
CBSE 10th Result 2021 : सीबीएसई बोर्ड कक्षा 10वीं के एग्जाम रिजल्ट अगले माह 20 जून तक जारी होने वाले हैं. बोर्ड ने कोरोना के चलते परीक्षा स्थगित कर दी थी और अब नई मार्किंग स्कीम के तहत छात्रों के स्कोरकार्ड तैयार किए जाएंगे. बोर्ड ने मार्किंग पॉलिसी और असेसमेंट प्रोसीजर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की है. मार्किंग स्कीम में स्कोरकार्ड के मार्क्स का ब्रेक-डाउन बताया गया है कि कितने नंबर किस आधार पर मिलेंगे.

कुल 100 अंकों को 20 नंबर और 80 नंबर में विभाजित किया गया है. स्कूलों द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के लिए किए गए इंटरनल मार्किंग के आधार पर 20 नंबर होंगे. बाकी 80 नंबरों के लिए छात्रों को पूरे वर्ष के दौरान स्कूल द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर मिले नंबर जोडे़ जाएंगे.
80 नंबरों का ब्रेक-अप इस प्रकार होगा.
पीरियोडिक/ यूनिट टेस्ट- 10 नंबर हाफ-ईयरली/ मिड-टर्म टेस्ट – 30 नंबर प्री-बोर्ड एग्जाम- 40 नंबर.
जारी की गई मार्किंग पॉलिसी छात्रों द्वारा चुने गए 5 मुख्य सब्जेक्ट्स के स्कोर की गणना के लिए है. यदि किसी छात्र ने 6 या अधिक विषयों के लिए रजिस्ट्रेशन किया था, तो 6वें सब्जेक्ट के लिए स्कोर की गणना अधिकतम प्राप्त नंबरों में से सर्वश्रेष्ठ 3 सब्जेक्ट्स के औसत नंबरों के आधार पर की जाएगी.
यदि किसी स्कूल ने ज्यादा परीक्षाएं आयोजित की हैं, तो बोर्ड ने स्कूल पर ही स्कोर चुनने की जिम्मेदारी छोड़ दी है. स्कूल चाहें तो सभी परीक्षाओं के औसत या दोनों में से बेहतर स्कोर को रिजल्ट में जोड़ सकते हैं. उदाहरण के लिए यदि किसी स्कूल ने तीन प्री-बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की हैं, तो स्कूल तीनों का औसत, या जिसमें सबसे ज्यादा नंबर हो उसका स्कोर, रिजल्ट में जोड़ सकते हैं. इसकी पूरी स्वतंत्रता स्कूल को है.
CBSE BOARD EXAM RESULT 2021 इंटरनल मार्किंग में ये समस्या
इंटरनल मार्किंग में समस्या यह है कि सभी स्कूलों की परीक्षा का कठिनाई का स्तर अलग अलग है. इसके लिए बोर्ड नार्मलाइज़ेशन पॉलिसी का इस्तेमाल करेगा. बोर्ड ने मार्किंग कमेटी को अलग अलग पैरामीटर को ध्यान में रखते हुए छात्रों का स्टैंडर्ड स्कोर तय करना है. इसमें कई चीजें शामिल होंगी- – उस स्कूल का बीते 3 वर्षों का बोर्ड एग्जाम रिजल्ट का रिकॉर्ड. – तीन वर्षों का रिकॉर्ड न होने पर 2 वर्ष या कम से 1 वर्ष का रिकॉर्ड देखा जाएगा. – स्कूल द्वारा दिए गए सब्जेक्ट वाइस मार्क्स और ओवरऑल मार्क्स की गणना की जाएगी.
CBSE Board Class 10th Result 2021 : जानिए, नतीजे तय करने की इस नई व्यवस्था से जुड़े हर सवाल का जवाब।
सीबीएसई ने 10वीं कक्षा का रिजल्ट तय करने की नीति जारी की है; जानिए, नतीजे तय करने की इस नई व्यवस्था से जुड़े हर सवाल का जवाब।
सीबीएसई ने 10वीं का रिजल्ट तय करने की नीति जारी कर दी। इसमें रिजल्ट कमेटी बनाने के साथ-साथ रेफरेंस ईयर का क्राइटेरिया भी बताया गया, लेकिन छात्रों व अभिभावकों के मन में इससे जुड़े तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब बोर्ड नोटिफिकेशन व बोर्ड एक्सपर्ट से बातचीत करके बता रहे हैं.
10वीं के नतीजे स्कूल टेस्ट, छमाही व प्री-बोर्ड परीक्षा के नतीजों पर तय होने हैं। किसी स्कूल में तीनों श्रेणियों में एक से ज्यादा टेस्ट हों तो क्या होगा ?
किसी स्कूल में सिर्फ ऑनलाइन मिड टर्म एक्जाम, किसी में टेस्ट व हाफ ईयरली एक्जाम ऑनलाइन और प्री-बोर्ड ऑफलाइन हुआ। यानी 80 अंक के लिए तय श्रेणियों के नतीजे ही उपलब्ध नहीं हैं, तो क्या होगा?
