MP के मेडिकल कॉलेजों में बनेंगे इमरजेंसी मेडसिन विभाग: 30 बेडड यूनिट में वेंटिलेटर, मॉड्यूलर OT और एक्सपर्ट्स की होगी व्यवस्था, जानिए A टू Z Digital Education Portal
अक्सर दो थाना क्षेत्रों के बॉर्डर पर एक्सीडेंट के बाद पुलिस आपस में बाॅर्डर के विवाद में उलझ जाती है। सीमा के विवाद में कई बार घायल की जान पर बन आती है। कई बार अस्पतालों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में देखने को मिलता है। गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचने वाले मरीज को इमरजेंसी यूनिट के ऑन ड्यूटी सीएमओ रिसीव कर उसे संबंधित विभाग में भेज देते हैं। मरीज और उसके अटेंडर्स को यह समझ नहीं आता कि उसे जाना कहां हैं। कई बार मरीज एक विभाग से दूसरे विभाग के बीच भटकते रहते हैं। ऐसे में कई बार मरीज की हालत बिगड़ जाती है यहां तक कि मरीज समय से सही इलाज न मिल पाने के कारण दम तोड़ देते हैं। गंभीर मरीजों को समय से सही इलाज मुहैया कराने के लिए MP के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बनाया जा रहा है। इस विभाग में 30 बिस्तरों की अलग यूनिट बनाई जाएगी। भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरूआत होगी। हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग में यह विभाग संचालित किया जाएगा।
मरीजों को ऐसे होगा फायदा
अभी एक्सीडेंट में घायल (ट्रॉमा केस), हार्ट अटैक, पैरालिसिस सहित तमाम गंभीर मरीज हमीदिया अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में जैसे ही पहुंचते हैं वहां ऑन ड्यूटी सीएमओ (कैजुअल्टी मेडिकल ऑफीसर) उसकी शुरूआती जांच कर उसकी शारीरिक समस्या, बीमारी के अनुसार संबंधित विभाग में भेज देते हैं। लेकिन संबंधित विभाग को खोजने और संबंधित विभाग तक पहुंचने के चक्कर में मरीज को देर से प्राथमिक इलाज मिल पाता है।
इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में होगी यह व्यवस्था
मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर (OT)
कैथ लैब (एडवांस वर्जन फॉर इमरजेंसी कार्डियक एंड न्यूरो इंटरवेंशन)
वेंटिलेटर
हाई एंड मॉनिटर
USG मशीन
सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम
सी-आर्म मशीन
एनेस्थीसिया वर्कस्टेशन
डिफिब्रिलेटर
ABG मशीन
ब्रॉन्कोस्कोप
ECG मशीन
वॉर्मिंग मैट्रेस
पैथोलॉजी लैब सेटअप
माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री सेटअप
फ्यूमिगेशन फॉगर्स
CSSD विद ETO
फुली मोटराइज्ड बेड
सेंट्रल स्टेशन
बेड टेबिल
मेडिकल ट्रॉली
इन मामलों में मरीजों की बिगडती है हालत
हार्ट अटैक आने के शुरूआती एक घंटे में यदि मरीज को इलाज मिल जाए उसकी एंजियोप्लास्टी हो जाए तो वह पहले की तरह सामान्य हो सकता है। पैरालिसिस, रोड एक्सीडेंट में घायल, तेज बुखार से ग्रस्त मरीजों को शुरूआती समय में सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण उनकी हालत बिगड़ जाती है। पैरालिसिस के मरीज को शुरूआती 60 मिनट के भीतर सीटी स्कैन करके यदि थंबोलाइज कर दिया जाए तो वह आसानी से रिकवर हो सकता है।
हमीदिया के इमरजेंसी विभाग में सिर्फ 4 बेड
अभी हमीदिया अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में मात्र चार बेड और एक वेंटिलेटर ही उपलब्ध है। राउंड दी क्लाक यानि आठ-आठ घंटे में सीएमओ ड्यूटी पर रहते हैं। अधिकांश समय से बेड भी भरे रहते हैं। हमीदिया के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में 30 बेड उपलब्ध रहेंगे। इनमें 24 नॉर्मल बेड और 6 आईसीयू बेड बनाए जाएंगे। इस विभाग में वेंटिलेटर, मॉनीटर सहित तमाम अत्याधुनिक मशीनरी भी उपलब्ध रहेगी। इमरजेंसी यूनिट के सीएमओ भी अब नए विभाग के अधीन काम करेंगे।
डॉक्टरों की नियुक्ति
गांधी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में डॉ.रूचि टंडन को प्रोफेसर और क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. ताहिर अली को बतौर एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त किया गया है। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में जीएमसी के सर्जरी, मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक्स, एनेस्थीसिया और पल्मोनरी मेडिसिन विभागों के डॉक्टरों को नियुक्त किया जाएगा। प्रदेश के दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति शुरु हो गई है।
इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की जगह होगी तय
हमीदिया अस्पताल में नई बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर इमरजेंसी मेडसिन विभाग को शुरू किया जाएगा। जीएमसी के डीन डॉ. अरविंद राय ने बताया कि एनएमसी के निर्देश पर इस विभाग का गठन किया जा रहा है। जल्द ही यह विभाग काम करना शुरू कर देगा।
पांच-पांच पीजी की सीटें भी बढेंगी
एनएमसी के निर्देश पर इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू होने के बाद मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स इसी विधा में डिग्री भी कर सकेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों की मानें तो इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की पांच-पांच पीजी सीट्स मेडिकल कॉलेजों में बढ़ाई जाएंगी।
जांच और इलाज की हर सुविधा मिले- सारंग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि हमारी कोशिश है कि मेडिकल कॉलेज में जब भी कोई मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचे तो उसे बिना देर जांच और इलाज की सभी जरूरी सुविधाएं मिल सकें। इसके लिए भोपाल सहित 13 मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बनाए जा रहे हैं। इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। इससे मरीजों को समय पर सही इलाज मिलेगा। इससे जान बचाने में मदद मिलेगी।
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