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मध्य प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली के लिए कर्मचारी दो माह से चला रहे हस्ताक्षर अभियान बढ़ रहा समर्थन Digital Education Portal

खासकर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कर रहे नई पेंशन प्रणाली का तीव्र विरोध।

मध्‍य प्रदेश में पुरानी पेंशन व्‍यवस्‍था बहाली के लिए कर्मचारी दो माह से चला रहे हस्ताक्षर अभियान, बढ़ रहा समर्थनमप्र में कर्मचारियों का एक बड़ा गुट पुरानी पेंशन प्रणाली बहाल करने की मांग कर रहा है। यह मांग अपनी-अपनी तरह से की जा रही है। कुछ कर्मचारियों ने इसके लिए हस्ताक्षर अभियान छेड़ रखा है। ये वे कर्मचारी हैं जो चतुर्थ और तृतीय श्रेणी से आते हैं और इनका वेतन पहले से कम है। यदि ये सेवानिवृत्त होते हैं तो नई पेंशन के तहत इन्हीं 1000 से 1500 रुपये से अधिक पेंशन नहीं मिलेगी। ऐसे कर्मचारियों को अभी से भविष्य की चिंता सताने लगी है और ये पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग जोर-शोर से कर रहे हैं। मप्र में कर्मचारियों द्वारा की जा रही यह मांग दूसरे राज्यों तक भी पहुंच गई है। छत्तीसगढ़, दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों के कर्मचारी इस मांग का समर्थन कर रहे हैं। दिल्ली में तो कई दौर की बैठकें भी इस सिलसिले में हो चुकी हैं।

मप्र में दो माह पूर्व हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत मप्र कर्मचारी मंच के प्रतिनिधियों ने राजधानी भोपाल से की थी। सभी जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत समर्थन करने वाले कर्मचारियों से हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा जाएगा। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संगठन भी यह लड़ाई लड़ रहा है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह संगठन के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। जिसमें पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
आगामी विस चुनाव तक बड़ा रूप ले लेगी यह लड़ाई
आगामी विधानसभा चुनाव तक पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर लड़ी जा रही यह लड़ाई बड़ा रूप ले सकती है। कर्मचारियों में जिस हिसाब से गुस्सा है, उसके अनुरूप पुरानी पेंशन की बहाली बड़ा मुद्दा हो सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पेंशन की सुविधा है तो 60 से 62 वर्ष तक सेवाएं देने वाले कर्मचारियों से उनके अधिकार नहीं छीने जा सकते। पेंशन से उनके परिवार के सदस्यों का जीवन जुड़ा होता है। नाममात्र की पेंशन से महंगाई के दौर में जीवन चला पाना मुश्किल होता है। कर्मचारी शंकर सिंह सेंगर का कहना है कि निचले स्तरे के कर्मचारियों का शोषण ठीक नहीं है। ऐसे कर्मचारियों को उनके हक और अधिकार बिना मांगे दिए जाने चाहिए। जो संपन्‍न वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी होते हैं उनके लाभ वैसे भी नहीं रोके जाते हैं लेकिन निचले वर्ग के कर्मचारियों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। यह ठीक नहीं है किसी भी सरकार को यह अमानवीयता नहीं दर्शानी चाहिए।
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