रिजल्ट कमेटी मूल्यांकन के लिए मानकों के आधार पर विचार करेगी और 80 अंक के मानदंड तय करेगी।
छठे विषय के रूप में आर्ट,म्यूजिक, तीसरी भाषा या अन्य विषय लिया था, उसे कितने अंक मिलेंगे?
सर्वाधिक अंक वाले तीन विषयों के औसत अंक छठे विषय में मिलेंगे।
क्या कोई अभिभावक रिजल्ट कमेटी की मीटिंग की निगरानी कर सकता है?
नहीं, यह बैठक गोपनीय होगी कमेटी के मिनट्स रेशनल डॉक्यूमेंट में शामिल होंगे।
कोई दिव्यांग छात्र टेस्ट परीक्षा में शामिल नहीं हो सका, तो क्या होगा ?
मूल्यांकन पोर्टफोलियो, प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट, क्विज, ओरल टेस्ट से होगा।
कुछ स्कूलों में एक या दो बार ही बोर्ड परीक्षा हुई, उनका क्या ?
दो साल में बेहतर वाले को और एक साल में उसी वर्ष को रेफरेंस ईयर माना जाएगा।
कोई छात्र सख्त मार्किंग के चलते शत-प्रतिशत अंक नहीं ला पाया, वहीं अन्य स्कूल में छात्रों को पूरे नंबर मिले, क्योंकि उनका पेपर व मार्किंग अलग थे। इनका फेयर रिजल्ट कैसे बनेगा?
इसके लिए 3 साल की बोर्ड परीक्षाओ में स्कूल के सर्वश्रेष्ठ ओवरऑल प्रदर्शन को रेफरेंस ईयर के तौर पर माना जाएगा। जैसे 2017-18 में ओवरऑल प्रदर्शन 72%, 2018-19 में 74% और 2019-20 में 71% था , तो 2018-19 को रेफरेंस ईयर माना जाएगा। बोर्ड स्कूलों को चार्ट भेजेगा, उसी आधार पर अंक तय होंगे।
जिन स्कूलों के छात्र पहली बार बोर्ड परीक्षा देने वाले थे, उनके पास तो कोई रेफरेंस ईयर ही नहीं है, तब क्या होगा ?
ऐसी स्थिति में बोर्ड पिछले दो वर्ष में उस स्कूल के जिले, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के बेहतर ओवरऑल औसत अंकों को रेफरेंस ईयर के तौर पर लेंगे।
नई व्यवस्था में ग्रेस मार्क मिलने की गुंजाइश कितनी होगी ?
स्कूलों द्वारा अपलोड किए गए इंटरनल असेसमेंट और रिजल्ट कमेटी द्वारा तय किए गए अंकों की गणना के आधार पर जब बोर्ड रिजल्ट की गणना करेगा, तब बोर्ड ग्रेस मार्क की नीति भी लागू करेगा।
क्या छात्रों को कंपार्टमेंट एक्जामिनेशन का मौका मिलेगा?
20 जून को रिजल्ट घोषित करने के बाद बोर्ड ऑनलाइन या ऑफलाइन कंपार्टमेंट एक्जाम आयोजित कर सकता है। इसके नतीजे आने तक इन छात्रों को 11वीं कक्षा में बैठने की अनुमति होगी।
यह कैसे तय होगा कि रिजल्ट कमेटी जो अंक तय किए हैं, वे उचित हैं?
बोर्ड इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम बना रहे यदि स्कूल द्वारा दिए गए अंक बोर्ड के चार्ट से मेल नहीं खाएंगे तो कमेटी को अंकों में संशोधन करना होगा।
कमेटी बोर्ड के चार्ट के हिसाब से अंक देने में अक्षम रही हो क्या होगा?
ऐसे में 9वी के प्रदर्शन को वेटेज दे सकते है या प्रोजेक्ट बेस्ट असेसमेंट हो सकता है।
ऑनलाइन पोर्टल करने नंबर अपलोड बाद उसमें संशोधन संभव है ?
बिल्कुल नहीं, इंटरनल अंक या रिजल्ट कमेटी द्वारा अपलोड अंक अंतिम होंगे।
क्या अंकों का सत्यापन, उत्तर पस्तिका की फोटोकॉपी प्राप्त करने या पुनर्मूल्यांकन का मौका भी होगा ?
यूनिट टेस्ट, मिड टर्म, प्री बोर्ड की कॉपिया सभी छात्रों को स्कूलों द्वारा दिखाई गई हैं या दे दी गई है। ऐसे में सत्यापन या पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं होगी।
प्राइवेट/पत्राचार/कंपार्टमेंट का दूसरा मोका कब मिलेगा?
इस पर जल्द ही विस्तृत नीति जारी करेंगे।
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