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Less Than 60% For Students Appearing In CBSE 12th With An Expectation Of 90% Marks; स्कूल मैनेजमेंट ने कहा- 3 साल के एवरेज के नियम ने बिगाड़ा रिजल्ट Digital Education Portal
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Less than 60% for students appearing in CBSE 12th with an expectation of 90% marks; स्कूल मैनेजमेंट ने कहा- 3 साल के एवरेज के नियम ने बिगाड़ा रिजल्ट Digital Education Portal

एक दिन पहले आए CBSE 12वीं बोर्ड फाॅर्मूला रिजल्ट के अब साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। भोपाल के संकल्प स्कूल में कम नंबर आने पर शनिवार को छात्रों ने स्कूल पहुंचकर हंगामा कर दिया। छात्रों का कहना है कि अभी तक उनके 90% अंक आए हैं। उम्मीद थी कि 90% के करीब नंबर आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नाराज पैंरेंट्स ने स्कूल पहुंचकर प्रिंसिपल को ऑफिस में ही कैद कर दिया। पैरेंट्स ने आरोप लगाए कि इससे बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। फॉर्मूले के अनुसार बच्चों ने 10वीं और 11वीं के मार्क्स के आधार पर रिजल्ट तैयार कर लिया था, लेकिन स्कूल का औसत रिजल्ट खराब होने का खामियाजा इन बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।

इस कारण रिजल्ट खराब बना
CBSE ने 12वीं के रिजल्ट का फॉर्मूला 10वीं के 30%, 11वीं के 30% और 12वीं के 40% के अंक के आधार पर तैयार किया था। बच्चों ने इसी आधार पर रिजल्ट भी तैयार कर लिया। स्कूल की प्रिंसिपल अनु श्रीवास्तव ने बताया कि CBSE ने इसके साथ ही रेफरेंस का कैप लगा दिया था। इसमें स्कूल के बीते 3 साल के औसत रिजल्ट से ज्यादा नहीं बन सकता। इसी कारण टॉपर बच्चों के रिजल्ट भी बिगड़ गए। कई बच्चों के तो 20 से लेकर 40% तक कम हो गए। हम बोर्ड को पत्र लिखकर रेफरेंस कैप को हटाने की मांग करेंगे।

पेरेंट्स बोले- बच्चों को कहीं एडमिशन नहीं मिलेगा
पेरेंट प्रियेश शाह ने आरोप, उनके भाई का CBSE फॉर्मूला के आधार पर 80% बन रहे थे, लेकिन उसे 51% ही मिले हैं। उसने फॉर्मूला के अनुसार रिजल्ट बना लिया था। इसी आधार पर उसने कुछ कॉलेजों में बात की थी, लेकिन अब उसे तो कहीं एडमिशन नहीं मिलेगा। ऐसा यहां के 120 बच्चों के साथ हुआ है।

दोबारा परीक्षा देने का फायदा नहीं
प्रियेश ने कहा कि बच्चे फॉर्मूले के अनुसार रिजल्ट तैयार कर चुके थे। वह दूसरे कॉलेज और अन्य तैयारी करने में जुट गए थे। सरकार ने फिर से परीक्षा देने का ऑप्शन दिया है, लेकिन जब बच्चा उस मूड में ही नहीं है, तो रिजल्ट तो इससे भी ज्यादा खराब हो जाएगा। सवाल यह उठता है, रेफरेंस को क्यों लिया जा रहा है। बच्चे की पढ़ाई को ही आधार बनाना चाहिए था।

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