Mp news

पर्यावरण सुरक्षा को बनायें नागरिक धर्म

[ad_1]

विश्व पर्यावरण दिवस – 5 जून 2021 पर विशेष


पर्यावरण सुरक्षा को बनायें नागरिक धर्म


 


भोपाल : शुक्रवार, जून 4, 2021, 16:49 IST

Mpinfo newsimage b

विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी नागरिक बंधुओं को शुभकामनाएँ। हम सब अपने पर्यावरण के प्रत्येक तत्व को नमन करें जो सदा से स्पंदनशील हैं। नन्हें पौधे-विशाल वृक्ष, नन्हें झरने-विशाल नदियाँ, नन्हे कंकर-विशाल पर्वत। कीट-पतंगे और मनुष्य। सभी को नमन करने और उनकी उदारता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है आज।

वैसे पर्यावरण दिवस हर साल मनाते हैं। हर साल कुछ रस्म अदायगी होती है। चिंताएँ जाहिर होती हैं। पर्यावरण के अस्तित्व पर चर्चाएँ होती हैं। चिंता यह है कि पर्यावरण से जुड़े विषय हमारी नागरिक संस्कार से गहरे नहीं जुड पा रहे हैं। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या नदियों को शुद्ध और जीवित रखने के मुद्दे हों या पेड़ों को बचाने का मामला हो। हमारा जुडाव गहरा होना चाहिए था।

वर्षों पहले अंग्रेजी के महान प्रकृति प्रेमी कवि ‍विलियम वर्डसवर्थ ने कहा था कि प्रकृति को अपना ‍शिक्षक बनने दो। प्रकृति हमें सिखाती है कि मनुष्य का जीवन हर हाल में खुशहाल बन सकता है। सह-अस्तित्व प्रकृति की सबसे बड़ी सीख है। इमली कभी महुआ से नहीं कहती मेरे सामने क्यों उग आये? अपनी पैनी चोंच से पेड़ के मोटे तने में छेद करने वाले कठफोड़वे को पेड़ कोई सजा नहीं देता।

हाल में जर्मन वनस्पति विज्ञानी और अत्यंत प्रतिभाशाली लेखक पीटर होलबेन की किताब ‘दि हिडन लाइफ आफ ट्रीज’ के कुछ अंश पढ़ने में आये। अब यह साबित हो चुका है कि पेड़ आपस में संवाद करते हैं। उनकी कोई लिपि नहीं होती। वे गंध के माध्यम से अपने संदेशों को एक दूसरे तक पहुँचाते हैं। वे दुखी होते हैं और खुशियाँ भी मनाते हैं। अनुसंधानों से यह भी सिद्ध हो गया है कि जो पेड़ अपने सजातीय पेड़ों के बीच रहते हैं उनकी आयु लंबी होती है।

Join whatsapp for latest update

हर साल जुलाई का महीना आता है और पर्यावरण बचाने का दिखावा करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है। अखबारों में पौधा-रोपण करते हुए चित्र छपते हैं। पौधा-रोपण का समय खत्म होते ही फिर कोई नहीं पूछता कि जिस पौधे को रोपा गया था, वह किस हाल में है। जब पौधों को बचाने की असली जिम्मेदारी आती है, तो साफ बच जाते हैं। इसीलिये जितनी संख्या में पौधे रोपे जाते हैं, बहुत कम जीवित रहते हैं।

हमारी भारतीय संस्कृति में पौधों का रोपण शुभ कार्य माना गया है। भारतीय उपासना पद्धति में वृक्ष पूजनीय है, क्योंकि उन पर देवताओं का वास माना गया है। गौतम बुद्ध का संदेश है कि प्रत्येक मनुष्य को पाँच वर्षों के अंतराल में एक पौधा लगाना चाहिये।

Join telegram

‘भरत पाराशर स्मृति’ के अनुसार जो व्यक्ति पीपल, नीम, बरगद और आम के पौधे लगता है और उनका पोषण करता है, उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है। कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में ‘वृक्षायुर्वेद’ का उल्लेख है।

वर्तमान समय में पर्यावरण के प्रति जन-चेतना अवश्य बढ़ी है लेकिन महानगरीय समाज पेड़-पौधों के साथ अभी भी आत्मीय संबंध स्थापित नहीं कर पाया है। इतिहास बताता है कि पर्यावरण संवर्धन में यदि भावनात्मक प्रखरता की कमी होती है तो परिणाम नहीं निकलता।

