सोयाबीन की फसल से मध्य प्रदेश के किसानों का मोहभंग अब बढ़ाए बासमती चावल की ओर कदम Digital Education Portal
मध्य प्रदेश के किसान बासमती की महक से मुग्ध। साल दर साल बढ़ता जा रहा है बासमती धान का रकबा। सोयाबीन के मुकाबले लागत कम।
अतीक अहमद, भोपाल। सोयाबीन उत्पादक राज्यों में अव्वल रहने वाले मध्य प्रदेश के किसानों का अब इससे मोहभंग होता जा रहा है। कीट प्रकोप, अफलन और घटते उत्पादन से निराश किसानों को बासमती चावल की महक ने मुग्ध कर दिया है। किसान सोयाबीन का साथ छोड़कर बासमती धान उगाने की राह पर बढ़ रहे हैं। बीते खरीफ सीजन में ही सोयाबीन का रकबा मध्य प्रदेश में जहां करीब दस लाख हेक्टेयर घटा, वहीं बासमती का करीब इतना ही बढ़ा है।
यहां के बासमती की महक उत्तर प्रदेश और पंजाब के निर्यातकों के जरिये विदेश में पाकिस्तानी बासमती को टक्कर दे रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते दो-तीन वर्षों से अन्य प्रदेश के प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों द्वारा प्रदेश का 80 से 90 लाख क्विंटल बासमती धान खरीदा जा रहा है। बढ़ती मांग और कम लागत में ज्यादा लाभ देकर बासमती किसानों को भी समृद्ध बना रहा है।
प्रदेश के मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम (होशंगाबाद), जबलपुर और नरसिंहपुर जिले के करीब 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में बीते खरीफ सीजन में बासमती की फसल ली गई। ये जिले कभी सोयाबीन उत्पादक माने जाते थे।
बासमती ने उद्योगों को भी किया आकर्षित
प्रदेश के बासमती की बढ़ती मांग ने औद्योगिक समूहों को भी आकर्षित किया है। रायसेन के मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में दावत फूड्स और मैजेस्टिक राइस जैसी बड़ी कंपनियों के प्लांट संचालित हो रहे हैं। वहीं पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की मिलर कंपनियों के प्रतिनिधि यहां किसानों से सीधे सौदा कर माल उठाते हैं। प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की पांच मंडियों में वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक बासमती धान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों ने खरीदा है। देश के कुल बासमती निर्यात में मध्य प्रदेश की भागीदारी अब करीब 25 प्रतिशत है।
मंडीदीप से अमेरिका, इंग्लैंड में निर्यात
केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआइएस) की वेबसाइट के अनुसार मंडीदीप के कंटेनर डिपो से बीते वर्षों में बासमती चावल का खाड़ी देशों के अलावा आस्ट्रेलिया, अमेरिका और इंग्लैंड निर्यात हुआ।
जीआइ टैग की लड़ाई जारी
प्रदेश के 13 जिलों में परंपरागत रूप से बासमती धान की खेती होती है लेकिन जीआइ टैग नहीं होने से उचित मूल्य नहीं मिलता। राज्य सरकार ने जीआइ टैग के लिए आवेदन किया था लेकिन मद्रास हाई कोर्ट में केस विचाराधीन है।
दो वर्ष में ऐसे बढ़ा बासमती और घटा सोयाबीन
फसल– वर्ष 2019-20 — 2020-21
सोयाबीन– 64.99–56.64
बासमती धान –34.04 –42.25
(कृषि विभाग के अनुसार रकबा लाख हेक्टेयर में)
इनका कहना है
विदेश में खाद्य सामग्री के गुणवत्ता के मापदंड कड़े हैं। पहले पंजाब और उत्तर प्रदेश का बासमती ही निर्यात किया जाता था। मध्य प्रदेश का बासमती सभी मापदंडों पर खरा उतर रहा है इसलिए इन प्रदेशों के निर्यातक यहां से धान ले जाकर अपने टैग पर निर्यात करते हैं।
राजेंद्र बाधवा, प्रबंध निदेशक, दावत फूड्स लिमिटेड, मंडीदीप (रायसेन)
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