नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कर्मचारियों के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा नवीन आदेश जारी किए गए हैं। जिसके तहत 6th-7th pay commission कर्मचारियों को अतिरिक्त पेमेंट (excess payment) और गलत तरीके से हुई भुगतान की वसूली के संबंध में नवीन दिशा निर्देश पारित किए गए हैं। सभी विभागों को निर्देश जारी होते हुए कहा गया कि शासकीय सेवकों को किए गए गलत और अधिक भुगतान की वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सहित विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार नियम पालन करना अनिवार्य होगा। जारी आदेश पर पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के कार्यालय ज्ञापन संख्या 18/03/2015-स्था (पे-I) दिनांक 02.03.2016 की ओर ध्यान आकर्षित करने का निदेश दिया गया है।
हाल ही में माननीय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT), लखनऊ बेंच ने ओए संख्या 302/2022 (अतुल चंद्र श्रीवास्तव बनाम यूओआई और अन्य) और ओए संख्या 303/2022 (मोहम्मद इरशाद बनाम यूओआई और अन्य) की सुनवाई करते हुए Ors.) ने एक अंतरिम आदेश दिनांक 20.07.2022 पारित किया है, जिसमें मंत्रालयों के विभागों/कार्यालयों की ओर से गलतियों/लिपिकीय त्रुटियों पर चिंता व्यक्त की गई है। जिसके कारण वेतन आदि का गलत निर्धारण हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी कर्मचारियों को अधिक भुगतान किया जा रहा है।
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माननीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश दिनांक 20.07.2022 में 2017 के सीए सं. 11527 (2012 के एसएलपी सी संख्या 11684 से उत्पन्न) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 18.12.2014 के निर्णय का उल्लेख किया। पंजाब और अन्य बनाम रफीक मसीह (व्हाइट वॉशर) आदि और डीओपीटी के कार्यालय ज्ञापन संख्या 18/03/2015-स्था। (वेतन-I) दिनांक 02.03.2016 के तहत जारी किए गए निर्देशके मुताबिक अपने फैसले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पांच स्थितियों की पहचान की थी, जहां कानून में किए गए अधिक भुगतान की वसूली की अनुमति नहीं होगी।
उन स्थितियों में से एक जहां अधिक भुगतान की वसूली को अस्वीकार्य होने का निर्णय लिया गया है, श्रेणी-III और श्रेणी-IV सेवा (या समूह ‘सी’ और समूह ‘डी’ सेवाओं) से संबंधित कर्मचारियों से संबंधित है। माननीय अधिकरण ने नोट किया है कि विचाराधीन दोनों मामलों में आवेदक समूह ‘सी’ के कर्मचारी हैं और इस संबंध में कानून माननीय उच्चतम न्यायालय के दिनांक 18.12.2014 के निर्णय और उसके बाद डीओपीटी के दिनांक 02.03.2016 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा जारी किये निर्देशों में पहले ही निर्धारित किया जा चुका है।
आदेश के मुताबिक इस संदर्भ में, यह देखा गया है कि मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन निर्धारण में गलतियों/लिपिकीय त्रुटियों का पता लगाने में लगने वाला समय अत्यधिक परिहार्य है। किसी कर्मचारी को देय भुगतानों की गलत गणना के कारण अधिक भुगतान की स्थिति उत्पन्न होती है। समय पर पता नहीं चलने पर इन अतिरिक्त भुगतानों के कारण वसूली के लिए देय राशि अर्जित होती रहती है।
कई मामलों में ये अधिक भुगतान बहुत देर से प्रशासनिक प्राधिकरण के ध्यान में आते हैं जिसके परिणामस्वरूप पर्याप्त राशि वसूली के लिए देय हो जाती है। माननीय उच्चतम न्यायालय के ऊपर उल्लिखित आदेश दिनांक 18.12.2014 के आलोक में इन वसूलियों को उसमें पहचाने गए मामलों के प्रकार में छूट के लिए विचार किया जाना है।
साथ ही संबंधित प्रशासनिक प्राधिकरण शामिल राशि की वसूली के लिए उपलब्ध अन्य विकल्पों का पता लगाने के लिए मजबूर हैं या इस विभाग के दिनांक 02.03.2016 के कार्यालय ज्ञापन डीओपीटी के दिनांक 06.02.2014 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 18/26/2011-स्था (वेतन-I) में निहित निर्देश में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इसे माफ करने के लिए व्यय विभाग का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं।
व्यय विभाग के परामर्श से मामले की जांच की गई है। यह सलाह दी जाती है कि –
- मंत्रालय/विभाग/कार्यालय अपने कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के साथ-साथ भुगतान से जुड़े अन्य मामलों में भी अत्यधिक सावधानी बरतें और उपयुक्त उपाय करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी चूक/गलती न हो;
- एमएसीपी/एसीपी/वित्तीय उन्नयन/इन्क्रीमेंट/प्रोन्नति आदि के कारण जारी वेतन निर्धारण आदेशों की आंतरिक लेखा परीक्षा और/या संबंधित वेतन एवं लेखा कार्यालय द्वारा ऐसे आदेश जारी करने के 3 महीने के भीतर आवश्यक रूप से लेखा परीक्षा की जा सकती है
- ऐसे मामलों में जहां कर्मचारी अगले 4 वर्षों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाला है, पिछले वेतन निर्धारण आदेशों की लेखा परीक्षा प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
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