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Teacher Recruitment Scam : RTI को हथियार बनाकर किया गया शिक्षक भर्ती घोटाला

आमतौर पर किसी सरकारी विभाग या योजनाओं में हुई गड़बड़ी व भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बंगाल में घोटाला करने के लिए इसको हथियार बनाया गया।

  • उम्मीदवारों से आरटीआइ लगवाकर बढ़ा दिए गए ओएमआर शीट में नंबर
  • ममता सरकार के दो मंत्री फंसे हैं घोटाले में सीबीआइ कर रही है जांच

इस समय बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएसी) के माध्यम से हुई नियुक्ति की सीबीआइ जांच चल रही है। ममता सरकार के दो मंत्री इस मामले में फंसे हुए हैं और दोनों से सीवीआइ पूछताछ कर रही है। शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी के खिलाफ सीबीआइ ने प्राथमिकी भी दर्ज की है।

क्या है पूरा मामला?

अंकिता अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने पिता की पोजिशन का फायदा उठाते हुए स्कूल सर्विस कमीशन की मेधा तालिका में अपना नाम चढ़ाया और इसके बूते स्कूल की सरकारी नौकरी हासिल की. इस सिलसिले में कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका बबीता नाम की महिला ने दाखिल की थी. खबरों के मुताबिक बबीता वही महिला हैं जिनकी जगह अंकिता अधिकारी को नौकरी दे दी गई. बबीता का दावा है कि उन्होंने परीक्षा में अंकिता से ज्यादा अंक प्राप्त किए थे. इसके बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई.

Teacher recruitment scam : rti को हथियार बनाकर किया गया शिक्षक भर्ती घोटाला
Bangal Teacher Recruitment Scam 2022

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक याचिकाकर्ता के वकील फिरदौर शमीम का कहना है कि उनकी मुवक्किल ने भर्ती परीक्षा में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. वहीं अंकिता को 61 फीसदी अंक मिले थे, फिर भी नौकरी मंत्री की बेटी को दी गई. आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक,“राष्ट्र विज्ञान में शिक्षक भर्ती की पहली तालिका में बबीता का नाम था, लेकिन दूसरी लिस्ट में अंकिता का नाम पहले नंबर पर आ गया. इसी के बूते कूचबिहार के स्कूल में अंकिता को नौकरी मिल गई.”

बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा और परीक्षा में धांधली के आरोप में उसने शिक्षा मंत्री परेश अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए. और मंत्री पद से हटने की सलाह भी दी थी. हालांकि मंत्री को हटाने का कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया. कोर्ट ने साफ किया है कि ये निर्देश मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दिया गया है.

शिक्षक भर्ती घोटाला: कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य मंत्री की बेटी के अगले आदेश तक शिक्षक के रूप में काम करने पर रोक लगाई

कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी को अगले आदेश तक संबंधित स्कूल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही कहा कि उन्हें हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास सहायक स्कूल शिक्षक के अपने कार्यकाल के दौरान अब तक प्राप्त कुल वेतन भी जमा करना होगा।

हाईकोर्ट ने पीड़ित उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए उक्त निर्देश जारी किए। पीड़ित उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि भर्ती परीक्षा में मंत्री की बेटी की तुलना में अधिक अंक हासिल करने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया कि उसने भर्ती परीक्षा में 77 अंक हासिल किए, जबकि मंत्री की बेटी ने केवल 61 अंक हासिल किए थे।

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अदालत ने बाद में पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में कक्षा X1 और XII के लिए राजनीति विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।

अदालत ने आगे चेतावनी दी,

“अगर इस तरह की कोई रिपोर्ट इस अदालत में आती है कि उसने खुद को स्कूल की शिक्षिका के रूप में पेश किया है तो अदालत उसके खिलाफ उचित कदम उठाएगी।”

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अदालत ने यह भी नोट किया कि अधिकारी को संबंधित स्कूल में 24 नवंबर, 2018 को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने संबंधित स्कूल में 41 महीने या उससे भी कम समय तक काम किया था। तदनुसार, न्यायालय ने अधिकारी को अपने कार्यकाल के दौरान अब तक प्राप्त कुल वेतन को हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास दो किस्तों में जमा करने का आदेश दिया। पहली किस्त 7 जून, 2022 तक और दूसरी किस्त 7 जुलाई, 2022 तक चुकाने का आदेश दिया गया।

आगे यह भी कहा गया कि जिस पद पर अधिकारी को नियुक्त किया गया था, उसे अब रिक्त माना जाएगा और याचिकाकर्ता बबीता सरकार के लिए निर्धारित किया जाएगा, जिसे वास्तव में एक सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाना था। जिला विद्यालय निरीक्षक को भी न्यायालय के अगले आदेश तक अधिकारी को कोई और वेतन नहीं देने का आदेश दिया गया है।

कार्यवाही के दौरान, अधिकारी की ओर से पेश वकील द्वारा अदालत को आगे बताया गया कि अदालत के पहले के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की गई है जिसमें मंत्री को पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया। इस मामले पर अगले सप्ताह अवकाश पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है।

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