मॉस्को. कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन (Vaccine) बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक इस समय दुनियाभर में 21 से ज्यादा वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के दौर में हैं. एक ओर जहां दुनियाभर के विशेषज्ञ अपनी वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण में पहुंचे हैं, वहीं रूस (Russia) ने वैक्सीन बनाने का दावा भी कर दिया है. खबर है कि 2 दिन बाद 12 अगस्त को वैक्सीन का पंजीकरण कराया जाएगा. रूस के दावों पर गौर करें तो ये वैक्सीन दुनिया (World) की पहली कोरोना वैक्सीन होगी.
रूस में तैयार हुई कोरोना वैक्सीन को रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी संस्था गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है.
रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को के मुताबिक उनकी वैक्सीन ट्रायल में सफल रही तो अक्टूबर से इसे देश में बड़े पैमाने पर लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के नागरिकों को राहत देते हुए कहा कि इस टीकाकरण अभियान में आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाएगी.
रूस के उप स्वास्थ्य मंत्री ओलेग ग्रिदनेब के बताया कि वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल अब खत्म होने के कगार पर है. अभी तक वैक्सीन ने बेहतर परिणाम दिए हैं लेकिन हमें पता है कि इसका अंतिम चरण काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन की ताकत का अंदाजा तभी लगाया जा सकेगा जब बड़े पैमाने पर लोगों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) विकसित हो जाएगी. ओलेग ग्रिदनेब ने बताया कि हमारी तरफ से वैक्सीन को लेकर सारी तैयारी हो चुकी है और 12 अगस्त को दुनिया की पहली वैक्सीन का पंजीकरण कराया जाएगा. रूस के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान जिन लोगों को यह वैक्सीन दी गई उनके अंदर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) पाई गई. इससे साबित होता है कि वैक्सीन अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है.
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रूस के वैज्ञानिक भले ही वैक्सीन का पंजीकरण कराने की बात कर रहे हो लेकिन दुनिया के कई देशों को रूस की वैक्सीन पर भरोसा नहीं है. ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई बड़े देशों के वैशेषज्ञों ने रूस की ओर से विकसित की गई वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावीशीलता पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. ब्रिटेन ने इस वैक्सीन का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया है. इन सभी देशों के विशेषज्ञों को रूस की वैक्सीन पर इस लिए संदेह है क्योंकि उसने इस वैक्सीन के परीक्षण से संबंधित कोई भी साइंटिफिक डाटा जारी ही नहीं किया है.
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