इंदौर : मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, खंडपीठ इंदौर एवं ग्वालियर में चुनौती दी गई है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 243-ओ एवं पंचायत अधिनियम की धारा 121 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है।
सरकार के जिस अध्यादेश को याचिका में चुनौती दी गई है, यदि उक्त अध्यादेश प्रभाशील हुआ तो वर्ष 2019 में हुआ पंचायतों का परिसीमन और आरक्षण शून्य हो जाएगा।
आज हुई याचिका की सुनवाई में ग्वालियर खण्ड़पीठ में माननीय मुख्य न्यायाधिपति श्री रवि मालीमथ एवं माननीय न्यायाधीश श्री राजीव कुमार अग्रवाल की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता राजकुमार हिंडोलिया की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा एवं पूर्व महाधिवक्ता श्री शशांक शेखर ने पैरवी की तथा इंदौर में याचिका माननीय प्रशासनिक न्यायाधीश श्री सुजय पाॅल एवं माननीय न्यायाधीश श्री प्रणय वर्मा की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता हैदर पटेल की ओर से अधिवक्ता श्री विभोर खंडेलवाल ने पैरवी की।
दोनों याचिकाओं में नोटिस जारी कर माननीय न्यायालय ने सरकार को 3 दिन में उत्तर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
सभी याचिकाओं की आगामी सुनवाई अब जबलपुर मुख्य पीठ के समक्ष होगी। गौरतलब है कि इंदौर खंडपीठ के समक्ष लगी याचिका हैदर पटेल विरुद्ध भारत सरकार एकमात्र याचिका है जिसमें अनुच्छेद 243-O की संवैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है।
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