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अभिभावक बोले बच्चों का साल खराब होगा जिंदगी तो बची रहेगी

अभिभावक बोले बच्चों का साल खराब होगा जिंदगी तो बची रहेगी

अनलॉक 4.0

अनलॉक 4.0 में सरकार 21 सितंबर से सशर्त कक्षा नौ से 12 तक की कक्षाओं के संचालन की तैयारी में है। इसके लिए बच्चों को अभिभावकों से लिखित में अनापत्ति पत्र लेना होगा। कोरोना के लगातार केस बढ़ने के कारण ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के कम केस के दौरान स्कूल बंद रहे। अब पानीपत समेत देशभर में कोरोना केसों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में वह अपने बच्चों की जान खतरे में डालकर उन्हें पढ़ाने को तैयार नहीं हैं।

कोरोना के बीच नहीं भेजेंगे बच्चों को स्कूल

बाल अधिकार सुरक्षा समिति सदस्य सुधा झा ने कहा कि अब कोरोना अपने चरम पर पहुंच रहा है।

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राजकीय स्कूलों में बच्चों के लिए बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मास्क और सैनिटाइजर कहां से लाएंगे। बच्चे बस-ऑटो से स्कूल पहुंचेंगे। ऐसे में शारीरिक दूर टूटेगी। कोरोना के बीच बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जा सकता है।

वैक्सीन आने तक नहीं खुलने चाहिए स्कूल

सावन पार्क निवासी राजेश चांदना की बेटी 11वीं कक्षा में पढ़ती है। उन्होंने कहा कि अब कोरोना का खतरा पहले से अधिक है। घर में बच्चों पर हर समय नजर रखनी पड़ रही है। वैक्सीन आने तक वह बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। स्कूलों में हर समय मास्क और शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया जा सकता है

केस कम होने तक नहीं भेजेंगे

देवी मूर्ति कालोनी निवासी सचिन बवेजा की बेटी 12वीं की छात्रा है। उन्होंने बताया कि कोरोना से कई मौत देख चुके हैं। कोरोना से बचाव को बच्चों को हर समय जागरूक कर रहे हैं। कोविड-19 रहने तक वह बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे

जिदा रहेंगे तो ही पढ़ेंग

न्यू जगन्नाथ विहार निवासी प्राची की बेटी 12वीं में पढ़ती है। उन्होंने कहा कि अभी तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बनी है। बच्चा इससे पीड़ित हुआ तो सभी परेशान होंगे। कोरोना की वैक्सीन आने तक वह बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगी। सालभर की पढ़ाई खराब करने को तैयार है। जिदगी रहेगी तभी तो बच्चे पढ़ेंगे।

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अभिभावक बोले बच्चों का साल खराब होगा जिंदगी तो बची रहेगी

विराट नगर के राजेश सिवाच का बच्चा 11वीं में पढ़ता है। उन्होंने कहा कि कई माह से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। अब सभी कोरोना के प्रति जागरूक हो चुके है। वह सावधानी के साथ बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में हैं।

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