Loan Moratorium: मोरेटोरियम के दौरान EMI देने वालों को भी राहत दे सकती है सरकार! जानिये क्या है तैयारी…
Loan Moratorium: मोरेटोरियम के दौरान EMI देने वालों को भी राहत दे सकती है सरकार! जानिये क्या है कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के दौरान लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) का लाभ लेने वालों को सरकार की तरफ से बड़ी राहत मिलने वाली है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि शैक्षिक, होम, उपभोक्ता, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, पेशेवर और उपभोग ऋण पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा. सरकारी हलफनामे के मुताबिक सरकार 6 महीने के लोन मोरेटोरियम समय में दो करोड़ रुपये तक के लोन के ब्याज पर ब्याज की छूट देगी. इसका मतलब बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे.
वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया की अनुसार, मोरेटोरियम पीरियड (Loan Moratorium Period) के दौरान जिन लोगों ने EMI का भुगतान जारी रखा है, सरकार उन्हें भी कुछ राहत देने का विचार कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है, ‘वित्त मंत्रालय ऐसे लोगों के लिए कैशबैक जैसी स्कीम ला सकती है, जिन्होंने समय पर किस्त भरी हो. सरकार की तरफ से ऐसा करने पर इसलिए विचार किया जा रहा है ताकी लोन चुकाने वाले को भी मोरेटोरियम का फायदा उठाने वालों के बराबर लाया जा सके. मोरेटोरियम लेने वालों को ‘ब्याज पर ब्याज’ में छूट दी जा सकती है, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट सरकार का प्रस्ताव मान ले.
दरअसल, कोरोना संकट की वजह से बहुत से लोग लोन की EMI चुकाने की स्थिति में थे. इसे देखते हुए RBI के आदेश पर बैंकों से EMI नहीं चुकाने के लिए पहले तीन महीने की मोहलत दी और बाद में इसे बढ़ाकर 6 महीने कर दिया. लेकिन सबसे बड़ी समस्या मोरेटोरियम के बदले लगने वाले अतिरिक्त चार्ज को लेकर थी. केंद्र की ओर से दी जाने वाली राहत का मतलब ये है कि लोन मोरेटोरियम का लाभ ले रहे लोगों को अब ब्याज पर अतिरिक्त पैसे नहीं देने होंगे. ग्राहकों को अब सिर्फ सामान्य ब्याज देना होगा.
बता दें कि बीते 28 सितंबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऋण की किस्त टालने की अवधि के दौरान बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने पर 2-3 दिन में फैसला होने की संभावना है. शीर्ष अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा था.
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि इस मामले में बहुत गंभीरता के साथ विचार किया गया है और निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहद उन्नत स्तर पर है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह विभिन्न उद्योगों, व्यापार संघों और व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई पांच अक्टूबर को करेगी. पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान को दर्ज किया था. मेहता ने कहा था कि इस मुद्दे पर सरकार सक्रियता के साथ विचार कर रही है और इस पर दो-तीन दिनों के भीतर फैसला होने की संभावना है.
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