नया बार कोड सिस्टम: परीक्षा में कॉपियों पर बार कोड को नकारा, मैन्युअल ही मूल्यांकन Digital Education Portal

विक्रम विश्वविद्यालय में मूल्यांकन को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से परीक्षा की कॉपियों पर बार कोड सिस्टम को लागू किया गया था लेकिन इस वर्ष बार कोड सिस्टम को विश्वविद्यालय प्रशासन ने नकार दिया है। आगामी वार्षिक पद्धति की परीक्षा अब फिर से सामान्य कॉपियों पर ही ली जाएगी और पूरा मूल्यांकन मैन्युअल होगा।
विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर नंबर बढ़ने के मामले सामने आए थे। जिसके बाद तत्कालीन कुलपति प्रो. एसएस पांडेय ने बार कोड वाली कॉपियों से परीक्षा की व्यवस्था करवाई थी। ताकि मूल्यांकन करने वाले मूल्यांकनकर्ता को यह पता नहीं चल सके कि यह कॉपी किस विद्यार्थी की है। स्नातक स्तर के मुख्य पाठ्यक्रमों की वार्षिक पद्धति की परीक्षाओं में इसे लागू किया गया था।
इसके बाद कोरोना की वजह से दो वर्ष से ऑफलाइन परीक्षाएं नहीं हुई। अब इस वर्ष से विश्वविद्यालय ने ऑफलाइन परीक्षाएं लेना शुरू कर दी हैं। जल्द ही स्नातक स्तर की परीक्षाएं भी शुरू होना हैं लेकिन इन परीक्षाओं में बार कोड सिस्टम को लागू करने से विश्वविद्यालय ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसकी एक मुख्य वजह यह भी है कि विश्वविद्यालय ने बार कोड सिस्टम को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कोई उपाय भी नहीं किए। अब ऐनवक्त पर सामान्य कॉपियां छपवा ली हैं।
बार कोडिंग का होनहार को ज्यादा फायदा, निष्पक्ष होता मूल्यांकन
विश्वविद्यालय में पूर्व में हुई परीक्षा में बार कोडिंग व्यवस्था के अंतर्गत उत्तर पुस्तिकाओं के प्रथम पेज पर तीन अलग-अलग कॉलम का इस्तेमाल किया गया था। हर कॉलम में बार कोड रखा गया था। एकमात्र कॉलम ऐसा था, जिसमें विद्यार्थी का रोल नंबर रहता था।
इस कॉलम को एग्जाम हॉल में ही कॉपियों से निकाल कर अलग कर दिया जाता था। ताकि विद्यार्थी की पहचान गोपनीय रह सके और मूल्यांकनकर्ता को यह पता न चल सके कि यह किस विद्यार्थी की कॉपी है। स्कैनिंग करके सबसे आखिरी में अंकों की सूची तैयार कर रिजल्ट बनाया जाता था।
बार कोडिंग सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा होनहार विद्यार्थियों को मिलता है, क्योंकि मूल्यांकन पूरी तरह निष्पक्ष आैर पारदर्शी तरीके से होता है। मैन्युअल मूल्यांकन होने पर मूल्यांकन में पारदर्शिता और निष्पक्षता भंग होने की संभावना बढ़ जाती है।
50 हजार से ज्यादा बार कोड वाली कॉपियां कॉलेजों को भेज दी
2019 में हुई परीक्षाओं के दौरान बार कोड वाली कॉपियां छपवाई थी। परीक्षा के बाद भी 50 हजार से अधिक बार कोड वाली कॉपियां बच गई थी। जिसे विश्वविद्यालय ने परीक्षा के लिए बनाए कॉलेज केंद्रों पर भेज दिया। अधिकारियों का कहना है कि हमने सभी केंद्रों पर यह निर्देश दिए हैं कि परीक्षा में बार कोड वाली कॉपियों को भी सामान्य कॉपियों की तरह परीक्षा में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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