क्या होता हैं अर्जित अवकाश ?
विश्राम अवस्था अर्थात ग्रीष्मावकाश के समय शैक्षणिक संवर्ग के कर्मचारियों को ड्यूटी पर बुलाए जाने के फलस्वरूप मध्यप्रदेश शासन द्वारा सम्बंधित कर्मचारियों को ड्यूटी के बदले विशेष अवकाश प्र देखने के बाददान किए जाते हैं, जिन्हें अर्जित अवकाश कहा जाता है| 12 अगस्त 2008 से अर्जित अवकाश के नकदीकरण की व्यवस्था अन्य विभाग के समान की गई| जब विश्राम अवस्था अर्थात ग्रीष्मावकाश के दौरान शिक्षकों को किसी ड्यूटी या कार्य पर बुलाया जाता है; तो ऐसी स्थिति में उन्हें अर्जित अवकाश की पात्रता होती है|
कैसे मिलता हैं अर्जित अवकाश का लाभ ? १ वर्ष में कितने दिन मिलता हैं लाभ ? जाने अर्जित अवकाश की गणना
अर्जित अवकाश की गणना हेतु मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग द्वारा दिनांक 16 जून 2008 को पत्र जरी किया गया | जिसके अनुसार –
शिक्षकों को विश्राम अवकाश की अवधि 45 दिन निर्धारित की गई है|
इसके अनुसार ड्यूटी पर रहने से विश्राम अवकाश का लाभ लेने से वंचित होने की स्थिति में अर्जित अवकाश की पात्रता 30 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन इतने दिन की ही होती हैं, जितने दिन ड्यूटी पर रहने से विश्राम अवकाश का लाभ नहीं दिया जा सका ! यह व्यवस्था 1 जनवरी 2008 से लागू की गई है|
इस पत्र के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 27 फरवरी 1998 जिसके अनुसार शैक्षणिक संबंधों को 10 दिन का अतिरिक्त अर्जित अवकाश किए जाने संबंधी निर्देश जारी किए गए थे तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है अर्थात 10 दिन के अतिरिक्त अर्जित अवकाश की पात्रता नहीं होगी|
अर्जित अवकाश की गणना विश्राम अवकाश से वंचित किए जाने के बदले प्राप्त होने वाले अवकाश के रूप में की जाती है| जिसका लेखा अर्जित अवकाश के लेखे की तरह रखा जाए|
शिक्षकों को मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 17 दिसंबर 1982 के अनुसार ब्लॉक अवकाश के अतिरिक्त 10 दिन प्रति वर्ष के अवकाश का लेखा लघु कृत अवकाश के रूप में ही संधारित किया जाए एवं लघु वृत्त अवकाश के नकदीकरण की पात्रता किसी भी कर्मचारी को नहीं होने से शैक्षणिक संवर्ग को भी नहीं होगी|
सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश का होता हैं नकदीकरण
संबंधित शिक्षक की सेवानिवृत्ति पर अन्य विभाग की तरह ही अर्जित अवकाश के नकदीकरण किए जाने संबंधित निर्णय शासन द्वारा 16 जून 2008 के परिपत्र के द्वारा लिया गया है| अर्थात शैक्षणिक संवर्ग के कर्मचारी जो कि विश्राम अवकाश का लाभ लेने से वंचित किए गए हो, उन्हें अर्जित अवकाश से अवकाश लेने की पात्रता होती है | लेकिन किसी कारणवश अगर ऐसे कर्मचारी अर्जित अवकाश का लाभ नहीं ले पाते है , तो उन्हें सेवानिवृत्ति के समय अर्जित अवकाश की गणना के अनुसार नगद राशि का भुगतान किया जाता है|
विश्रामावकाश में ड्यूटी पर आहूत करने एवं अर्जित अवकाश स्वीकृति के प्रशासकिय अधिकार
