक्त निदेशकों को समय पूर्व रिटायरमेंट देकर भेजा घर
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केंद्र सरकार रिटायरमेंट : सार डीओपीटी ने समय पूर्व रिटायरमेंट को लेकर 28 अगस्त को एक पत्र जारी किया था। इसके तीसरे दिन यानी 31 अगस्त को लोकसभा सचिवालय में कार्यरत संयुक्त निदेशक, प्रणव कुमार और कावेरी जेसवाल को क्लॉज-1 ऑफ रूल 56 ऑफ एफआर व रूल ऑफ लोकसभा सचिवालय (भर्ती एवं सेवा शर्त) रूल्स 1955 के अंतर्गत रिटायरमेंट करने का आदेश जारी कर दिया गया…
केंद्र सरकार रिटायरमेंट : केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट को लेकर बड़ा फैसला नौकरी के 30 साल पूरे होने पर जनहित में कभी भी किया जा सकता है रिटायर
केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह जारी अपने उस आदेश पर अमल शुरू कर दिया है, जिसमें अफसरों और कर्मियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति देने की बात कही गई थी। इसकी शुरुआत लोकसभा सचिवालय से हुई है। वहां कार्यरत दो संयुक्त निदेशक, प्रणव कुमार और कावेरी जेसवाल को 31 अगस्त के दिन समय पूर्व रिटायरमेंट देकर घर भेज दिया गया है।
केंद्र सरकार रिटायरमेंट नियमानुसार, उन्हें तीन माह का अग्रिम वेतन एवं दूसरे भत्ते प्रदान किए गए हैं।
इस सूचना के बाहर आते ही केंद्र सरकार के दूसरे अफसरों व कर्मियों में हड़कंप मच गया है। सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों और विभागों में निचले स्तर से लेकर आला ओहदे पर बैठे सभी कर्मियों की समीक्षा रिपोर्ट तलब की है। हालांकि इनमें वे अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, जिनकी आयु 50-55 वर्ष से ज्यादा या उनका सेवाकाल तीस साल से अधिक हो गया है।
पूर्व रिटायरमेंट को लेकर 28 अगस्त को एक पत्र जारी किया
केंद्र सरकार रिटायरमेंट : खास बात है कि डीओपीटी ने समय पूर्व रिटायरमेंट को लेकर 28 अगस्त को एक पत्र जारी किया था। इसके तीसरे दिन यानी 31 अगस्त को लोकसभा सचिवालय में कार्यरत संयुक्त निदेशक, प्रणव कुमार और कावेरी जेसवाल को क्लॉज-1 ऑफ रूल 56 ऑफ एफआर व रूल ऑफ लोकसभा सचिवालय (भर्ती एवं सेवा शर्त) रूल्स 1955 के अंतर्गत रिटायरमेंट करने का आदेश जारी कर दिया गया।
केंद्र सरकार रिटायरमेंट : इन दोनों अफसरों को यह अंदाजा नहीं था कि केंद्र सरकार समय पूर्व रिटायरमेंट सूची में सबसे पहला नाम उन्हीं का लिखेगी।
इन दोनों अफसरों को अपने समय पूर्व सेवानिवृत्ति के कागजात पर हस्ताक्षर करने पड़े। केंद्र सरकार के आदेश में यह बात कही गई थी कि आवधिक समीक्षा के नियम को अब सख्ताई से लागू किया जाएगा। आवधिक कार्य समीक्षा रिपोर्ट और जनहित, इन दोनों के मद्देनजर किसी भी अधिकारी या कर्मी को उसके तय रिटायरमेंट से पहले घर भेजा जा सकता है। समय पूर्व रिटायरमेंट कोई पैनल्टी नहीं है। पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि जनहित में, विभागीय कार्यों को गति देने, अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक कार्य कुशलता बढ़ाने के मकसद से मूल नियम ‘एफआर’ व सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 के तहत समय पूर्व रिटायरमेंट दी जा सकती है। सरकार ने अपनी इस मुहिम के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया था।
समय पूर्व रिटायरमेंट को दंड न माना जाए
समय पूर्व रिटायरमेंट को दंड न माना जाए डीओपीटी के मुताबिक, समय पूर्व रिटायमेंट देना, जबरन सेवानिवृत्ति नहीं है। इसे दंड न माना जाए। किसी भी सक्षम अथॉरिटी को यह अधिकार है कि वह किसी भी सरकारी कर्मचारी को एफआर 56(जे)/रूल्स-48 (1) (बी) ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत अधिकारी व कर्मी को समय पूर्व सेवानिवृत्ति पर भेजे जाने का आदेश जारी कर सकती है। हालांकि ऐसे केस में जनहित को देखा जाता है।
ग्रुप ए और बी के लिए ऐसे मामलों में संबंधित कर्मचारी को तीन माह का अग्रिम वेतन देकर रिटायर कर दिया जाता है। यदि कोई कर्मचारी जो ग्रुप ए और बी में तदर्थ या स्थायी क्षमता में कार्यरत है, उसने 35 साल की आयु से पहले सरकारी नौकरी ज्वाइन की हो तो उस स्थिति में कर्मी की आयु 50 साल होने पर या सेवाकाल के तीस वर्ष पूरे होने के बाद, जो भी तिथि पहले आती हो, उसे रिटायरमेंट का नोटिस दिया जा सकता है। अन्य केस में 55 साल की आयु के बाद रिटायरमेंट देने का नियम है।
ग्रुप सी के लिए
ग्रुप सी के लिए अगर कोई कर्मचारी ग्रुप सी में है और वह किसी पेंशन नियमों द्वारा शासित नहीं है, तो उसे तीस साल की नौकरी पूरी होने के बाद तीन माह का नोटिस देकर रिटायर किया जा सकता है। रूल्स-48 (1) (बी) ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत किसी भी उस कर्मचारी को, जिसने तीस साल की सेवा पूरी कर ली है, उसे भी सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल होते हैं, जो पेंशन के दायरे में आते हैं। ऐसे कर्मियों को रिटायमेंट की तिथि से तीन माह पहले नोटिस या तीन माह का अग्रिम वेतन और भत्ते देकर सेवानिवृत्त किया जा सकता है।
पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा डीओपीटी
पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा डीओपीटी के आदेशों में यह भी कहा गया है कि जिन कर्मियों को समय पूर्व रिटायरमेंट पर भेजा जाएगा, उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है। वह कर्मी समय पूर्व सेवानिवृत्ति आदेश जारी होने की तिथि से तीन सप्ताह के भीतर रिप्रेजेंटेशन कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है। सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) 1972 के नियम 56(J) के अंतर्गत 30 साल तक सेवा पूरी कर चुके या 50 साल की उम्र पर पहुंचे अफसरों की सेवा समाप्त की जा सकती है।
संबंधित विभाग से ऐसे अफसरों की जो गोपनीय रिपोर्ट तलब की जाती है, उसमें भ्रष्टाचार, अक्षमता व अनियमितता के आरोप देखे जाते हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं तो अफसरों को रिटायरमेंट दे दी जाती है। ऐसे अधिकारियों को नोटिस एवं तीन महीने के वेतन-भत्ते देकर घर भेजा जा सकता है। लोकसभा सचिवालय में कार्यरत दो संयुक्त निदेशक, प्रणव कुमार और कावेरी जेसवाल को उक्त नियमों के आधार पर ही समय पूर्व रिटायरमेंट दी गई है। इनके आदेशों में तीन माह के वेतन का जिक्र किया गया है।
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