आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश: तय डेडलाइन के एक साल बाद भी एक नहीं हुए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग Digital Education Portal

प्रदेश में नीति आयोग के सहयोग से तैयार आत्मनिर्भर मप्र रोडमैप-2023 के तहत स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कई सिफारिशों पर डेढ़ साल में भी अमल नहीं हुआ है।
- अगस्त 2020 में तैयार हुआ था रोडमैप-2023, कई सिफारिशें ठंडे बस्ते में
प्रदेश में नीति आयोग के सहयोग से तैयार आत्मनिर्भर मप्र रोडमैप-2023 के तहत स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कई सिफारिशों पर डेढ़ साल में भी अमल नहीं हुआ है। वर्ष 2022-23 के बजट की तैयारियों के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने जब इन सिफारिशों को देखा तो पता चला कि पुराने ढर्रे में बदलाव और आगामी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किए गए इस रोडमैप की अधिकांश सिफारिशें ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। अब नए बजट में इन सिफारिशों को पूरा करने के लिए प्रावधान किए जाएंगे।
सबसे प्रमुख सिफारिश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग का संविलियन करने संबंधी थी। इसकी समयसीमा मार्च, 2021 तय की गई थी। इन दोनों विभागों के साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग को संविलियन की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन तय समयसीमा बीतने के 11 महीने बाद भी दोनों विभागों का संविलियन नहीं हो सका।
रोडमैप में वर्ष 2022 के लिए तय किए गए हैं ये मुख्य लक्ष्य
- 10,000 उप स्वास्थ्य केंद्रों और 1200 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित करना।
- 1200 स्वास्थ्य केंद्रों में 282 आवश्यक दवाइयों और 63 क्लीनिकल परीक्षण, 10000 उप स्वास्थ्य केंद्रों में 149 आवश्यक दवाइयां और 14 क्लीनिकल जांच की व्यवस्था।
- 1600 अत्याधुनिक प्रसव केंद्रों की स्थापना। प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर विशेष नवजात देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू) की स्थापना।
- पीपीपी मोड पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के लिए नीति बनाना।
- 1200 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 10000 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ परामर्श के लिए टेली मेडिसिन एवं अन्य आईसीटी उपकरणों का उपयोग।
- मिडवाइफरी कैडर का निर्माण
- स्त्री रोग, बाल रोग, निश्चेतना, रेडियोलॉजी विशेषज्ञ की कमी दूर करने के लिए कम से कम 40 जिला अस्पतालों में पीजी डिप्लोमा, डीएनबी डिप्लोमा कार्यक्रम शुरु करना
- पीपीपी मोड से 100 से अधिक बिस्तरों वाले जिला अस्पतालों और सिविल अस्पतालों में हाई-एंड डायग्नोस्टिक लैब और 50 से अधिक बिस्तर वाले अस्पतालों में इमेजिंग सेवाएं उपलब्ध कराना।
3 साल में होने वाले काम तय किए थे
वर्ष 2023 के लिए पहली बार 10 अगस्त, 2020 को कई जाने-माने विशेषज्ञों से सुझाव लेकर तीन साल में किए जाने वाले कार्यों का रोडमैप तैयार किया गया। रोडमैप में की गई सिफारिशों और सुझावों को और स्पष्ट रूप देने के लिए मंत्री समूह का गठन किया गया। अफसरों ने 21 अगस्त, 2020 को मंत्री समूह के सामने प्रजेंटेशन दिया और रोडमैप को अंतिम रूप दिया।
ये काम 2021 में पूरे होने थे, लेकिन अधूरे रहे
- प्रत्येक जिला अस्पताल में रेफरल को कम करने के लिए आईसीयू, एचडीयू वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, डायग्नोस्टिक सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता।
- कैडर समीक्षा एवं नवीन इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड के मापदंडों के अनुसार मानव संसाधन उपलब्ध कराना।
- अस्पताल प्रबंधकों के कैडर का निर्माण।
- राज्य स्तरीय अनुसंधान संगठन की स्थापना।
संविलियन का जिम्मा सिर्फ हमारे विभाग पर नहीं
हम नए बजट में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप के लक्ष्यों के हिसाब से ही प्रावधान कर रहे हैं। जहां तक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के संविलियन का प्रस्ताव है, इस पर सामान्य प्रशासन विभाग को ही निर्णय लेना है। इसमें सिर्फ मेरे विभाग की ही जिम्मेदारी नहीं थी। -डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र
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