EMI चुकाने वाले ग्राहकों के लिए यह काम की खबर है। कोविड-19 संकट की वजह से खुदरा लोन ग्राहकों की समान मासिक किस्त (ईएमआइ) अदायगी पर इस वर्ष मार्च में जो रोक लगी थी|
वह 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। बैंकिंग सेक्टर में इसे आगे बढ़ाने को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है।
खुदरा लोन (होम, आटो, पर्सनल लोन जैसी सावधि कर्ज योजनाओं के तहत लिए गए लोन) को किस तरह से जारी रखा जाए, इसका खाका स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
देश के दो सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) व पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की तरफ से अगले हफ्ते फैसला होने की संभावना है। खुदरा लोन में निजी बैंकों की हिस्सेदारी ज्यादा है, लेकिन उनकी तरफ से अभी कोई संकेत नहीं मिला है।
बैंकों ने किया है यह रिसर्च
बैंकों ने अपने आतंरिक शोध में पाया है कि जिनकी आमदनी बरकरार थी, उनमें से भी बहुत ग्राहकों ने कर्ज अदायगी नहीं की और मोरेटोरियम का फायदा उठाया। एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनकी आतंरिक रिपोर्ट के मुताबिक मोरेटोरियम का फायदा उठाने वालों में 45-55 वर्ष आयुवर्ग के ग्राहकों की संख्या काफी है। इसमें से बहुत बड़ी संख्या उनकी है जो वेतनभोगी हैं और आय पर कोई असर नहीं होने के बावजूद वो कर्ज भुगतान नहीं कर रहे हैं।
लोन को लेकर बैंकों की बढ़ी उलझन
सरकारी क्षेत्र के कुछ छोटे बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और सहकारी बैंकों की तरफ से वित्त मंत्रालय व आरबीआइ को बता दिया गया है कि उनके लिए खुदरा लोन की अदायगी पर और राहत दे पाना मुश्किल है।
उन्होंने इसकी मुख्य वजह यह बताई है कि पिछले छह महीने से उनकी तरफ से कर्ज आवंटन भी नहीं हो रहा है और ना कर्ज वसूली हो रही है।
इससे छोटे लोन बुक वाले बैंकों की सारी गतिविधियों पर असर पड़ने की आशंका गहरा गई है।
बैंकों के समक्ष दूसरी समस्या यह है कि उनके लिए यह तय करना कठिन है कि किसकी आमदनी कोविड से प्रभावित हुई है और किसकी नहीं। कारोबारी लोन को लेकर इसकी दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन होम, ऑटो या पर्सनल लोन की ईएमआइ चुका रहे ग्राहकों के मामले में चयन करने की चुनौती पैदा होगी।
अभी तक कोई भी लोन ग्राहक इसका फायदा उठा सकता था। सरकारी क्षेत्र के पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सरकार की हिस्सेदारी वाले आइडीबीआइ बैंक उन बैंकों में शामिल हैं जो कोविड-19 से उपजे वित्तीय हालात का सबसे ज्यादा दबाव महसूस कर रहे हैं।
क्या कहना है RBI का
RBI ने यह स्पष्ट किया था कि सिर्फ उन्हें ही यह सुविधा दी जाएगी जिनकी आमदनी कोविड-19 की वजह से प्रभावित हो। RBI गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को फिर कहा कि किसकी मासिक किस्त माफ करनी है और किसकी नहीं, इसका फैसला खुद बैंकों को करना है। अभी तक सिर्फ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ने ही इस बारे में फैसला किया है।
छह अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआइ गवर्नर ने मौजूदा मोरेटोरियम को लेकर दो अहम घोषणाएं की थीं।
पहला यह कि कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग (नए सिरे व नई शर्तों के साथ कर्ज चुकाने की व्यवस्था) पर केवी कामथ के नेतृत्व में समिति गठित की गई।
लेकिन खुदरा लोन की ईएमआइ वसूली पर पिछले छह महीनों से जो रोक लगी हुई थी, उसके बारे में बैंकों को ही फैसला करने को कहा गया है।