स्वस्थ पर्यावरण की सभी को समान रूप से जरूरत है चाहे वे किसी भी राजनैतिक दल या विचारधारा के हों। ऑक्सीजन के बिना जीवन नहीं होगा।

विनाश से बचने के लिये समाज को प्रकृति-आराधना की परंपरा पुनर्जीवित करते हुए वृक्षों के साथ जीना सीखना होगा।

नई पीढ़ी को नीम, आँवला, पीपल, बरगद, महुआ, आम जैसे परंपरागत वृक्षों की नई पौध तैयार करने की अवधारणा समझाना आवश्यक है। वनस्पतियों का जो सम्मान भारत भूमि पर है वह अन्यत्र नहीं है।

पाश्चात्य विद्वानों, दार्शनिकों ने भी प्रकृति का आदर करना भारतीय धर्मग्रंथों और परंपराओं से ही सीखा है। प्रसिद्ध अमेरिकी निबंधकार और दार्शनिक कवि सर इमर्सन ने अपने शिष्य हेनरी डेविड थोरो को कहा था कि यदि प्रकृति के अलौकिक स्पंदन और माधुर्य को अनुभव करना हो तो उसकी शरण में रहो।

हमारे सभी धार्मिक, सांस्कृतिक संस्कारों में वृक्षों की मंगलमय उपस्थिति है। कई भारतीय संस्कारों, व्रतों, त्यौहारों के माध्यम से वृक्षों की पूजा-अर्चना होती है। वृक्षों के नाम से कई व्रत रखे जाते हैं जैसे वट सावित्री व्रत, केवड़ा तीज, शीतला पूजा, आमला एकादशी, अशोक प्रतिपदा, आम्र पुष्प भक्षण व्रत आदि। ‘मनु स्मृति’ में वर्णित है कि वृक्षों में चेतना होती है और वे भी वेदना और आनंद का अनुभव करते हैं। समाज के गैर जिम्मेदार व्यवहार से यदि उनकी मृत्यु होती है तो समाज को उतना ही दु:ख होना चाहिये जितना प्रियजन की मृत्यु पर स्वाभाविक रूप से होता है।

समाज की ओर से भी पौधा रोपण का स्वैच्छिक अनुष्ठानिक कार्य होना चाहिये। भविष्य की पीढ़ी अपने पुरखों पर गर्व कर सके इसके लिये वर्तमान पीढ़ी से थोड़ी-सी संवेदनशीलता की अपेक्षा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्व-प्रेरणा से हर दिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है। यह उनके नागरिक संस्कार को प्रोत्साहित और आम नागरिकों को प्रेरित करने की अनूठी पहल है। यदि प्रत्येक नागरिक एक जीवित नन्हे पौधे का जिम्मेदार और संवेदनशील पालक बनने की चुनौती स्वीकार कर लें तो हम सब हरियाली से समृद्ध होते जायेंगे। इसलिये आज यह संकल्प लें कि हम जहाँ रहें अपने पर्यावरण का आदर करें।


अवनीश सोमकुवर

हमारे द्वारा प्रकाशित समस्त प्रकार के रोजगार एवं अन्य खबरें संबंधित विभाग की वेबसाइट से प्राप्त की जाती है। कृपया किसी प्रकार के रोजगार या खबर की सत्यता की जांच के लिए संबंधित विभाग की वेबसाइट विजिट करें | अपना मोबाइल नंबर या अन्य कोई व्यक्तिगत जानकारी किसी को भी शेयर न करे ! किसी भी रोजगार के लिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी जाती हैं ! डिजिटल एजुकेशन पोर्टल किसी भी खबर या रोजगार के लिए जवाबदेह नहीं होगा .

Team Digital Education Portal

शैक्षणिक समाचारों एवं सरकारी नौकरी की ताजा अपडेट प्राप्त करने के लिए फॉलो करें

Follow Us on Telegram
@digitaleducationportal
@govtnaukary

Follow Us on Facebook
@digitaleducationportal @10th12thPassGovenmentJobIndia

Follow Us on Whatsapp
@DigiEduPortal
@govtjobalert


Discover more from Digital Education Portal

Subscribe to get the latest posts to your email.

Show More

आपके सुझाव हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं ! इस पोस्ट पर कृपया अपने सुझाव/फीडबैक देकर हमे अनुग्रहित करने का कष्ट करे !

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

Discover more from Digital Education Portal

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Please Close Ad Blocker

हमारी साइट पर विज्ञापन दिखाने की अनुमति दें लगता है कि आप विज्ञापन रोकने वाला सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल कर रहे हैं. कृपया इसे बंद करें|