भारतीय रिजर्व बैंक ने 17 अगस्त, 2021 को देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) की सीमा को मापने और सुधारने के लिए अपना पहला वित्तीय समावेशन सूचकांक पेश किया है.
RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-इंडेक्स) प्रत्येक वर्ष जुलाई में प्रकाशित होता है. यह एक व्यापक सूचकांक है जिसमें बैंकिंग, बीमा, निवेश और डाक के साथ-साथ पेंशन क्षेत्र का विवरण भी शामिल होता है. यह सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बनाया गया है.
मार्च, 2021 को समाप्त अवधि के लिए RBI के वार्षिक वित्तीय समावेशन सूचकांक की पहली रीडिंग मार्च, 2017 को समाप्त अवधि के 43.4 अंकों के मुकाबले 53.9 अंकों पर आ गई है.
वित्तीय समावेशन सूचकांक: मुख्य विशेषताएं
• इस वित्तीय समावेशन सूचकांक ने वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं के बारे में 0 से 100 के बीच एक ही मूल्य में जानकारी प्राप्त की है.
• जहां शून्य वित्तीय बहिष्करण का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है.
• इस वित्तीय समावेशन सूचकांक को तीन व्यापक मानकों के आधार पर तैयार किया गया है –
- उपयोग (45 प्रतिशत)
- पहुंच (35 प्रतिशत)
- गुणवत्ता (20 प्रतिशत)
• इन मापदंडों की गणना 97 संकेतकों के आधार पर की गई थी.
• यह वित्तीय समावेशन सूचकांक सेवाओं की पहुंच, उपलब्धता और उपयोग में आसानी के साथ ही इन सेवाओं की गुणवत्ता के लिए उत्तरदायी होगा.
महत्त्व
RBI के अनुसार, इस सूचकांक की एक अनूठी विशेषता गुणवत्ता पैरामीटर है जो वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण और सेवाओं में असमानताओं और कमियों द्वारा परिलक्षित वित्तीय समावेशन के गुणवत्ता पहलू को दर्शाती है.
इस सूचकांक का निर्माण बिना किसी ‘आधार वर्ष’ के किया गया है, क्योंकि यह वर्षों से वित्तीय समावेशन की दिशा में, सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है.
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