भारतीय नौसेना देश की रक्षा जल स्तर में करती है. भारतीय सेना हमेशा से ही देश को बाहरी खतरे से बचाने के लिए अपनी जान हथेली पर रख कर दुश्मनों का सामना करती है, लेकिन क्या आप जानते है की भारत की नौसेना की शुरुआत क्यों हुई थी.
1612 में ब्रिटिश सेना का सामना पुर्तगाली सेना से हुआ था. ब्रिटिश सेना को जीत जरूर मिली थी, लेकिन भविष्य का खतरा देखते हुए ब्रिटिश अधिकारी ने सूरत के स्वाली में समुद्री सीमा को देखने के लिए एक सेना की छोटी टुकड़ी तैनात की थी.
भारत में आधिकारिक तौर पर 5 सितंबर 1612 को ब्रिटेन ने नौसेना की पहली स्क्वॉडरन को तैनात किया जिसे मरीन नाम दिया गया. 1668 में मुंबई ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथो मे समा गया और इसके तटों को संभालने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन को तैनात किया गया.
यह सेना बॉम्बे मरीन के नाम से जानी जाने लगी. सिधियों, मराठाओं, के खिलाफ ब्रिटिश अधिकारियों ने अपनी नौसेना का उपयोग इस लड़ाई मे किया. 1824 मे हुये बर्मा युद्ध में भी नौसेना ने सहायता की थी.
बॉम्बे मरीन का नाम 1830 में बदल कर Her Majesty’s Indian Navy रखा गया. जिसे 1892 में बदल कर Royal Indian Marine कर दिया गया.1924 में सब लेफ्टिनेंट डीएन मुखर्जी नौसेना में कमीशन पाने वाले प्रथम भारतीय अधिकारी के तोर पर तैनात हुये.
सेना का नाम एक बार फिर 1934 में बदला गया और इसे Royal Indian Navy नाम से जाना जाने लगा.1947 की आजादी के समय इस सेना में करीब करीब 35 हजार नौसेनिक शामिल हो गए थे.
अंतिम बार इस सेना का नाम 26 जनवरी 1950 को बदला गया जब Royal Indian Navy के नाम के आगे से Royal शब्द को हमेशा के लिए हटा दिया गया, तब से लेकर अब तक भारतीय नौसेना का नाम Indian Navy ही है.
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