
राज्य शिक्षा केंद्र समेत 12 विभागों ने भेजी हैं वित्त विभाग को मंजूरी के लिए फाइलें।
भोपाल। प्रदेश के वित्त विभाग ने संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने से जुड़ी फाइलें अटका रखी हैं। ये राज्य शिक्षा केंद्र समेत 12 से अधिक विभागों की फाइलें हैं। इन विभागों ने संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने के लिए वित्त विभाग से अनुमोदन के लिए फाइलें भेजी थीं। जिन पर वित्त विभाग को अनुमति देनी थी, जो कि नहीं दी गई है। इसके कारण हजारों संविदाकर्मियों का नुकसान हो रहा है। वहीं महिला बाल विकास विभाग, खेल विभाग, प्रशासन अकादमी, राजस्व विभाग समेत एक दर्जन विभाग हैं जिनमें कार्यरत संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने से जुड़े प्रस्तावों पर सहमति दे दी गई है। इन विभागों में कार्यरत कर्मचारी खुश हैं।
प्रदेश में 1.20 लाख संविदाकर्मी
प्रदेश में 1.20 लाख संविदाकर्मी हैं। ये लगभग सभी विभागों में कार्यरत है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मप्र इकाई में इनकी संख्या सर्वाधिक बताई जा रही है। इन संविदाकर्मियों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने 5 जून 2018 को एक नीति बनाई थी जिसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और उनका वेतन विभागों में खाली नियमित कर्मचारियों के समकक्ष करने, उन्हें मंहगाई भत्ता दिए जाने के प्रविधान किए गए हैं। तभी से संविदाकर्मी इस नीति के अनुरूप वेतन की मांग कर रहे हैं, जो पूरी नहीं की जा रही है। चुनिंदा विभागों ने ही इस नीति का पालन नहीं किया है। 90 फीसद विभागों ने अब तक पालन नहीं किया है। जिसकों को लेकर संविदाकर्मियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
जनप्रतिनिधियों के खर्च को तुरंत अनुमति, शासकीय सेवकों के साथ अन्याय
मप्र संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर की तरफ से आरोप लगाया है कि कुछ जनप्रतिनिधियों के लिए वाहन खरीदने से जुड़ी फाइलों को वित्त विभाग के अधिकारियों ने तुरंत अनुमति दे दी है। जबकि संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ाने से जुड़ी फाइलें अटकाकर रखी हैं। यह भेदभाव ठीक नहीं है। महासंघ के पदाधिकारियों के आरोप हैं कि वित्त विभाग के अधिकारी फाइलों को अनुमति नहीं दे रहे हैं। तरह-तरह के अड़ंगे लगाए जा रहे हैं।
अनुमति के चक्कर में करोड़ों रुपये लैप्स हो जाएंगे
प्रदेश के ज्यादातर संविदाकर्मी केंद्रीय योजनाओं में कार्यरत हैं। इन योजनाओं में करोड़ों रुपये हैं, जिनका उपयोग नहीं किया गया है। यह राशि 31 मार्च को हर वर्ष की तरह लैप्स हो जाएगी। संविदाकर्मियों का कहना है कि इस राशि का लाभ उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को मिल सकता था, लेकिन वित्त विभाग के कुछ अधिकारियों के रवैये के कारण नहीं मिल पा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। रमेश राठौर ने कहा है कि जनप्रतिनिधियों पर किए जा रहे खर्च से संविदाकर्मियों को आपत्ति नहीं है लेकिन मेहनत करने वालों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जो कि नहीं रखा जा रहा है।
पुरानी पेंशन प्रणाली लागू करे सरकार
मप्र मंत्रालय कर्मचारियों की अजाक्स इकाई ने मप्र सरकार से पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की है। राजस्थान सरकार का उदाहरण दिया है। इकाई के अध्यक्ष घनश्यामदास भकोरिया ने कहा कि राजस्थान सरकार ने अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने संबंधी निर्देश जारी कर दिए है। छत्तीसगढ़ समेत अन्य सरकारें भी पुरानी पेंशन बहाल करने के संबंध में प्रयास कर रही हैं। बता दें कि मप्र में लगातार पुरानी पेंशन बहाल करने की मांगें उठती रही हैं।
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