शासन के निर्देशों के विपरीत संकुल प्राचार्य या जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अपने स्तर से विश्राम अवकाश की अवधि में शैक्षणिक संवर्ग के कर्मचारियों को ड्यूटी पर बुलाने के कारण पात्रता से अधिक अर्जित अवकाश समर्पण का लाभ प्रदान किया जा रहा था| जिससे शासन पर अनावश्यक वित्तीय भार पड़ रहा था | इस हेतु शासन द्वारा शिक्षकों को अर्जित अवकाश का आनुपातिक रूप से निश्चित सीमा में लाभ मिल सके इस उद्देश्य से लोक शिक्षण संचनालय द्वारा 20 अप्रैल 2016 को आदेश जारी कर स्पष्ट किया गया है|
जिला कलेक्टर या विभागाध्यक्ष द्वारा विश्रामावकाश में ड्यूटी पर बुलाने पर ही होगी अर्जित अवकाश की पात्रता
आदेश के अनुसार शिक्षकों को विश्राम अवकाश के दौरान ड्यूटी के लिए बुलाने का अधिकार संबंधित जिला कलेक्टर एवं विभाग अध्यक्ष को होगा |
जिला कलेक्टर 1 वर्ष में अधिकतम 15 दिवस तथा विभाग अध्यक्ष 1 वर्ष में अधिकतम 30 दिवस ड्यूटी पर बुला सकते हैं|
स्पष्ट होता है कि अर्जित अवकाश की पात्रता तभी होगी जब जिला कलेक्टर या विभाग अध्यक्ष उन्हें विश्राम अवकाश में ड्यूटी पर बुलाए| अन्य किसी भी अधिकारी के आदेश पर विश्राम अवकाश पर ड्यूटी पर बुलाए जाने पर अर्जित अवकाश की पात्रता नहीं होगी|
एक वर्ष में कितने दिन मिल सकता हैं अर्जित अवकाश का लाभ ?
शासकीय सेवकों के अर्जित अवकाश की सीमा पूर्व में 240 दिवस थी जो कि मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के आदेश दिनांक 6 अगस्त 2018 के अनुसार 300 दिवस कर दी गई हैं अर्थात कोई भी शासकीय कर्मचारी या अधिकारी अपने संपूर्ण सेवाकाल में अधिकतम 300 दिवस अर्जित अवकाश संग्रहित कर सकता है|
अर्जित अवकाश के नकदीकरण की गणना
पूर्व में शासन के निर्देश दिनांक 29 फरवरी 1996 एवं 25 सितंबर 2012 के द्वारा अर्जित अवकाश के नकदीकरण के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं| जिनके अनुसार सेवा में नियुक्ति दिनांक से 9 मार्च 1987 तक की अवधि के लिए 1 वर्ष में 15 दिन तथा दिनांक 9 मार्च 1987 से सेवानिवृत्ति की तिथि तक की अवधि के लिए 1 वर्ष में सात दिवस के आधार पर कुल पात्रता ज्ञात की जाना है | दिनांक 9 मार्च 1987 के पश्चात की संपूर्ण सेवा अवधि के लिए प्रथमतः 2 वर्ष के कालखंड पर 15 दिन की दर एवं शेष अवधि के लिए 7 दिन प्रतिवर्ष की दर से पात्रता की गणना की जाना है |
राज्य शासन द्वारा दिनांक 1 जुलाई 2018 के पश्चात सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों या सेवा में रहते हुए मृत्यु की स्थिति में अर्जित अवकाश के नकदीकरण की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 300 दिवस निर्धारित किया गया है | अर्जित अवकाश गणना के उदाहरण सहित एवं नकदीकरण के समस्त आदेश देखने के लिए नीचे दी गई पीडीएफ फाइल को देखे |
अवकाश नियमो की अधिक जानकारी के लिए विजिट करे – https://fcs.up.gov.in/Go-lekha-shakha/Lesson%20No.%2011%20Checked.htm
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