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सीएम राइज: कम नंबर वाले शिक्षक मौजूदा स्कूल में रिटेन, मेरिट वाले सौ किलोमीटर दूर भेजे Digital Education Portal

सवाल उठने पर अधिकारियों का अजीब तर्क- मेरिट चयन का आधार था, पदस्थापना का नहीं।

सीएम राइज स्कूलों के पहले ही चरण में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में मेरिट को दरकिनार करके मनमाने ढंग से पोस्टिंग दी गई। जबकि पहले घोषित चयन प्रक्रिया साफ थी। परीक्षा में ज्यादा नंबर लाओ, पसंदीदा स्कूल पाओ। रिजल्ट आया ताे टॉपर्स को पसंदीदा स्कूल ताे नहीं ही मिले, उल्टे 100 किमी दूर स्कूल दे दिए गए।

आपत्ति आई तो पता चला कि न्यूनतम पासिंग मार्क्स लाने वाले सीएम राइज स्कूल के शिक्षकों को मौजूदा स्कूलों में ही रिटेन कर लिया गया है। शिक्षकों ने सवाल उठाए, चयन प्रक्रिया में यह नियम था ही नहीं। सीएम राइज स्कूल में बने रहने के लिए कट ऑफ मार्क कितने होंगे, यह भी घोषित नहीं किया गया।

शिकायतों के बाद पक्ष रखने आए लोक शिक्षण संचालनालय के एडिशनल डॉयरेक्टर डीएस कुशवाह ने अजीब तर्क दे डाला। कहा, मेरिट चयन का आधार जरूर था, पदस्थापना का नहीं। पदस्थापना में यह देखा है कि बड़े पैमाने पर सीएम राइज स्कूल का स्टाफ प्रभावित न हो। इसलिए न्यूनतम अंक वालों को भी उसी स्कूल में रिटेन कर लिया। इस स्कूल के लिए च्वाइस फिलिंग करने वाले को पास के सीएम राइज स्कूल में जाने का विकल्प दे दिया।

केस 1 विकास चौहान भोपाल में पुतली घर हायर सेकंडरी स्कूल में हैं। परीक्षा में 35 अंक आए। च्वाइस में निशातपुरा समेत भोपाल के 6 स्कूल चुने पर बाहर पोस्टिंग दे दी। निशातपुरा में 33 अंक वाले को रखा।

केस 2 विभा राय रायसेन के बरखेड़ा स्टेशन स्कूल में शिक्षक हैं। उनके जिले में सबसे अधिक 50 अंक थे। जिन तीन स्कूलों का विकल्प भरा, उनके बजाय घर से 100 किमी दूर उदयपुरा में ट्रांसफर कर दिया।

  • 275 सीएम राइज स्कूल पहले चरण में
  • 4000 अध्यापकों और सहयोगी स्टाफ का चयन

134 ने उठाए सवाल, 20 शिक्षक हाईकोर्ट पहुंचे

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134 शिक्षकों ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। 20 शिक्षक हाईकोर्ट चले गए हैं। शुक्रवार एडिशनल डायरेक्टर कुशवाह ने बताया कि मौजूदा स्कूल में बने रहने के लिए 50% अंक हासिल करना ही काफी था। कुछ शिक्षक सीएम राइज स्कूल में पदस्थापना का काम देख रहीं डीपीआई की एडिशनल डायरेक्टर कामना आचार्य के पास शिकायत लेकर पहुंचे तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। प्रदेश में करीब 500 से अधिक शिक्षक मूल स्कूल में ही अपना पद रिटेन करने में सफल रहे। भोपाल में ऐसे शिक्षकों की संख्या 10 है।

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