MP में पिछड़ा वर्ग को 35% आरक्षण मिलेगा?: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक; जानिए किसने की सिफारिश Digital Education Portal
पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार और सवालों के बाद मध्य प्रदेश सरकार घबराहट में आ गई। आज सुनवाई के बाद बाद ताबड़तोड़ पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए सरकार ने कहा है कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं। कुल मतदाताओं में से अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाताओं को हटा दिया जाए तो 79% मतदाता OBC वर्ग के ही हैं। इस आधार पर पिछड़ा वर्ग आयोग ने 35% आरक्षण की सिफारिश OBC के लिए की है। यह जानकारी नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने दी। ये पूरी प्रक्रिया केवल पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर है, इसका नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती से कोई लेना देना नहीं है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार में OBC को 27% आरक्षण देना चाहती है। अब आयोग की नई रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में 6 मई को रखा जाएगा।
अचानक क्यों करनी पड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को सुनवाई करते हुए संकेत दिए थे कि मध्यप्रदेश में बिना OBC आरक्षण पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रदेश सरकार से कहा था कि आपने ओबीसी का जो ट्रिपल टेस्ट किया है, उसकी रिपोर्ट सबमिट करें। इस संबंध में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
SC ने कहा है कि कोर्ट को लगता है कि जजमेंट के अनुसार रिपोर्ट है, तो दो सप्ताह में इलेक्शन कराने को कहा जाएगा। यदि रिपोर्ट जजमेंट के अनुसार नहीं है, तो ओबीसी आरक्षण बिना ही चुनाव कराने पड़ेंगे। रिपोर्ट के आधार तय होगा कि ओबीसी को आरक्षण देना है या नहीं। 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी थी। इसी के बाद सरकार हरकत में आ गई और ताबड़तोड़ जानकारी और रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।
ये है रिपोर्ट में
- त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के सभी स्तरों में पिछड़ा वर्ग के लिए 35% आरक्षण दें।
- समस्त नगरीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए 35% आरक्षण दे।
- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व नगरीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण सुनिश्चित किए जाने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।
- सर्वे के बाद चिन्हांकित कर जनसंख्या के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल्य जिला व ब्लॉक को अन्य ‘अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्र’ घोषित किया जाए। उन क्षेत्रों में विकास की योजनाएं लागू की जाए, बस्ती विकास जैसे कार्य किए जाएं।
- राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची में जो जातियां केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मिलित नहीं हैं, उन जातियों को केंद्र की सूची में जोड़े जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजें।
- केंद्र की पिछड़ा वर्ग की सूची में से जो जातियां मध्यप्रदेश की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल नहीं हैं, मध्यप्रदेश शासन द्वारा उन जातियों को राज्य की सूची में जोड़ा जाए।
सुप्रीम सुनवाई में यह भी हुआ
इससे पहले याचिकाकर्ता के एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बताया कि हम मांग कर रहे हैं कि संविधान के अनुसार 5 साल के अंदर ही चुनाव कराना है। स्पेशल कंडीशन में ही 6 महीने ही चुनाव बढ़ाए जा सकते हैं, लेकिन मप्र में तीन साल होने वाले हैं। दिसंबर 2018 कॉर्पोरेशन के चुनाव होने थे। इसके बाद पंचायत चुनाव होने थे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट गंभीर है। ठाकुर ने बताया कि राज्य सरकार को गुरुवार को ही रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। इस पर शुक्रवार दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई होगी। जया ठाकुर, सैय्यद जाफर समेत अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ओबीसी आरक्षण संबंधित डाटा 25 मई तक तैयार हो जाएगा, इसलिए सरकार को समय दिया जाए।
जानिए, क्या है ट्रिपल टेस्ट?
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।
50% से ज्यादा आरक्षण सुप्रीम कोर्ट तय करेगा
शिवराज सरकार प्रदेश की ओबीसी वर्ग की बड़ी आबादी को साधने के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% सीटें रिजर्व करने का ऐलान किया है। वर्तमान में 15% सीटें SC, 20% ST सीटें रिजर्व हैं। सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट नियम को देखें तो कुल आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता है। इस हिसाब से OBC के लिए 15% सीटें रिजर्व हो सकती है। इस लिमिट को पार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेना होगी।
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