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फसल बीमा में मिले 4 रुपये, किसान ने कहा- इतने में तो जहर भी नहीं आता सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज एक क्लिक पर प्रदेश के किसानों को पिछले साल का फसल बीमा दे दिया

अधिकांश किसानों के खाते में 1 रुपये से लेकर 10 रुपेय तक आए हैं. खालवा तहसील के पाडल्या माल गांव में रहने वाले जगदीश गोंड को मात्र 4 रुपये बीमा की राशि आई है. उनके पास 4 एकड़ जमीन थी और परिवार के 7 लोग इसी ज़मीन पर निर्भर हैं.

खंडवा: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज एक क्लिक पर प्रदेश के किसानों को पिछले साल का फसल बीमा दे दिया. खंडवा के भी 30 हजार किसानों को इसका फायदा मिला है. खंडवा में फसल बीमा योजना के तहत कुल 31 करोड़ रुपए की राशि दी गई है. फसल बीमा योजना की राशि भेजने के दौरान सीएम ने यहां के एक किसान से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद भी किया. किसान लंबे समय से बीमा राशि की आस लगाए हुए थे. इसमें अधिकांश किसान ऐसे हैं जिनके खाते में 1 अंक और 2 अंकों में भी पैसा आया है. खालवा तहसील के पाडल्या माल गांव में रहने वाले जगदीश गोंड को मात्र 4 रुपये बीमा की राशि आई हैं. इसपर उन्होंने कहा कि इतने रुपये में तो जहर भी नहीं आएगा. थोड़ा बढ़ा देते तो बोतल ले लेते.


किसानों ने क्या कहा
खालवा और छैगांवमाखन क्षेत्र के किसानों ने भी फसल बीमा को लेकर नाराजगी जताई है. छैगांवमाखन ब्लॉक के सिर्रा गांव के किसान रामदीन पटेल को मात्र 27 रुपये की बीमा की राशि प्राप्त हुई है. उनके पास 9 एकड़ जमीन है और सोयाबीन की फसल लगाई थी जिसके बदले में यह बीमा राशि मिली है. जिले में ऐसे कई किसान हैं जिनका नाम बीमा लिस्ट में नाम ही नहीं है. वहीं खालवा ब्लॉक के पाडलीया माल गांव के रहने वाले जगदीश गोंड का दर्द भी सुनिए वह कहते हैं कि इन 4 रुपये से उसका क्या होगा? इतने में तो जहर भी नहीं आता है. थोड़ा और मिल जाता तो जहर की बोतल आ जाती.

भारतीय किसान संघ ने उठाए सवाल
भारतीय किसान संघ ने बीमा राशि के सर्वे और वितरण पर सवाल उठाए हैं. किसान संघ का कहना है कि बीमा वितरण कैसे हुआ है? किसान को सिर्फ 4 ,10, 20 रुपये तक की ही राशि प्राप्त हुई है. उन्होंने बीमा राशि सर्वे पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया और बीमा कंपनी की कार्यशैली पर सवाल उठाए.


राशि सीधे किसानों के खातों में
जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक का कहना है कि यह राशि सीधे शासन की ओर से किसानों के खाते में आई है. इसमें किसी भी तरह का पुराना कर्ज नहीं कटा हुआ है. इससे मतलब साफ है कि बीमा कंपनी ने सीधे-सीधे इतनी कम राशि ही किसानों को उनके खाते में डाली है. आपको बता दें कि जिले के 30,000 किसानों में से लगभग 14000 कॉपरेटिव बैंक के अंतर्गत संचालित सोसायटी से कर्ज लेते हैं.

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