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Compulsory retirement जबरन सेवानिवृत्ति को लेकर जारी हुआ केंद्र सरकार का नया आदेश अयोग्य एवं भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की सूची बना रही है केंद्र सरकार

Compulsory retirement अयोग्य एवं भ्रष्ट जबरन सेवानिवृत्ति : मोदी सरकार ने हाल ही में केंद्र के कर्मचारियों के आवधिक प्रदर्शन की समीक्षा की थी। जिसके बाद 28 अगस्त को एक अहम फैसला लिया गया। जिससे 49 लाख सरकारी कर्मचारी परेशान है। सरकार ने साफ किया है आवधिक समीक्षा को अब सख्ती से लागू किया जाएगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर जनहित में कर्मचारियों को पहले ही रिटायर कर दिया जाएगा।

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सभी मंत्रालयों को भेजा गया पत्र
इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजा गया है।

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जिसमें बताया गया कि सरकारी काम में तेजी और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए अयोग्य एवं भ्रष्ट कर्मचारियों को पहले रिटायर Compulsory retirement किया जा सकता है। इसके लिए ‘एफआर’ और सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 में प्रावधान भी है। केंद्र सरकार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में फैसला दे चुका है। साथ ही पूर्व रिटायरमेंट को जबरन रिटायरमेंट से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

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किन कर्मचारियों को Compulsory retirement मिलेगी छूट?

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अपने ज्ञापन में कहा कि मौलिक नियम (एफआर) (560) 1 (एल) और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 48 का उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी को मजबूत करना है। उसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति दंड नहीं है। यह ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ से अलग है। सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी कर्मचारी को एफआर 56(जे)/रूल्स-48 (1) (बी)ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत रिटायर कर सकती है। अगर कोई कर्मचारी जनहित के लिए बहुत आवश्यक है, तो ये नियम उस पर लागू नहीं होगा।

तीन महीने की एडवांस सैलरी

वहीं इस प्रावधान के तहत रिटायर किए जा रहे कर्मचारियों को तीन माह का वेतन दिया जाएगा। कुछ मामलों में सरकार या विभाग उन्हें तीन महीने पहले नोटिस देकर भी रिटायर कर सकते हैं। आदेश के मुताबिक सभी विभाग एक लिस्ट तैयार करेंगे, जिसमें उन कर्मचारियों का नाम होगा, जिसकी उम्र 50/55 से ज्यादा है या फिर जो 30 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। समय-समय पर इन कर्मचारियों के काम की समीक्षा की जाएगी। वहीं रूल्स-48 (1) (बी) ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत किसी भी कर्मचारी को, जिसने तीस साल की सेवा पूरी कर ली है, उसे भी सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल होते हैं, जो पेंशन के दायरे में आते हैं।

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